Ram Mandir in Ayodhya:भारत की मानसिक गुलामी से मुक्ति का महापर्व

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Ram Mandir in Ayodhya:भारत की मानसिक गुलामी से मुक्ति का महापर्व

यूं तो कहने को हम 1947 में स्वतंत्र देश बन गये। पहले मुगलों की,फिर अंग्रेजों की दासता से मुक्ति का पर्व हमने 15 अगस्त 1947 को मनाया। यह गुलामी निरंतर थी तो हमने माना कि दोनों आततायियों से हमें निजात मिली। यह भारत के इतिहास में बेहद अहम पल था। छह सदी से अधिक समय की घुटन से बाहर निकलकर हमने सांस ली थी। फिर भी इन सात दशकों में लगता रहा कि कुछ बड़ी कमी हमारे अस्तित्व में है। बेड़ियां कुछ ऐसी हैं जो दिखाई नहीं देती। हमा्रा मन बोझिल,उदास,बेचैन और परतंत्र था। ये कसक नासूर बनने की हद तक जा चुकी थी। इस बीच दशकों से लंबित न्यायालयीन प्रक्रिया तेज होकर सनातनी मान्यताओं की शाश्वतता की स्वीकार्यता का ऐसा एक फैसला आया, जिसने प्रत्येक हिदुस्तानी के मन-मस्तिष्क को झंकृत,अलंकृत,आनंदित,मुदित कर दिया। यह था अयोध्या की विवादित भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी की जन्म भूमि मानने का पल। बस,उस दिन भारत पूरी तरह से स्वतंत्र हुआ। एक संप्रभु राष्ट्र भौतिक,दैहिक,मानसिक,आध्यात्मिक तौर पर प्रतिष्ठित,प्रस्थापित हुआ। यह नया भारत है। सच्चे अर्थों में स्वतंत्र,आत्म निर्भर,संपूर्ण राष्ट्र। राम लला फिर अयोध्या के सरयू तट पर विराजित हो रहे हैं। यहां से एक नये,ऊर्जावान,सशक्त,संपूर्ण राष्ट्र का सफऱ प्रारंभ होता है। इतिहास में यह दिन सर्वाधिक उल्लेखनीय,अविस्मरणीय रहेगा।

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आज का दिन गड़े मुर्दे उखाड़ने का बिलकुल नहीं है, बल्कि उन बुरे दिनों की मर्मांतक यादों को गहरे दफन कर देने का है।वह मोदी युग के पहले के भारत की पीड़ा,छल,भुलावे और भ्रमजाल की गिरफ्त का मनहूस दौर था। 22 जनवरी 2024 से मोदी युग के नये,बेहतर,उज्ज्वल,सामर्थ्यवान भारत की परिभाषा लिखी जा रही है। जैसे काल गणना विक्रम संवत से की जाती है, वैसे ही इस धरती तल पर प्राचीन भारत के समान सनातनी परंपरा, वैभव, चेतनता, समृद्धि,कूटनीतिक कुशलता,विकास की ललक से भरे राष्ट्र का आकलन मोदी युग (2014)से किया जायेगा।

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स्वतंत्रता(1947) के समय जो माहौल रहा होगा,उसकी छवि निहारने वाले लोग अब मुट्‌ठी भर ही बचे होंगे। फिर भी हम किताबी बातों और जनश्रुति से उन पलों के चरम आनंद और संतोष का एक शीतल झोंका तो महसूस कर ही सकते हैं, लेकिन इस पल को तो हमें जी भर जीने का और आजीवन संजोये रखने का वो अपरिमित सुख मिलने जा रहा है, जो शब्दों की परिधि से परे है। अनंत की तरह विस्तृत,विशालकाय,विस्मृत करने वाला,अवर्णनीय । यह भारत की मानसिक गुलामी से स्थायी मुक्ति का वो परम अवसर है, जो किसी राष्ट्र के भाग्य में एक बार ही आता है। ये वो राष्ट्र होते हैं, जो गुलामी की चीरकालीन अंधेरी रात का साया ओढ़े ऐसे सोये रहते हैं, जैसे वह घुप्प अंधियारा ही उनकी नियति है।

