Rajwada To Residency: सुहास भगत की भाजपा से रवानगी में इंदौर फैक्टर सबसे अहम

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सुहास भगत की भाजपा से रवानगी में इंदौर फैक्टर सबसे अहम

कोई माने या ना माने यह 💯 फीसद सही है की भाजपा के संगठन महामंत्री पद से सुहास भगत की रवानगी में इंदौर की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इंदौर के कुछ भाजपा नेताओं से भगत की निकटता जिस स्वरूप में संघ के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची वह उनके लिए परेशानी का बड़ा कारण बनी।

Rajwada To Residency: सुहास भगत की भाजपा से रवानगी में इंदौर फैक्टर सबसे अहम

गौरतलब है की जो बातें नागपुर तक पहुंची थी उसकी तहकीकात भी इंदौर के ही संघ के कुछ दिग्गजजो से ही करवाई गई और इसके जो निष्कर्ष निकले वही उनकी रवानगी का कारण बने। बात कितनी बिगड़ी हुई थी इसका अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है की संघ में वापसी के बाद भगत को मध्य क्षेत्र का बौद्धिक प्रमुख तो बनाया गया लेकिन मुख्य धारा से अलग करते हुए मुख्यालय जबलपुर कर दिया गया।

भगोरिया में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनावी अंदाज़

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार भगोरिया में जिस तरह रंगे दिखे उससे यह स्पष्ट है की भाजपा ने मालवा निमाड़ की आदिवासी सीटों पर 2013 के नतीजों को दोहराने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल 2018 के चुनाव में मालवा निमाड़ की आदिवासी सीटों पर बुरी तरह शिकस्त खाने के कारण ही भाजपा को सत्ता से बाहर ना पड़ा था।

Rajwada To Residency: सुहास भगत की भाजपा से रवानगी में इंदौर फैक्टर सबसे अहम

इन सीटों पर भाजपा की वापसी के लिए संघ को अभी से मैदान संभल चुका है लेकिन मुख्यमंत्री भी कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। यही कारण है की थांदला के भगोरिया में अपने उपस्तिथि दर्ज करवाने के बाद मुख्यमंत्री बड़वानी के पाटी भी पहुंचे और परंपरागत आदिवासी परिधान में मामाओ के मामा बनते नजर आए।

कमलनाथ दिल्ली गए तो कांग्रेस के 20 से ज्यादा विधायक भाजपा में

मध्य प्रदेश में ही पुरी तरह रम गए कमलनाथ के दिल्ली जाने की चर्चा फिर चल पड़ी है। यह तय है की यदि वे दिल्ली गए तो फिर मध्य प्रदेश के 20 से ज्यादा कांग्रेस विधायक भी पाला बदलने में देर नहीं करेंगे इनमें से ज्यादातर वे विधायक हैं

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जो पहली बार चुने गए हैं यह विधायक जब भी भोपाल में होते हैं एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं और दावत करने में भी पीछे नहीं रहते हैं। यह विधायक मानते हैं की यदि कमलनाथ दिल्ली चले गए तो फिर मध्य प्रदेश में इनका कोई धनी धोरी नहीं बचेगा। अपनी भावना को यह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंचा चुके हैं।

मध्यप्रदेश भाजपा में लंबे समय बाद समाप्त होगा 50-50 का दौर

आने वाले समय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा बदले अंदाज़ में नजर आए तो चौकने की जरूरत नहीं। इसका मुख्य कारण होंगे पार्टी के नवनियुक्त संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा। पुराने संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ शर्मा की ट्यूनिंग एक घोषित मजबूरी थी और इसका फायदा दोनों को ही मिला।

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नए संगठन महामंत्री के साथ शर्मा का तालमेल बहुत अच्छा है दोनों एक दूसरे के हितों को बहुत अच्छे से समझते हैं। मैदानी स्तर पर अपने नेटवर्क को बहुत मजबूत कर चुके प्रदेश अध्यक्ष अब शर्मा का सधा हुआ साथ मिलने के कारण संगठन में भी बहुत मजबूत हो जाएंगे। कुल मिलाकर भगत के जाने के बाद संगठन में 50-50 का दौर अब समाप्त हो जाएगा और प्रदेश अध्यक्ष की पसंद को ज्यादा तवज्जो मिलने लगेगी। बावजूद इसके भगत समर्थको को निराश होने की जरूरत नही।

