Kangana vs Khurshid: कंगना बनाम खुर्शीद में उलझी सियासत

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Kangana vs Khurshid: कंगना बनाम खुर्शीद में उलझी सियासत

फिल्मों की ‘हाट’ अभिनेत्री कंगना रनौत के आजादी को लेकर दिए गए विवादास्पद बयानों के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की नयी किताब ‘ सनराइज ओव्हर इन अयोध्या ‘को लेकर बवाल हो रहा है .34 साल की कंगना रनौत और 68 साल के सलमान खुर्शीद की कोई बराबरी नहीं हो सकती लेकिन ऐसा किया जा रहा है ,ताकि कंगना की मूर्खता पर पर्दा डाला जा सके .कंगना ने जो कहा है वो मूर्खता है लेकिन सलमान ने जो कहा है वो एक लिखित दस्तावेज है .

Kangana vs Khurshid: कंगना बनाम खुर्शीद में उलझी सियासत

बहुत मुमकिन है कि कंगना को आजादी के बारे में पूरी जानकारी न हो .हालांकि कंगना की माँ शिक्षक और पिता व्यवसायी हैं.उनके दादा भाप्रसे के अधिकारी और पितामह हिमाचल विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं . कंगना एक प्रशिक्षित और पुरस्कृत अभिनेत्री हैं और एक ख़ास विचारधारा वाले राजनीतिक दल के करीब हैं.

हाल ही में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया ,लेकिन आजादी के बारे में दिए गए बयान के बाद उन्हें सम्मानित करने वाली भाजपा ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया . कंगना की किस्मत अच्छी है कि उनके मूर्खतापूर्ण बयान के बाद बवाल ज्यादा बढ़ने से पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की किताब आ गयी. इस किताब में खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन की विचारधारा से कर बवाल काटने की कोशिश करने वालों को एक मौक़ा दे दिया .

Kangana vs Khurshid: कंगना बनाम खुर्शीद में उलझी सियासत

सलमान खुर्शीद कंगना की तरह मूर्ख नहीं हैं.उनकी एक विरासत है.उनके पितामह जाकिर हुसैन देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं और सलमान ने भी देश-विदेश से उच्च शिक्षा हासिल की है.सलमान ने इंदिरा गाँधी,और डॉ मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में काम किया.अनेक चुनाव लड़े ,हारे भी जोर जीते भी .

शुरू में वे भी एक विवादास्पद छात्र संगठन से जुड़े,जब इस इस्लामिक संगठन पर पाबंदी लगाईं गयी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस पाबन्दी के खिलाफ मुकदमा लड़ा और जीता भी. देश के विभाजन के आलोचक रहे सलमान खुर्शीद की नयी किताब को लेकर भाजपा की आपत्ति समझ में आती है लेकिन उनकी बराबरी कंगना से करना हास्यास्पद लगता है .

Kangana vs Khurshid: कंगना बनाम खुर्शीद में उलझी सियासत

सलमान खुर्शीद की किताब के पेज नंबर 113 का अध्याय है ‘सैफरन स्काई’, यानी भगवा आसमान. इसमें सलमान खुर्शीद लिखते हैं- हिंदुत्व साधु-सन्तों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो कि हर तरीके से आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है. सलमान ने अपनी बात के समर्थन में तमाम तर्क दिए हैं,अनेक घटनाओं का उल्लेख किया है .

कंगना की मूर्खता पर जैसे कोई उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वैसा सलमान के साथ नहीं हुआ.सलमान के बयान पर भाजपा के ही नहीं कांग्रेस के गुलामनबी आजाद ने भी आपत्ति की लेकिन कांग्रेस ने अभी तक सलमान के बयान से पल्ला नहीं झाड़ा है उलटे कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी परोक्ष रूप से सलमान के बयान के पक्ष में खड़े नजर आते हैं .गुलाम नबी आजाद को सलमान का तर्क अतिश्योक्तिपूर्ण लगता है लेकिन वे इसे पूरी तरह खारिज करने का साहस नहीं दिखा पाते क्योंकि आजाद के पास तर्क नहीं हैं.

सलमान खुर्शीद की किताब विवादास्पद है इसलिए बिकेगी भी हालांकि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है .किसी भी किताब पर प्रतिबंध उस किताब की ज्यादा बिक्री की गारंटी बन जाता है. दुर्भाग्य से मै सलमान खुर्शीद की तरह अब तक कोई विवादास्पद किताब नहीं लिख पाया .

