राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: IAS अफसर उलझ गए या उलझा दिए गए

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राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: IAS अफसर उलझ गए या उलझा दिए गए

प्रदेश के एक वरिष्ठ आय ए एस अफसर और उन्हीं के महकमे की एक महिला अफसर का कथित व्हाट्सएप चैट जिस अंदाज में सार्वजनिक हुआ उसकी ब्यूरोक्रेट्स के साथ ही नेताओं में भी बड़ी चर्चा है। सत्यता क्या है यह तो चैट से जुड़े दोनों पक्ष ही बता सकते हैं। मामला पुलिस तक भी पहुंच गया है लेकिन उलझने या उलझाने के इस खेल के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वैसे मध्य प्रदेश में नौकरशाहों की रंगीन मिजाजी के किस्से कोई नयी बात नही‌ है।

*इनको सफल बनाने में वे लगा देंगे पूरी ताकत* 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर डॉ. मोहन यादव कितने सफल होंगे इसका जवाब दिल्ली में दमदारी से सियासत कर रहे भाजपा के एक दिग्गज ने दिया और कहा सौ प्रतिशत। बात आगे बढ़ाते हुए वे बोले दिल्ली ने पूरी ताकत लगा दी है और मध्यप्रदेश के नेताओं को भी इशारों से समझा दिया है। दिल्ली यानि कौन, तो बोले नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुरेश सोनी और दत्तात्रय होसबोले। अब जब इतने हैवीवेट मुख्यमंत्री के साथ खड़े हैं तो फिर उनके सफल होने में कोई शक ही नहीं। दरअसल, जब मुख्यमंत्री के लिए यादव का नाम तय हुआ था, तभी दिल्ली में उनकी सफलता की पटकथा भी लिखी जा चुकी थी। अब तो फिल्म बनने लगी है।

 

*कांग्रेस… राज्यसभा और दावेदारों की अंतरकथा* 

मध्यप्रदेश से कांग्रेस के कोटे में राज्यसभा कौन जाएगा, यह एक यक्ष प्रश्न है। जवाब ढूंढने निकलेंगे तो तरह-तरह की बातें सामने आएंगी। बहुत रोचक जवाब भी मिल रहे हैं।

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दावे के साथ कहा जा रहा है कि बात पक्की हो गई है, सौदा बड़ा है, टोकन भी आगे बढ़ चुका है और यदि कोई बड़ा अड़ंगा नहीं लगा तो फिर डील फाइनल होते ही जीतू पटवारी दिल्ली पहुंच जाएंगे। दूसरी बात भी सुनिए, अरुण यादव दिल्ली में लगातार सक्रियता बनाए हुए हैं और कमलनाथ के मध्यप्रदेश में कमजोर होने के बाद वे भी उम्मीद से हैं। यह सौदा कुछ अलग तरह का रहेगा।

 *दिल्ली VVIP पार्टी में मोदी और अमित शाह के न पहुंचने पर निराश सांसद* 

सांसद शंकर लालवानी के इकलौते बेटे मीत की शादी इंदौर में धूमधाम से सम्पन्न हुई। बहुत प्रेम से हजारों लोगों को जिमाया भी गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई, इंदौर से एक बार फिर सांसद बनने की तैयारी में लगे लालवानी ने दिल्ली में भी एक वीवीआईपी पार्टी कर डाली।

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इसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा सत्ता और संगठन के ज्यादातर दिग्गजों को आमंत्रित किया गया। इस आयोजन को लालवानी ने इंदौर प्रभाव से मुक्त रखा और सारे सूत्र अपने परिजनों के हाथों में रखे। लालवानी की सोशल मीडिया पर सक्रियता ने जरूर इस आयोजन को एक अलग पहचान दे दी। वैसे इस पार्टी को भाजपा के ही कुछ नेता एक अलग नजरिए से भी देख रहे हैं। चर्चा तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के न आने की भी बहुत है।

*गोलू शुक्ला विधायक बन गए हैं, पर समर्थक मानने को तैयार नहीं*

गोलू शुक्ला अब भाजयुमो के नगर अध्यक्ष या इंदौर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नहीं है, बल्कि विधायक बन गए हैं। यह बात उनके समर्थक और परिजन मानने को तैयार नहीं हैं।

