Rajya Sabha Election: कौन जाएगा राज्यसभा! केपी यादव, स्मृति इरानी, सुरेश पचौरी या कोई और?
दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट
भोपाल: देश के विभिन्न राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों के साथ मप्र की एक सीट के लिए 3 सितंबर को चुनाव होने जा रहा है। यह सीट केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। राज्यसभा की इस एक सीट के लिए भाजपा से आधा दर्जन नेता दावेदार हैं। सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी का है। स्मृति अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार चुकी हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें राज्यसभा के जरिए मुख्य धारा में फिर लाना चाहता है। इसलिए उन्हें मप्र से राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। हालांकि पार्टी की ओर से इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है।
*_0 यादव, पचौरी को दिया जा चुका है आश्वासन_*
– स्मृति इरानी के अलावा पूर्व सांसद केपी सिंह यादव और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को राज्यसभा के लिए गंभीर दावेदार माना जा रहा है। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से भाजपा ने केपी का टिकट काट कर सिंधिया को उम्मीदवार बनाया था। केपी को राज्यसभा के जरिए सांसद बनाने का आश्वासन दिया गया था। अमित शाह प्रचार में आए थे तो ऐलान किया था कि भविष्य में हम केपी सिंह यादव की सेवाएं केंद्र की राजनीति में ही लेंगे। इसे भी राज्यसभा के लिए संकेत माना गया था। दूसरी तरफ खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को भी लोकसभा चुनाव के दौरान राज्यसभा भेजने की शर्त पर भाजपा में लाया गया था। पचौरी पहले भी कांग्रेस की ओर से चार बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। भाजपा नेतृत्व केपी को दिया आश्वासन पूरा करता है या पचौरी की लाटरी खुलती है, इस पर सभी की नजर है।
*0 मिश्रा, पवैया भी कर रहे जोर-आजमाईश*
– केंद्रीय मंत्री सिंधिया चंबल-ग्वालियर अंचल से आते हैं। उनके इस्तीफे से सीट खाली हुई है। इसलिए केपी सिंह यादव के अलावा इस अंचल के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयभान सिंह पवैया भी प्रबल दावेदार हैं। नरोत्तम इस बार दतिया से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं को तोड़कर भाजपा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा भी पार्टी नेतृत्व उनसे कोई न कोई काम लेता रहता है। वे भाजपा के ताकतवर नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नजदीक माने जाते हैं। मिश्रा राज्यसभा पहुंचने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ जयभान सिंह पवैया भी भाजपा के चर्चित वरिष्ठ नेता हैं। वे इस अंचल का हिंदू चेहरा भी हैं। वे भी मुख्य दावेदार बने हुए हैं।
*_0 जातीय समीकरण साधने की कोशिश संभव_*
– इससे पहले फरवरी 24 में भाजपा की ओर से 4 सदस्य चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंच चुके हैं। ये हैं उमेश महाराज, माया नारोलिया, बंशीलाल गुर्जर और एल मुरुगन। एल मुरुगन केंद्र में मंत्री हैं और बाहर को होने के बावजूद पार्टी ने इन्हें मप्र से रिपीट किया था। इन चारों में से एक भी सामान्य वर्ग से नहीं हैं। सभी पिछड़ा एवं अजा वर्ग से आते हैं। इसलिए जातीय समीकरण के लिहाज से सामान्य वर्ग का दावा ज्यादा मजबूत है। पार्टी नेतृत्व ने इस आधार पर निर्णय लिया तो पिछड़े वर्ग के दावेदारों का पत्ता कट सकता है। हालांकि सबसे मजबूत दावेदारी इस वर्ग के केपी सिंह यादव की ही है। क्योंकि उनका टिकट काट कर सिंधिया को लोकसभा का टिकट दिया गया था।
*0 यह है राज्यसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम*
– राज्यसभा चुनाव के लिए 7 अगस्त को अधिसूचना जारी कर दी गई थी। मप्र की एक सीट के लिए बुधवार, 14 अगस्त से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। 22 अगस्त को नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी। नाम निर्देशन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 अगस्त है। मतदान 3 सितंबर को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक होगा। मतगणना एवं परिणाम की घोषणा भी इसी दिन की जाएगी।
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