रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट
रतलाम स्थित सीएचएल जैन दिवाकर अस्पताल का पंजीयन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश पर निरस्त कर दिया गया।
कलेक्टर के निर्देश पर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची टीम को यहां एक भी रेसीडेंट डॉक्टर नहीं मिला। जबकि निजी अस्पतालों में 24 घंटे एक डॉक्टर की ड्यूटी अनिवार्य रूप से निर्धारित की गई है। जबकि निरीक्षण में मौके पर एक भी डॉक्टर नहीं मिला इसके बाद अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई हुई।
रतलाम शहर के सीएचएल जैन दिवाकर अस्पताल का पंजीयन निरस्त हो गया। कलेक्टर के निर्देश पर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची टीम को यहां एक भी रेसीडेंट डॉक्टर नहीं मिला।
मामले की जानकारी कलेक्टर तक पंहुंची तो आनन फानन अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की गई।
बता दें कि सीएचएल जैन दिवाकर अस्पताल शहर के सबसे महंगे अस्पतालों से एक है।जो कोरोना काल में बहुत चर्चा का विषय बना। अस्पताल के विरुद्ध कोरोना काल में अत्याधिक शुल्क वसूलने के मामले सामने आए थे, परंतु तकनीकी कारणों से अस्पताल पर कार्रवाई नहीं हुई।
बता दें कि जिले में नर्सिंग होम के संदर्भ में अधिक शिकायतें हैं, नर्सिंग होम एक्ट के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने के संबंध में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश पर दल का गठन करके निजी अस्पतालों का निरीक्षण किया जा रहा है।
मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर ननावरे ने बताया कि 6 नवंबर को शहर के सीएचएल जैन दिवाकर अस्पताल का निरीक्षण किया गया।निरीक्षण के दौरान सीएचएल अस्पताल में एक भी रेजीडेन्ट चिकित्सक उपस्थित नहीं पाया गया।
इस संबंध में विभाग द्वारा कार्यवाहीं करते हुए संस्था का नर्सिंग होम एक्ट (म.प्र.उपचयार्गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा नियम 1977 अंतर्गत पंजीयन निरस्त किया गया है।
कोरोना काल के दौरान रतलाम के निजी अस्पतालों सहित जिले के अन्य निजी अस्पतालों में इसी तरह की अनियमितता सुनने को मिलती रही है। जहां मरीजों के परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है। कलेक्टर ने ऐसे अस्पतालों की पड़ताल करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।जिन पर भी कार्यवाही होना निश्चित हैं।