Ratlam News: कब थमेगी श्वानों के प्रति हिंसा,जिम्मेदार कौन,पशुप्रेमी या निगम के गैर जिम्मेदार अधिकारी

_sterilization सेंटर में भूख प्यास से तड़प रहें हैं श्वान_

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रतलाम से रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट

Ratlam: शहरी क्षेत्रों में बढ़ती डॉग बाइट की घटनाएं,बढ़ती हुई श्वानों की संख्या और इन पर अंकुश लगाने वाले सरकारी तंत्र के निम्न स्तरीय उपाय।

श्वानों की बढ़ती संख्या के नियंत्रण को लेकर सरकार के sterilization केन्द्र पर अव्यवस्थाओं का अंबार,भीषण गर्मी में श्वानों पर हो रहे अत्याचार और लापरवाही का परिणाम यह हैं कि श्वान तड़प तड़प कर परेशान होकर चित्कार कर रहे हैं।

जिनकी और देखने वाले जिम्मेदार अधिकारी मौके से नदारद है।

हां हम बात कर रहे हैं रतलाम जिले के ग्राम जुलवानिया में पिछले कुछ माह पहले नगर निगम द्वारा संचालित किए गए sterilization सेंटर की, जहां पर पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा निगम कर्मचारियों द्वारा पकड़े गए श्वानों का बधियाकरण किया जा रहा है।

नगर निगम के माकूल इंतजामात के अभाव में इन श्ववानों को पकड़ने से लेकर उनके बधियाकरण करने

में कई खामियां और कमियां सामने आई है।जिसमें गली मोहल्लों से आंवारा श्वानों को पकड़ने से लेकर उनका उपचार करते हुए बघियाकरण करने में सात से आठ दिनों का समय लगता है।जिसके बाद इन श्ववानों को निगम के कर्मचारियों द्वारा जिस क्षेत्र से पकड़ा गया है उसी क्षेत्र में वापस छोडना रहता है।लेकिन लोगों का कहना है कि दुर्भाग्य है उन श्वानों का जिन्हें जिस क्षेत्र से पकड़ा है उस स्थान पर नहीं छोड़ा जा रहा है।

 

शहर के कई क्षेत्रों के रहवासियों की शिकायतें है कि हमारे मोहल्ले के श्वान को निगम की गाड़ी में कर्मचारी पकड़ कर ले गए थे, जिनको वापस नहीं छोड़ा गया।

नगर निगम द्वारा श्वानों को निर्दयता से पकड़ने के तरीके को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए।इन श्वानों को बर्बरता पूर्वक उनके मूल स्थान से उठा कर शहर से कई किलोमीटर दूर सड़कों पर छोड़ा जाता रहा है,जहां उनको न खाने को कुछ मिलता न पीने को पानी।शहर में तो आंवारा श्वान को गली मोहल्लों में खाने को मिल जाता है और बहने वाली गटरों का पानी पीकर जिवित रह जातें हैं,इधर पकड़े हुए श्वानों को गांव की सड़कों पर छोड़ देने से भूख प्यास और अंजान स्थान देखकर ही यह दम तोड देते हैं।ऐसे इंतजामात से श्वानों के प्रति हिंसा को बढ़ावा देकर श्वानों की निर्मम हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा हैं।

 

रतलाम के sterilization सेंटर की हालत देखते नहीं बनती है जहां शहर से इनके बधियाकरण को लेकर पकड़ कर लाया जा रहा है और जिस स्थान पर इनको बंद किया जा रहा है वहां इन बेबस श्वानों को खाने पीने की व्यवस्थाओं के अभाव में तड़पते देखा जा सकता है।एक और भीषण गर्मी का प्रकोप दुसरी और इनके खाने पिने की अव्यवस्था बड़ा ही दुःख भरा है।

पकड़े गए इन श्वान को बधियाकरण केन्द्र पर एक सप्ताह तक रखा जाता है।

जहां इन सात दिनों में श्वानों की हालत बद से बद्तर हों जाती है।

शहर के पशुप्रेमियों द्वारा निगम की इन अव्यवस्थित गतिविधियों को लेकर विरोध जताया जाता है,तो उन पर कानूनी कार्रवाई का चाबुक चल जाता है।

हाल ही में एक घटना शहर में सामने आई थी जहां पशुप्रेमियों के विरुद्ध नगर निगम के अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज कराते हुए उन पर नानबेलेबल धारा लगवा दी।ऐसे में पशुप्रेमियों की न्यायालय में जमानत अर्जी खारिज हो जाने पर वह भागते दौड़ते रहे हैं।यह सोचने का विषय है कि परोपकार की भावना मन में लेकर सड़कों पर दिन रात अपनी सेवाएं प्रदान करने वाली टीम को जिला प्रशासन इतनी कड़ी कार्रवाई कर क्या दर्शाना चाहता है।

बता दें कि जिन लोगों के विरुद्ध कार्यवाहीं की गई है उनमें दो महिलाएं भी हैं जो अपनी जमानत याचिका के निरस्त हो जाने पर न्यायालय में चक्कर लगाने को बेबस है।

पशुप्रेमियों द्वारा निगम प्रशासन का विरोध करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार कर उनको धमकी दी जा रही है कि आप हमारे कार्य में बांधा पहुंचाएंगे तो जिला अधिकारी द्वारा आप पर कार्यवाहीं की जाएगी।ऐसे में पशुप्रेमियों पर कार्रवाई होने से दुसरे पशुप्रेमियों में प्रशासन का खोफ उत्पन्न हुआ है।

जब सरकारी विभाग ही पशुओं के अधिकारों का हनन कर और क्रूरतापूर्ण कार्यों को अंजाम दे रहे हैं तो समाज में जानवरों के प्रति हिंसा ही बढ़ेगी और हर कोई अपना तर्क देकर बेगुनाह ठहराया जायेगा।जिसका पहला गुस्सा पशुप्रेमी जो कि सड़क के जानवरों को बचाने के लिए सीधे जनता से जुड़े हुए है,इन सभी गैर-कानूनी कार्यों से पशु सेवकों एवं पशु-सहायकों को समाज में मारपीट,झगड़ों एवं आक्रोश इत्यादि समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं।