Ratapani Forest: वनवासी घर छोड़ने को तैयार नहीं, नहीं बन पाया बाघों का कोर एरिया
भोपाल। राजधानी में रातापानी के पास के दो गांवों को हटा कर वहां पर ग्रासलैंड बनाने की योजना पर 12 साल से काम नहीं हो पाया है क्योंकि वहां के वनवासी अपनी जमीन और घर छोड़ने को ही तैयारनहीं हुए। इससे बाघों का कोर एरिया भी नहीं बन पाया। इससे पहले वन विभाग ने बाघों का कोर एरिया बनाने के लिये रातापानी में दो गांवों का विस्थापन करने की योजना बनायी थी।
*15 लाख रूपये मिलने थे*
रातापानी के पास के इन गांवों को परिवारों की प्रत्येक यूनिट को विस्थापित होने पर 15 लाख रुपए देने की बात कही गयी थी। पर लोग नहीं माने। ग्राम जैतपुर सजोली में 3 प्रतिशत वन ग्रामवासियों ने भी इस शिफ्टिंग का विरोध किया। पूर्व में विस्थापित किए गए गांव दांतखोह में भी ग्रासलैंड तैयार किया गया है। गौर तलब है कि यहां विस्थापित होने वाले नीलगढ़ में 65 परिवारों में 110 सदस्य जबकि धुनवानी में 67 परिवारों में 107 सदस्य हैं जो अपनी जमीन को नहीं छोड़ना चाहते हैं।
*जंगल सफारी हुई शुरू*
रातापानी सेंचुरी में जंगल सफारी शुरू हो चुकी है। इसके लिए प्रबंधन जगह-जगह ग्रास लैंड तैयार कर रहा है ताकि सफारी के दौरान पर्यटकों को वन्य प्राणी आसानी से नजर आएं। ग्रास लैंड बनाने के लिए प्रबंधन ने सेंचुरी के अंदर स्थित 8 ग्राम को विस्थापित करने की योजना बनाई थी जिससे बाघों का कोर एरिया बढ़ता और उनके मूवमेंट को भी सहज किया जा सकता।