मंदिरों से भारत में आर्थिक क्रांति के लिए नए रास्ते 

 

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अभी एक दशक पहले तक भारत ऐसा ही राष्ट्र था। निराशावादी,पराधीन सोच से परिपूर्ण,अवलंबित,दया का पात्र,विकास को मोहताज और किसी तरह की उमंग से दूर। फिर एक ऐसा सक्षम नेतृत्व उभरा,जसने देश की उम्मीदों को जागृत कर दिया। नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री जन-जन में जोश भर दिया। विकास व समृद्धि की कल-कल धारा प्रवाहित कर दी। आत्म निर्भरता का बीज बो दिया। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के दिल-दिमाग से हीनता बोध को बाहर निकाल फेंका। सनातन मूल्यों को अंगीकार कर उसे राष्ट्र की पहचान बना दिया। यह वो दौर है, जब देश का प्रधानमंत्री गर्व भाव से मंदिरों की परिक्रमा करता है,साष्टांग प्रणाम करता है,माथे पर तिलक धारण करता है,अभिषेक-अनुष्ठान करता है और जिसके अनुचर,सहकर्मी,सुरक्षा सहायक धोती धारण कर अपने कर्तव्य का पालन भी करते हैं।ऐसा दृश्य आज के भारत में ही संभव है।

Personality of Lord Shri Ram: समसामयिक संदर्भ में प्रभु श्रीराम का व्यक्तित्व 

आप यह मानकर चलिये कि 22 जनवरी 2024 के बाद का भारत एकदम अलग,नया,सर्व शक्तिमान,आत्म निर्भर और वैश्विक परिदृष्य का चमकते सितारे की तरह रहेगा। वह किसी के आगे हाथ नहीं फैलायेगा, बल्कि दान देने के लिये उसके हाथ ऊपर रहेंगे। वसुधैव कुटुंबकम का वास्तविक हिमायती ।किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपदा होती है,उसके नागरिक। यदि वे ग्लानि से भरे,कुंठित और सामर्थ्यवान नहीं हैं तो पूरे देश की भौतिक समृद्धि कोई मायने नहीं रखती। यह पहली बार है, जब इस देश का बच्चा-बच्चा राम लला के आगमन से हर्षित,अभिभूत है। राम के वनवास समाप्ति पर अयोध्या में दिवाली मनी,जो बाद में समूचे राष्ट्र का राष्ट्रीय त्यौहार बन गया। एक वह दिवाली थी, जब राम लौटे तो कार्तिक के कृष्ण पक्ष की काली रात अमावस की कालिमा से परिपूर्ण होते हुए भी दीयों की रोशनी से जगमग हो उठी थी। जबकि इस समय पौष का शुक्ल पक्ष है,जिसने समूची वसुंधरा को अंधकार से मुक्त कर रखा है। यह खगोलीय संयोग और भी प्रकाशमान हो उठा, जब राम ने देश को वैसी ही दिवाली मनाने का अप्रतिम अवसर प्रदान किया है। इस घटना ने साबित कर दिया कि राम तो इस देश को रोम-रोम में हैं। कण-कण में हैं। जिसे अब तक दिखाई नहीं दिये, वह दुर्भाग्यशाली है।

22 जनवरी 2024 का दिन न भूतो न भविष्यति है।खास तौर से भारत का जन-जन इस दिन को देख पा रहा है तो मानकर चलिये कि यह हमारा पुण्य काल चल रहा है।जिस तरह से भाग्य चक्र में वे सारे सितारे,जो अनुकूल फल प्रदान करने वाले होकर एक पंक्ति में आ जाते हैं, वैसा ही संयोग भारत के भाग्य में उपस्थित हुआ है। रामजी करेंगे बेड़ा पार।

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।