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विधायक के जन्मदिन पर जिस तरह उनके समर्थकों और परिजनों ने शहर को होर्डिंग्स और कट आउट से पाट दिया, उससे तो यही लग रहा है मानो किसी को शहर की कोई चिंता ही नहीं। जिस अंदाज में उनके जन्मदिन का प्रचार हुआ उसने शहर के एक बड़े वर्ग में विधायक की किरकिरी भी करवा दी। साफ सुथरे शहर में विधायक समर्थकों का यह अंदाज लोगों ने एक सिरे से नकार दिया।

 

 *सीेएम ने सांवेर का नेता बना दिया तुलसी भैया को* 

मौका आने पर अपने मंत्रियों को भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उनकी हैसियत बता ही देते हैं। सिंधिया खेमे का झंडाबरदार होने के कारण तुलसी सिलावट को इन दिनों भाजपा में तवज्जो भी खूब मिल रही है। लेकिन पिछले दिनों कुछ ऐसा हुआ, जिसकी उन्हें शायद कल्पना भी नहीं होगी।

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इंदौर नगर निगम के परिषद हॉल के उद्घाटन के मौके पर सिलावट मुख्यमंत्री के साथ मंच पर थे। जब मुख्यमंत्री भाषण देने आए तो उन्होंने अपने प्रारंभिक संबोधन में उनकी ओर इशारा करते हुए कहा हमारे सांवेर के नेता तुलसी सिलावट। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए बात को संभाल लिया कि मंत्रिमंडल के हमारे वरिष्ठ सहयोगी हैं सिलावट।

*जो चर्चा में थे वह तो रह ही गए‌ और ये बाजी मारी गये* 

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और इंदौर रेंज के आईजी के लिए जिन दिग्गज अफसरों के नाम चर्चा में थे वह तो देखते ही रह गए और ऐसे अफसरों को मौका मिल गया जिनका नाम दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था। डीपी गुप्ता के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और अनुराग के इंदौर रेंज के आईजी बनने के बाद यह बात तो समझ में आने लगी है अभी ‘सिस्टम’ से पोस्टिंग का खेल ज्यादा जोर नहीं पकड़ पाया है।

 *चलते-चलते* 

न जाने क्यों गौरव रणदिवे को लेकर चल रही अटकलों के बीच जयपालसिंह चावड़ा और सावन सोनकर की भविष्य की भूमिका को लेकर भी काना-फूसी शुरू हो गई है। हालांकि दोनों नेता महाकाल की नगरी से तार जोडऩे में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। भविष्य तो वक्त ही बताएगा।

*पुछल्ला* 

अपर कलेक्टर सपना लोवंशी को इंदौर कलेक्टोरेट में कॉलोनी सेल के प्रभार से मुक्त किए जाने के बाद मीडिया खासकर सोशल मीडिया में जिस तरह की मुखरता देखी गई, उसके बाद कॉलोनी सेल से जुड़े मामलों में कुछ पत्रकारों की सक्रियता की बड़ी चर्चा है। जरा पता कीजिए मामला क्या है?

*बात मीडिया की* 

दैनिक भास्कर अपने रिपोटर्स की वर्किंग बहुत सूक्ष्म विश्लेषण करवा रहा है। इसके लिए एक विशेष टीम लगी हुई है, जो दिसंबर-जनवरी की खबरों के आधार पर एक सूची तैयार कर रही है, जिसमें किस रिपोर्टर ने कितनी खबर की, वह अखबार में किस स्वरूप में छपी, कितनी बायलाईन छपी और कितनी पेज वन पर छपी, इसका भी हिसाब-किताब तैयार किया जा रहा है।

सेवा विस्तार के बाद नईदुनिया के स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण अवस्थी के तेवर बदले-बदले से हैं। अवस्थी अब फुलफार्म में हैं और मैनेजमेंट द्वारा इंदौर में तैनात प्रबंधकों की परवाह न करते हुए अपनी शैली में काम कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो चौथी मंजिल को अब पांचवीं मंजिल की चिंता नहीं।

क्राईम रिपोर्टिंग में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले दैनिक भास्कर के सीनियर रिपोर्टर सुमित ठक्कर आने वाले समय में नई भूमिका में दिख सकते हैं। अभी मयंक यादव ने क्राईम रिपोर्टिंग का सुमित का बोझ हल्का करना शुरू कर दिया है।

प्रजातंत्र अखबार में लंबे समय से सेवाएं दे रहे, सीनियर रिपोर्टर विनोद शर्मा को भी नई भूमिका की तलाश है, वे अपने पुराने संस्थान में भी वापसी कर सकते हैं।