
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ संग जिन्दा रहेंगे ‘राम सुतार’…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कुछ कुछ कलाकृतियाँ इतनी बेजोड़ और अदभुत होती हैं कि उनके साथ साथ उनको बनाने वाले कलाकार हमेशा जिंदा रहते हैं। और कुछ-कुछ शिल्प ऐसे होते हैं कि उनको आकार देने वाले शिल्पकार उस शिल्प में नजर आते रहते हैं। दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को आकार देने वाले राम सुतार भी वही नाम है जो हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गया है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ जब तक रहेगी तब तक राम सुतार भी इस दुनिया में बने रहेंगे।
इतालवी बहुज्ञ लियोनार्डो दा विंची ने अनेक क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वे विविध क्षेत्रों के ज्ञाता थे, जिन्होंने आविष्कार, कलात्मकता और अभूतपूर्व अन्वेषण के माध्यम से ज्ञान के कैनवास को रंगीन बना दिया। उन्हें “वर्जिन ऑफ द रॉक्स”, “विट्रुवियन मैन”, “द लास्ट सपर”, “मोना लिसा” आदि जैसे कार्यों के लिए पहचान मिली। “मोना लिसा” का चित्र जब तक याद किया जाएगा तब तक ‘लियोनार्डो दा विंची’ का नाम भी सबकी जुबां पर रहेगा। पाब्लो रुइज़ वाई पिकासो, जिन्हें पाब्लो पिकासो के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुमुखी स्पेनिश कलाकार थे , नवाचार के उस्ताद थे, जिन्होंने क्यूबिज़्म के साहसिक स्ट्रोक के साथ कला जगत को आकार दिया और अपने द्वारा छुए गए हर माध्यम में रचनात्मकता को फिर से परिभाषित किया। माइकल एंजेलो डि लोडोविको बुओनारोटी सिमोन, जिन्हें माइकल एंजेलो के नाम से जाना जाता है, एक इतालवी मूर्तिकार, चित्रकार, वास्तुकार और कवि थे। उन्हें ‘ पिएटा ‘ नामक मूर्ति के लिए प्रसिद्धि मिली, जिसमें मैरी मृत ईसा मसीह को अपने घुटनों पर सहारा देती हैं। यह मूर्ति कैरारा संगमरमर के एक ही टुकड़े से बनाई गई थी। रेम्ब्रांट, एक डच चित्रकार , इतिहास के महानतम यूरोपीय चित्रकारों में से एक माने जाते हैं । वे 17वीं शताब्दी में डच स्वर्ण युग के दौरान रहते थे , जो व्यापार, विज्ञान, सैन्य और कला में उत्कृष्टता से चिह्नित था। उनकी पेंटिंग ‘डॉ. निकोलेस टल्प का शरीर रचना विज्ञान पाठ’ (1632) चिकित्सा जगत में काफी चर्चित है। इस तेल चित्र में उन्होंने प्रसिद्ध डच सर्जन डॉ. निकोलेस टल्प को चिकित्सा पेशेवरों को बांह की मांसपेशियों की संरचना समझाते हुए चित्रित किया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव के एक कलाकार ऐसे हैं जिन्होंने मिट्टी की कलाकारी के जरिए देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। कोंडागांव के शिल्प ग्राम कुम्हार पारा में यूं तो कई शिल्पकार रहते हैं, लेकिन यहां रहने वाले अशोक चक्रधारी की अपनी खास पहचान है। बस्तर के पारंपरिक शिल्प झिटकू-मिटकी के नाम से उन्होने एक कला केंद्र स्थापित किया है। इसी तरह मध्य प्रदेश में चंद्रसेन जाधव का नाम है। ग्वालियर के ये मूर्तिकार अपनी कला के लिए बहुत प्रसिद्ध थे, जिनकी मूर्तियों को देखने दूर-दूर से लोग आते थे। प्रभात राय ने अपनी कला को जेयू से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद आगे बढ़ाया और सनातन धर्म मंदिर जैसे स्थानों पर काम किया। टिगरिया गाँव के बलदेव भरेवा अपनी पारिवारिक परंपरा को निभाते हुए भरेवा शिल्प कला को जीवित रखे हुए हैं, जो अपनी कलात्मक नज़र के लिए जाने जाते हैं।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार पद्म भूषण राम सुतार का 100 वर्ष की आयु में नोएडा में निधन हो गया है, जिससे कला और संस्कृति जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
इसी तरह देश के महान मूर्तिकार राम वंजी सुतार, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को आकार दिया, अब हमारे बीच नहीं रहे। वह 100 वर्ष के थे। कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे पद्म भूषण से सम्मानित राम सुतार ने नोएडा में अपने घर पर ही आखिरी सांस ली। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके बेटे अनिल सुतार, जो खुद एक कुशल शिल्पकार हैं, ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है।
राम सुतार ने महज एक मूर्तिकार के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्र के गौरव को जीवंत करने वाले कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाई। सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या महात्मा गांधी की ध्यानमग्न मुद्रा वाली प्रतिमाएं , उनके हाथों से निकली हर रचना देश की स्मृतियों में अमर हो गई। 1925 में महाराष्ट्र के एक साधारण परिवार में जन्मे सुतार ने छेनी-हथौड़ी से सपनों को तराशा और भारत को विश्व स्तर पर गौरवान्वित किया।
शिल्पकार केवल एक वस्तु निर्माता ही नहीं होता और शिल्पवस्तु केवल एक सुंदर वस्तु ही नहीं होती बल्कि इसका सृजन एक विशेष कार्य के लिए, आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए किया जाता है। और जब इसमें राष्ट्र का गौरव समा जाए तब शिल्पकार अमर हो जाता है। इसीलिए राम सुतार का नाम स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के साथ हमेशा जिंदा रहेगा…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