सलमान खुर्शीद जानते होंगे कि वे जो लिख रहे हैं उससे विवाद खड़े होंगे,लेकिन सलमान ने इन विवादों का सामना करने के लिए तर्कों का ढेर लगा रखा है ,वे कंगना की तरह निहत्थे नहीं हैं. सलमान कंगना की तरह आलोचनाओं के बाद भूमिगत नहीं हुए,उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि – ‘मेरी किताब हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करती है. अगर किसी को इससे आपत्ति है तो वे जता सकते हैं. लोग महात्मा गांधी, रामधुन और हिंदू मुस्लिम एकता पर बात क्यों नहीं करते ?

खुर्शीद ने कहा- मैंने इन लोगों (हिंदुत्व वालों को) आतंकवादी नहीं बता रहा। मैंने सिर्फ यह कहा है कि वे धर्म का रूप बिगाड़ने में काफी एक जैसे हैं। जो हिंदुत्व ने किया है, उसने सनातन धर्म को किनारे कर दिया और हिंदुवाद और हिंदुत्व ने बोको हरम और आईएस जैसी मजबूत और आक्रामक स्थिति बना ली है। कांग्रेस नेता ने कहा, “मैं इस तुलना में किसी और के बारे में नहीं सोच पाता। मैंने सिर्फ यह कहा कि वे काफी समान हैं। सिर्फ इतना ही। इसका हिंदुवाद से कोई लेना-देना नहीं। हिंदुत्व सिर्फ धर्म को तोड़-मरोड़ को पेश करने जैसा है।”

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आपको हक है कि आप सलमान के साथ खड़े हों या खिलाफ .लोकतंत्र में अपना पक्ष चुनने का हक है ,लेकिन सलमान के कहे को तर्कों के साथ काटने के बजाय जुबानी जमा-खर्च करने वाले लोगों की फ़ौज सामने आयी है .ऐसे ही लोग हिन्दू और हिंदुत्व का अर्थ बिगाड़ रहे हैं .मै हिन्दू हूँ और इस मामले में सलमान के साथ खड़ा हूँ और मानता हूँ कि सलमान ने जो कहा है वो लगभग सही कहा है .आप मुझे भी गरियाने के लिए आजाद हैं . कंगना के मुताबिक़ जैसे देश को आजादी 1947 में नहीं बल्कि 2014 में मिली है ठीक वैसे ही मुझे लगता है कि देश में हिंदुत्व की परिभाषा को 2014 से पहले कभी विकृत और विवादास्पद नहीं बनाया गया .क्योंकि 2014 से पहले हिंदुत्व ऐसा था ही नहीं जैसा कि उसे निरूपित किया जा रहा है .

सलमान की किताब पर फैसला कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि उसके पाठक दे सकते हैं. इसका फैसला किसी अदालत में नहीं हो सकता हालांकि कुछ लोग इस किताब को लेकर अदालत पहुँच गए हैं .यदि अदालतें धर्म की व्याख्या करेंगी तो क्या देश के सर्वोच्च धर्माचार्य [जिन्हें शंकराचार्य कहा जाता है ] ,वे चाय बेचेंगे ? यदि सलमान की बात में खोट है तो शंकराचार्य गुड़ खाकर क्यों बैठे हैं ?वे बोलते क्यों नहीं हैं ? शंकराचार्यों का काम सियासी लोग क्यों करना चाहते हैं ? आज की स्थिति में तो लगता है कि देश की चरों शंकराचार्य पीठों का अधिष्ठाहता भी भाजपा या संघ के नेताओं को बना देना चाहिए .

सियासत में काम करने वालों को लगता है कि सलमान की किताब से पैदा किया जा रहा विवाद उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में बहुत काम आएगा,इस बयान से कांग्रेस का भत्ता बैठ जाएगा और बाबा दोबारा उत्तरप्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री बन जायेंगे .लेकिन ऐसा कुछ होगा नहीं .होगा वो ही जो प्रदेश की जनता चाहेगी .देश की जनता को अब कंगना की मूर्खता और सलमान की अध्ययनशीलता में फर्क करना सीखना ही पडेगा .

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RAKESH ANCHAL
राकेश अचल

राकेश अचल ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार है। वर्तमान वे फ्री लांस पत्रकार है। वे आज तक के ग्वालियर के रिपोर्टर रहे है।