भिण्ड में राकेश, गोहद में केशव कांग्रेस के खिवैया

कांग्रेस ने गोहद विधानसभा के वर्तमान विधायक का टिकिट काटा

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भिण्ड में राकेश, गोहद में केशव कांग्रेस के खिवैया

भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट

भिण्ड। कांग्रेस द्वारा बीती शाम को जारी की गई दूसरी लिस्ट में आमला को छोड़कर शेष सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है। वहीं तीन पूर्व घोषित प्रत्याशियों को बदला भी गया है।
कांग्रेस द्वारा भिण्ड में एक बार फिर से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं गोहद में सिटिंग एमएलए मेवाराम जाटव का टिकट काट दिया गया है।

चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने वर्ष 2013 में उपनेता प्रतिपक्ष रहते हुए तात्कालिक घटनाक्रमों से क्षुब्ध होकर अचानक कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे। उस समय उनके छोटे भाई मुकेश सिंह चतुर्वेदी को मेहगांव से टिकिट दिलवाया और चुनाव भी जिताया। जबकि 2018 के चुनाव में वह भाजपा के उम्मीदवार के रूप में भिण्ड से चुनाव लड़े। लेकिन राकेश को भाजपा के लोगों का साथ नहीं मिल सका नतीजतन वह खुद के वोट ही बटोर पाए और सीट बसपा के खाते में चली गई। यहां पर भाजपा से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को टिकट मिलने पर नरेंद्र सिंह कुशवाह एक बार फिर भाजपा से बगावत कर सपा से चुनाव लड़े थे। ऐसे में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ही चौधरी राकेश सिंह का जब साथ नहीं दिया तो वह भाजपा छोड़कर वापस कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। हालांकि उनकी वापसी का पुरजोर विरोध अजय सिंह राहुल भैया ने किया, लेकिन सर्वविदित सत्य है कि भिंड में राकेश चौधरी के अलावा कांग्रेस के पास और कोई दमदार विकल्प ब्राह्मण नेता के रूप में नहीं था। हालांकि क्षत्रिय नेता धर्मेंद्र सिंह पिंकी भदौरिया क्षेत्र में जमकर पसीना बहा रहे थे।

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लेकिन भिण्ड में ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच मे ही टक्कर रहती है और भाजपा दो क्षत्रिय नेता लाइन में हैं ऐसे में कांग्रेस के पास दमदार ब्राह्मण जिताऊ चेहरा केवल चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी का ही था और उन पर भरोसा जताते हुए कांग्रेस ने चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को टिकट दिया है। भाजपा द्वारा अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि भाजपा किसी क्षत्रिय प्रत्याशी को ही मैदान में उतरेगी चाहे वह संजीव सिंह कुशवाह हों या नरेंद्र सिंह कुशवाह। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों में से ही किसी एक को टिकट मिलने पर दूसरा बगावत कर सकता है। साथ ही इस बार टिकिट ना मिलने पर भाजपा नेता रविसेन जैन भी बगावत के मूड में हैं। ऐसे में नुकसान भाजपा का ही होगा। वहीं पहले से ही भाजपा के रक्षपाल सिंह राजावत बसपा में शामिल होकर मैदान में घूम-घूम कर प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। साथ ही कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में सम्मिलित हुए राहुल सिंह कुशवाह भी क्षेत्र में सक्रियता से चुनाव प्रचार कर रहे हैं इसका सीधा फायदा कांग्रेस को ही मिलता नजर आ रहा है।

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वहीं एससी के लिए आरक्षित गोहद विधानसभा से कांग्रेस के मेवाराम जाटव वर्तमान में विधायक हैं। वह 2020 के उप चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रणवीर जाटव को हराकर विधायक बने थे। लेकिन उनका परफॉर्मेंस काफी खराब रहा और सर्वे में भी काफी नेगेटिव रिपोर्ट पहुंची। ऐसे में उनका टिकट काटकर केशव देसाई को दे दिया गया है। बताया जा रहा है कि गोहद क्षेत्र में केशव देसाई की छवि काफी अच्छी है और वह भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। हालांकि लाल सिंह आर्य भी काफी साफ स्वच्छ छवि के नेता हैं। केशव देसाई पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं ऐसे में लाल सिंह आर्य को पहले की एंटी इनकन्वेंसी का सामना करना पड़ सकता है।