इस विवाद में सबसे ज्यादा फजीहत डॉ विक्रांत भूरिया की है

कांग्रेस मंडल और सेक्टर के साथ ही बूथ स्तर पर मजबूत करने में लगे कमलनाथ के लिए झाबुआ अलीराजपुर जिले की कांग्रेस राजनीति में इन दिनों जो चल रहा है वह बड़ी चिंता का विषय है। यहां जोबट में भगोरिया वाले दिन जो कुछ हुआ उससे यह साफ हो गया है की अब कांतिलाल भूरिया और महेश पटेल के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है।

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अब तो कांग्रेस से बाहर किए जाने के बाद महेश और खुले हो गए हैं। भूरिया विरोधी धडे को उनका बाहर से समर्थन मिलना तय है। भाजपा के लिए भी महेश को साधना ज्यादा मुश्किल कम नहीं है। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान डॉक्टर विक्रांत भूरिया को होना है जो आने वाले समय में झाबुआ रतलाम क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। देखते रहिए आगे क्या होता है।

मंत्री भदोरिया के प्रिय पात्र नरेश पाल पर भारी पड़े एमबी ओझा

साल भर पहले जब आईएएस अफसर एमबी ओझा ग्वालियर के संभाग आयुक्त पद से सेवानिवृत्त हुए थे तब से उनके पुनर्वास की चर्चा चल रही थी। अलग-अलग पदों के लिए उनका नाम चर्चा में था लेकिन बात बन नहीं रही थी। ओझा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बहुत पसंदीदा अफसरों में से एक हैं और मुख्यमंत्री की पसंद के चलते ही उन्हे राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण जैसी महत्वपूर्ण संस्था को लीड करने का मौका दिया गया है। वैसे सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया यहां अपने पसंदीदा अफसर नरेश पाल को काबिज करवाना चाहते थे, लेकिन जो स्थिति इन दिनों मुख्यमंत्री और भदोरिया के बीच है, उसके चलते उन्हें सफलता नहीं मिली।

पुलिस मुख्यालय में बरकरार है एडीजी आदर्श कटियार का दबदबा

ना काहु से दोस्ती ना काहु से बैर के कहावत का अनुसरण करने के कारण ही आईपीएस अफसर आदर्श कटियार सत्ता के हर दौर में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति उनके साथ पुलिस मुख्यालय में है। चाहे विवेक जोहरी डीजीपी रहे हो या फिर नए डीजीपी सुधीर सक्सेना पुलिस मुख्यालय में कटियार का दबदबा बना रहा।

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कहां यह जा रहा है की केंद्र से प्रति नियुक्ति पर लौटने के बाद मध्य प्रदेश के डीजीपी की कमान संभालने वाले सक्सेना एडीजी INT की भूमिका निभा रहे कटियार पर बहुत-बहुत भरोसा कर रहे हैं और फील्ड के मामले में जो इनपुट उनसे मिल रहा है उसी से मैदानी पदस्थापना वाले कई अफसरों का भविष्य तय होता नजर आ रहा है।

चलते चलते

तत्कालीन डीजीपी विवेक जोहरी की इच्छा के विरुद्ध मुरैना के एसपी बने और डीआईजी पद पर पदोन्नति के बाद भी कुछ महीने वहीं बरकरार रहे आईपीएस अफसर ललित शाक्यवार भले ही अब पुलिस मुख्यालय में आ गए हो लेकिन जो कागज डीजीपी रहते जोहरी आगे बढ़ा गए थे वह उनके लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं।

पुछल्ला

या तो गांधी भवन के वास्तु में दोष है या फिर पद के साथ कोई दुर्योग जुड़ा है की उजगारसिंह और प्रमोद टंडन के बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बैठने वाले विनय बाकलीवाल भी परेशानी में आ गए हैं। मुंबई में हुई एक बड़ी सर्जरी के बाद बाकलीवाल इन दिनों इंदौर में घर पर ही आराम कर रहे हैं।

अब बात मीडिया की

दैनिक भास्कर का सिटी संस्करण सिटी भास्कर अब डिजिटल फॉर्मेट में भी देखने को मिलेगा। अंकिता जोशी और अभिषेक दुबे को अब डिजिटल प्लेटफार्म के लिए भी मशक्कत करना होगी।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले दैनिक भास्कर अपने डिजिटल प्लेटफार्म सर्वोच्च प्राथमिकता पर रख रहा है।

पत्रिका और नईदुनिया मे आने वाले समय में बड़े बदलाव की आहट है। इसमें वरिष्ठ स्तर के कई साथी प्रवाहित हो सकते हैं।

अग्निबाण पत्र समूह अब होटल इंडस्ट्री में भी प्रवेश कर गया है। समूह के पहले होटल का शुभारंभ पिछले दिनों इंदौर में हुआ।