शिवराज और भूपेंद्र सिंह के संबंधों में कड़वाहट!
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एक जमाने में उनके खासमखास रहे नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के संबंधों में इन दिनों बहुत कड़वाहट है।
इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों जब बुंदेलखंड के प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री और भूपेंद्र सिंह का आमना सामना हुआ तो दोनों के बीच सामान्य अभिवादन भी नहीं हुआ और मुख्यमंत्री ने सिंह से ज्यादा तवज्जो अपनी अगवानी के लिए पहुंचे भाजपा के दूसरे नेताओं को दी।
हिसाब बराबर करने का “सरकार” का अंदाज़!
हिसाब बराबर करने का ‘सरकार’ का अपना एक अंदाज है। सरकार के न चाहते हुए भी अनिल शर्मा ग्वालियर का आईजी बनने में कामयाब हो गए। मदद ग्वालियर चंबल संभाग के भाजपा के ही एक दिग्गज नेता ने की थी।
वहां पहुंचने के बाद शर्मा ने दोनों दिग्गजों को साथ लिया था। तब तो बात आई गई हो गई थी|
लेकिन गुना की घटना के बाद मौका मिलते ही सरकार ने सबसे पहले शर्मा को वहां से रुखसत किया और किसी और नेता की पसंद का नाम आ गया है इसके पहले ही अपने प्रिय पात्र अफसर को वहां बैठा दिया।
BJP प्रदेशाध्यक्ष वीडी की सक्रियता कुछ नेताओं को नहीं आ रही रास!
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की सक्रियता और सहजता पार्टी के ही कुछ नेताओं को रास नहीं आ रही है।
पिछले दिनों दिल्ली में हुई भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक के बाद पार्टी के ही कुछ नेताओं ने अपने समर्थकों के माध्यम से शर्मा को लेकर तरह-तरह की बातें प्रचारित करवाना शुरू कर दी और इनका सार यह था कि शर्मा अब अध्यक्ष पद पर ज्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं।
कहा तो यह भी गया कि इस पद पर अब कोई आदिवासी काबिज होगा। जब इस बात की जानकारी पार्टी के बड़े नेताओं को लगी तो उन्होंने अफवाह फैलाने में भागीदार नेताओं को जमकर फटकार लगाई।
तिकड़ी से बेचैन है कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता!
दिग्विजय सिंह, अजयसिंह और अरुण यादव की तिकड़ी जब से कांग्रेस में सक्रिय हुई है, कमलनाथ से जुड़े कांग्रेस के कई दिग्गज नेता बड़े बेचैन हैं।
दरअसल यह तिकड़ी अब कमलनाथ पर दबाव बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही है।
अलग तरह की राजनीति करने वाले कमलनाथ के बारे में यह माना जाता है कि वे बहुत जल्दी दबाव में आ जाते हैं और इसी का फायदा कांग्रेस के कुछ नेता उठाने लगते हैं।
कुछ ऐसा ही इन दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस में हो रहा है और इसी से कमलनाथ समर्थक परेशान हैं।
स्टार्टअप कॉन्क्लेव की सफलता का श्रेय किसे?
इंदौर में हुई स्टार्टअप कांक्लेव की सफलता का श्रेय कोई भी लेने की कोशिश करें लेकिन हकीकत तो यही है कि एमएसएमई मिनिस्टर ओमप्रकाश सकलेचा और सचिव पी नरहरि का दूरगामी नजरिया इसकी सफलता का सबसे बड़ा कारण है।
नई पीढ़ी के नौजवानों में स्टार्टअप के प्रति रुझान पैदा करने में मंत्री सचिव की इस जोड़ी ने खूब मेहनत की।
मध्य प्रदेश की स्टार्टअप पॉलिसी कि देश भर में तारीफ हो रही है और कुछ इसी तर्ज पर जल्दी ही आईटी पॉलिसी भी सामने आने वाली है।
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नए मुख्य सचिव की दौड़ में अनुराग जैन मजबूत दावेदार!
