राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: कदम भटकने लगे हैं सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों के

1173

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: कदम भटकने लगे हैं सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों के

न जाने क्यों ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक इन दिनों भाजपा के दिग्गज नेताओं से संबंध मधुर करने में लगे हैं। सुनकर आश्चर्य लगता है कि सिंधिया खेमे के कई मंत्री इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के यहां अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: भाजपा की राजनीति में नए इक्वेशन

इनमें से कई के समर्थक तो खुलकर कहने लगे हैं कि अभी जो स्थिति भाजपा में सिंधिया की नजर आ रही है, उससे यह तो स्पष्ट है कि जिस तरह वे कांग्रेस में वीटो कर अपने समर्थकों का उद्धार कर देते थे, वैसा भाजपा में संभव होता नहीं दिख रहा है। यही परेशानी उन्हें भटकने को मजबूर कर रही है। देखिए आगे क्या क्या होता है।

इसे कहते हैं राजनीति…भाषण शिवराज का और तारीफ सुभाष यादव की

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो करें वह कम है। भीड़ का मिजाज देखकर उसी भाषा में बात करना मुख्यमंत्री की खूबी है। रविवार को मुख्यमंत्री इंदौर में यादव समाज के एक बड़े जलसे में शामिल होने पहुंचे। उनके एक ओर मंत्री मोहन यादव बैठे थे, तो दूसरी ओर कांग्रेस विधायक सचिन यादव।

IMG 20230620 WA0057

मौके की नजाकत को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस जलसे में यादव के पिता पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव की जमकर तारीफ की और कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश की राजनीति की दिशा बदलने की कोशिश की, पर उन्हें सफल नहीं होने दिया गया। उनका इतना कहना था कि सभागार तालियों से गूंज उठा और सचिन भी मुख्यमंत्री की ओर मुस्करा दिए।

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी की रामलीला राजनीति

प्रभारी की भूमिका प्राय: समन्वयक की होती है, लेकिन कांग्रेस के मध्यप्रदेश के प्रभारी जे पी अग्रवाल की शैली ने उन कार्यकर्ताओं को मायूस कर रखा है, जो उपेक्षित हैं और दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय तक अपनी जरूरी शिकायतें पहुंचाना चाहते हैं। अग्रवाल की रामलीला स्टाइल की राजनीति इन दिनों मध्यप्रदेश में चर्चा में है। सालों तक दिल्ली की प्रसिद्ध रामलीला समिति के अध्यक्ष रहे अग्रवाल वहां अक्सर बड़े नेताओं और अफसरों को बुलाकर सम्मानित करते थे। मध्यप्रदेश की कमान संभालने के बाद वे जिस भी जिले में गए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का घर जाकर शॉल और श्रीफल से सम्मान किया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन इसी कवायद में वे ऐसे कई लोगों को भी शॉल-श्रीफल भेंट कर आए जो ना तो कांग्रेस में सक्रिय रहे और दूसरी पार्टी की परिक्रमा भी कर आए।

बड़े सरकार ने नजर फेरी और भूपेंद्र सिंह कोप भवन में चले गए

आखिर ऐसा क्या हुआ कि कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रियपात्र माने जाने वाले मंत्री भूपेन्द्र सिंह इन दिनों अपने ही आका से खफा-खफा से हैं। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष सागर जिले के कोर ग्रुप से रूबरू हुए तो भूपेंद्र सिंह नदारद थे।

29 09 2021 bhupendra singh1

कहा यह जा रहा है कि जिस तरह लोकायुक्त ने सिंह के खिलाफ जांच प्रकरण दर्ज किया, उससे वे बेहद नाराज हैं और यह मान रहे हैं कि कहीं से इशारा था, उसी के बाद लोकायुक्त ने उन्हें लपेटे में लिया। वैसे भूपेंद्र सिंह के खिलाफ एकजुट हुए सागर जिले के तमाम भाजपा नेता यह मान रहे हैं कि उनकी खिलाफत अब रंग लाने लगी है और इसका आगे और असर देखने को मिलेगा।

दिल्ली में विवेक अग्रवाल का दबदबा और प्रदेश को मदद की दरकार

दिल्ली में पॉवरफुल पोजिशन वाले मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात नौकरशाही के बीच बड़ी चर्चा बन गई। 2023 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अग्रवाल दिल्ली चले गए थे।

central registar vivek agarwal

15 महीने बाद भाजपा के सरकार में वापस आने पर उनके फिर मध्यप्रदेश आने की बात चल पड़ी थी, लेकिन डेपुटेशन पॉलिसी की बाध्यता और ‘बड़े साहब’ के रजामंद न होने के कारण ऐसा संभव नहीं हुआ था। इसका अग्रवाल को पूरा फायदा मिला और दिल्ली में उनकी हैसियत दिन-ब-दिन बढ़ती गई। जिस महत्वपूर्ण भूमिका में अभी वे हैं, उसके बाद उनकी मध्यप्रदेश वापसी के बारे में सोचना ही बेमानी है। हां इतना जरूर है कि दिल्ली में दबदबा रखने वाले अग्रवाल मध्य प्रदेश सरकार की मदद तो कर ही देते हैं।

