Ratapani Strategy : चुनाव की चुनौतियों पर रातापानी में 10 घंटे का मंथन, आदिवासी प्रमुख मुद्दा

मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडलों में नई नियुक्तियों पर चर्चा

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Ratapani Strategy : चुनाव की चुनौतियों पर रातापानी में 10 घंटे का मंथन, आदिवासी प्रमुख मुद्दा

Bhopal : बीजेपी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी। BJP कोर ग्रुप की बैठक शनिवार को रातापानी में हुई। राजधानी से 40 किलोमीटर दूर रातापानी जंगल में बीजेपी कोर ग्रुप की 10 घंटे की बैठक में कई मुद्दों पर। पार्टी के कमजोर पहलुओं के साथ मंत्रिमंडल विस्तार के और निगम मंडलों में खाली पदों को लेकर बातचीत हुई। सरकार की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दिया गया। जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को सुनिश्चित किया गया। लेकिन, बैठक के बाद बाहर निकल रहे नेताओं ने बैठक में बारे में बोलने से परहेज किया।

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इस बैठक में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए। मीटिंग से मीडिया को दूर रखा गया है। बैठक स्थल से 5 किलोमीटर पहले ही मीडिया को रोक दिया गया। बैठक में उज्जैन में पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे के साथ ही सीनियर विधायकों और नेताओं को निगम-मंडलों में एडजस्ट करने पर भी चर्चा की गई। इस बैठक में मंत्री, विधायकों के परफॉर्मेंस पर भी चर्चा हुई। मीटिंग मिशन-2023 पर केंद्रित हो गई है। विधायकों को अगले एक साल में परफॉर्मेंस सुधारने को कहा गया है। आदिवासियों को साधने पर भी रणनीति बनाई जा रही है। बैठक में हुई चर्चा के बाद जल्द ही मप्र में सत्ता और संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

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वर्तमान और भविष्य की योजना और चुनौतियों पर चर्चा हुई। कार्यकर्ताओं के सामने जो चुनौतियां हैं उनके बारे में योजनाएं बनाई गई है। जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लक्षित वर्ग के जीवन परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर बातचीत की गई। सरकार की योजनाओं के लाभ के माध्यम से कार्यकर्ताओं को ताकत देने का काम किया जाएगा। बताया गया कि सत्ता और संगठन में बदलाव या किसी की भूमिका पर कोई बातचीत नहीं हुई। बूथ सशक्तिकरण को लेकर योजनाएं बनाई गई। 2023 हो या 2024 भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव को गंभीरता से लेती है, इसलिए काम की समीक्षा की गई।
बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, वीरेंद्र खटीक और फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, नरोत्तम मिश्रा, लाल सिंह आर्य, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ल, कविता पाटीदार, ओमप्रकाश धुर्वे शामिल हुए।

आदिवासियों को लुभाने पर चर्चा
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 अक्टूबर को उज्जैन दौरे के अलावा आदिवासी वर्ग को आकर्षित करने की भी रणनीति पर चर्चा हुई। बताया गया कि आदिवासी नेतृत्व को भी तवज्जो देने की बात सामने आ रही है। मंत्रियों और विधायक को एक साल में परफॉर्मेंस बेहतर करने की बात कही गई। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण, सीनियर विधायक और नेताओं को निगम मंडलों में एडजस्ट करने, परिवारवाद, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को रोकने, तय कार्यक्रमों को समय-सीमा में पूरा करने के संबंध में भी चर्चा की गई।

धार्मिक माहौल बनाने पर जोर
बीजेपी की कोशिश है कि प्रधानमंत्री के उज्जैन दौरे के जरिए हर गांव में धार्मिक माहौल तैयार किया जाए। 11 अक्टूबर को शाम साढ़े 6 बजे से गांवों के मंदिरों पर भजन-कीर्तन, दीप प्रज्ज्वलन जैसे कार्यक्रम करने के साथ ही उज्जैन के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाए, ताकि महाकाल लोक की विशेषताओं को लोग जान सकें। स्थानीय कार्यकर्ताओं को लोकल लेवल पर टीवी, एलसीडी स्क्रीन के अलावा प्रोजेक्टर पर प्रसारण दिखाने के लिए इंतजाम करने को कहा गया है।

निगम-मंडलों में नियुक्तियों पर चर्चा
बीजेपी के सामने पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए कई चुनौतियां हैं। बीजेपी में कई सीनियर नेता राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। सरकार में तमाम निगम-मंडलों में पद खाली पड़े हैं। मंत्रिमंडल में शामिल होने के इंतजार में बैठे विधायकों के अलावा सीनियर नेताओं को भी इनमें एडजस्ट किया जाएगा। पंचायत और नगरीय निकाय के चलते निगम-मंडलों की नियुक्तियां अटक गई थीं। बैठक में निगम-मंडल में एडजस्ट होने वाले नेताओं के नामों पर भी चर्चा की गई।

आदिवासी वर्ग में पैठ बढ़ाने की प्लानिंग
साल 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में बनी सरकार के बाद से पार्टी को लगातार आदिवासी क्षेत्रों की सीटों में खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्र में हुए नुकसान के बाद अब बीजेपी ने आदिवासियों को साधने में जोर लगा दिया। हालांकि नगरीय निकाय के चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस की कई परंपरागत नगर पालिका और नगर परिषदों को जीतने में कामयाबी हासिल की है।