केंद्र में डीपीआईआईटी महकमे के सचिव अनुराग जैन जिन्हें मध्य प्रदेश के भावी मुख्य सचिव के रूप में भी देखा जा रहा है पिछले दिनों राज्य सरकार के आयोजन के सिलसिले में इंदौर में थे।
यहां के अवसर उन्हें जिस तरह हाथों हाथ ले रहे थे उससे यह संकेत तो मिल ही गया कि मध्य प्रदेश के नए मुख्य सचिव की दौड़ में अनुराग जैन एक मजबूत दावेदार हैं।
एक जमाने में मुख्यमंत्री के सचिव रहे जैन ने अपने भाषण में भी मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की और कहा कि इनकी कार्यशैली का में कायल हूं।
चलते चलते
आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि इंदौर के प्रभारी होते हुए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अपनी पसंद के एक अफसर को इंदौर में मनचाही पदस्थापना नहीं दिलवा पा रहे हैं।
इंदौर शहर कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष के लिए सज्जन सिंह वर्मा ने अभय वर्मा का नाम आगे बढ़ा है तो विधायक संजय शुक्ला ने टंटू शर्मा का। दिल्ली के कुछ दिग्गज नेताओं की पसंद अमन बजाज है देखते हैं किस्मत किसका साथ देती है।
पुछल्ला
कभी-कभी बहुत अच्छा काम करना भी नुकसानदायक रहता है। बमुश्किल 1 साल पूरा करने वाले रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।
सांप्रदायिक दंगे की आग में झुलसे खरगोन में जब नया कलेक्टर पदस्थ करने की बात सामने आई तो तमाम नामों को दरकिनार करते हुए मुख्य सचिव ने गुना और रतलाम में बहुत अच्छे काम को देखते हुए उनका नाम आगे बढ़ा दिया। यानी आप फिर नए सिरे से वन टू वन करो।
बात मीडिया की
वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने अपने 75 वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित एक समारोह में यह कहकर सबको चौंका दिया कि नईदुनिया से निवृति के बाद जब मुझे काम की तलाश थी सब मैं खुद डॉ रमेश बाहेती के पास गया था और कहा था कि आप डॉ डेविश जैन को एक फोन कर दें ताकि मुझे प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट में कुछ काम मिल सके।
सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़े एक बड़े अखबार के स्टेट एडिटर जिस तरह का द्विअर्थी संवाद अपने सहयोगियों से करते हैं वह पूरे समूह में चर्चा का विषय है।
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उक्त स्टेट एडिटर मीटिंग में महिला सहयोगियों की मौजूदगी में कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखाते हैं। वैसे उक्त महाशय के लिए यह कोई नई बात नहीं है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के बेहद लोकप्रिय अधिकारी रहे मध्यप्रदेश के पूर्व जनसंपर्क आयुक्त राकेश श्रीवास्तव अब पत्रकारिता क्षेत्र में जौहर दिखाएंगे।
वे ब्यूरोक्रेसी से सम्बद्ध देश की नंबर एक वेबसाइट विस्पर्स इन द कॉरिडोर के एडीटर इन चीफ और कंट्रीहेड हो गए हैं। डॉ. सुरेश मेहरोत्रा द्वारा स्थापित यह वेबसाइट देश के नौकरशाहों के बीच अपनी एक अलग पहचान रखती है।
दैनिक भास्कर ने एक अच्छी पहल की है, भास्कर अगले एक साल में अपने विभिन्न संस्करणों तथा मीडिया संस्थानों में 50 महिला पत्रकारों को काम करने का मौका देगा।
अपने पितृपुरुष रमेशचंद्र अग्रवाल की स्मृति में दैनिक भास्कर ने पत्रकारिता के अनेक पुरस्कारों की भी घोषणा की है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चिर-परिचित चेहरे प्रवीण दुबे अब न्यूज 18 के मध्यप्रदेश डिजिटल हेड होंगे। प्रवीण इसके पहले न्यूज 18 के मध्यप्रदेश के प्रमुख थे और जी न्यूज में भी सेवाएं दे चुके हैं।