कमलनाथ के यहां बढ़ने लगी है अफसरों की आवाजाही

विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं नौकरशाही में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के यहां आईएएस और आईपीएस अफसरों की आवाजाही बढ़ गई है।

kamlnath

यह अफसर उनके विजन की जमकर तारीफ करने लगे हैं और खुद को वर्तमान सरकार से त्रस्त बता रहे हैं। यहां तक तो ठीक है अभी तक जो अफसर जिलों में कांग्रेसियों को भाव नहीं देते थे वह अब उन्हें मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के गुणा भाग समझाने लगे हैं। यही तो है समय का फेर।

चलते-चलते

किस्मत हो तो कमल नागर जैसी। राज्य प्रशासनिक सेवा के उक्त अफसर के पास 6 महीने से कोई काम नहीं है। नागर जिस विभाग में पदस्थ थे, वहां से उन्हें 6 महीने पहले हटा तो दिया गया, पर कोई दूसरा काम नहीं सौंपा गया। फिलहाल वे घर बैठे हैं और पूरी तनख्वाह ले रहे हैं। ऐसे कुछ अफसर और हैं, पर गलती इनकी नहीं, सरकार ही इनसे काम लेने के मूड में नहीं दिखती।

पुछल्ला

एक वरिष्ठ आईएएस अफसर इन दिनों बहुत चर्चा में है। चर्चा भी किसी छोटे-मोटे मुद्दे के कारण नहीं है। दरअसल जैसे ही 2000 के नोट बाजार से वापस लेने की सूचना केंद्र सरकार ने जारी की, उक्त अफसर परेशान हो गए। होना स्वाभाविक भी था। उक्त अफसर के पास करीब आठ करोड़ रुपए के 2000 के नोट थे। इसके बदले में छोटे नोट प्राप्त करने के लिए उन्हें न जाने कितने खटकरम करना पड़े। खैर अब वे राहत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि इतनी उठा-पटक के बाद काम तो बन गया। अंत भला तो सब भला।

बात मीडिया की

दैनिक भास्कर ने सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ ही कम्युनिटी में अपना नेटवर्क मजबूत करने के लिए नई पहल की है। इन संस्थाओं द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि अब भास्कर के ऐप पर सीधे खबर भेज सकेंगे और इस ऐप पर एक डेडीकेटेड टीम खबरों का परीक्षण कर उसे डिजिटल और प्रिंट मीडिया के लिए आगे बढ़ाएगी। इन संस्थागत प्रतिनिधियों को भास्कर ऐप एसोसिएट के परिचय पत्र भी दिए गए हैं। इसकी विधिवत शुरुआत शनिवार को समूह के संयुक्त प्रबंध निदेशक पवन अग्रवाल की मौजूदगी में की गई।

नईदुनिया के स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण अवस्थी पिछले दिनों दफ्तर के केंटीन में जिस अंदाज में चाय पी रहे रिपोर्टर्स पर बरसे उसकी बड़ी चर्चा है। उन्होंने रिपोर्टर्स को तो जमकर फटकारा ही, केंटीन संचालक को भी हिदायत दे दी थी कि इन लोगों को चाय मत दिया करो। रिपोर्टर समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों? अपने पुराने साथियों से मिलने नईदुनिया पहुंची सुमेधा पुराणिक के लिए यह नजारा बहुत चौंकाने वाला था।

फ्री प्रेस और नईदुनिया में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके तेजतर्रार रिपोर्टर नवीन यादव अब टीम प्रभात किरण का हिस्सा हो गए हैं। नवीन ने कुछ महीने पहले नईदुनिया को अलविदा कह दिया था। वे एक अच्छे बाईक राइडर और क्रिकेटर भी हैं।

पत्रिका के सांध्य संस्करण न्यूज़ टुडे में धुआंधार पारी खेल रहे सीनियर रिपोर्टर मोहित पांचाल टीम पत्रिका में अहम भूमिका में रहेंगे। मोहित भाजपा और कलेक्टोरेट बीट पर तगड़ी पकड़ रखते हैं। संदीप पारे के दैनिक भास्कर में जाने के बाद पत्रिका में यह दोनों बीट खाली थी।

सांध्य दैनिक अग्निबान इन दिनों अपने डिजिटल एडिशन पर बहुत फोकस कर रहा है। ‌ इसको बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है।