Rajyasabha Election : बाहरी उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस अपने ही जाल में उलझी

राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नामों को लेकर कांग्रेस भीतर-बाहर घिरी ,BJP ने भी ली चुटकी

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New Delhi : कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारों के नामों को लेकर उलझन में आ गई। कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ से किसी स्थानीय नेता को राज्यसभा में नहीं भेजा जा रहा। दोनों राज्यों से बाहरी नेताओं के नामों की घोषणा की गई है। राजस्थान में 4 सीटों के लिए कांग्रेस की और से जिन नामों की घोषणा की गई, उन्होंने सभी को चौंका दिया। पार्टी ने राजस्थान के नेताओं की उपेक्षा करते हुए बाहरी नेताओं को तरजीह दी। राजस्थान से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी के नाम की घोषणा की गई।                      collage 1653930049435

जबकि, पार्टी राजस्थान की जातियों के नेताओं को लेकर कवायद में लगी थीं। पार्टी नेतृत्व ने राज्य के जातीय समीकरणों का भी ध्यान नहीं रखा। राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम देखकर कांग्रेस के लोकल नेताओं के साथ BJP भी हैरान हो गई।

नामों की घोषणा के बाद राजस्थान कांग्रेस में कलह बढ़ रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने भी तंज किया है। उन्होंने कटाक्ष किया कि कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए की राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता या कार्यकर्त्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के क़्या कारण है! उनका यह ट्वीट चर्चा का विषय बन गया।

इस वजह से पार्टी के भीतर नेताओं का विरोध भी सामने आ रहा है। अप्रत्याशित नामों की घोषणा के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस ने चिंतन शिविर के लिए राजस्थान को चुना, यहां मंथन किया। लेकिन, उन्हें राजस्थान से राज्यसभा में भेजने के लिए कोई प्रत्याशी नहीं मिला। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है।

गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि हमने राजस्थान से 25 लोकसभा सांसद भेजे हैं! उनमें से कोई भी राजस्थान के लिए नहीं बोलता है, लेकिन यह कांग्रेस का दुर्भाग्य है कि उन्होंने पहले राजस्थान से मनमोहन सिंह को भेजा, इसके बाद सिरोही से उम्मीदवार को भेजा। कांग्रेस पहले भी राजस्थान राज्यसभा चुनाव में बाहरी नेता को तरजीह दे चुकी है। कटारिया ने यह बात संयम लोढ़ा की तरफ से उठाए सवाल पर दिया है।

 

छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस फँसी

राजस्थान की ही तरह छत्तीसगढ़ में भी राज्यसभा के उम्मीदवारों को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। यहाँ भी बीजेपी ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया। भाजपा ने कहा कि गैर-छत्तीसगढ़िया उम्मीदवारों को नामांकित कर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के लोगों का अपमान किया। कांग्रेस ने खाली हो रही राज्यसभा की दो सीटों के लिए राजीव शुक्ला और बिहार की पूर्व सांसद रंजीत रंजन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बताएं कि अब उनका तथाकथित छत्तीसगढ़ियावाद कहां चला गया! कांग्रेस आलाकमान के आगे नतमस्तक होकर उन्होंने छत्तीसगढ़ के हितों से समझौता क्यों किया।

साय ने कहा कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की जनता की आंखों में धूल झोंकते हुए दिन में 10 बार छत्तीसगढ़िया-छत्तीसगढ़िया की रट लगाए रहते हैं। कभी भौरा चलाते हैं, कभी पिट्टू खेलते हैं। कभी कुछ और स्वांग करते हैं। लेकिन, जब छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की बात आती है, तब भूपेश बघेल का स्वाभिमान 10 जनपद में गिरवी रखा जाता है। यह कौन-सा छत्तीसगढ़ियावाद है, यह कौन-सी छत्तीसगढ़ की संस्कृति है।

बीजेपी नेताओं के बयान का जवाब देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा नामित दोनों उम्मीदवार योग्य, अनुभवी और समर्पित पार्टी कार्यकर्ता हैं। वे न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश से संबंधित मुद्दों को उठाएंगे। शुक्ला ने आगे कहा कि भाजपा को पहले आत्म अवलोकन करना चाहिए कि वह राज्य में कहां ठहरती है। भाजपा राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को नामित करने के बारे में सोचने की स्थिति में भी नहीं है। उसे कांग्रेस के फैसले पर आपत्ति क्यों है। छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 71, जबकि भाजपा के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के तीन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायक हैं।