Ratlam’s Daughter Creates History : रतलाम की बेटी ने साइकलिंग में रचा इतिहास!

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Ratlam’s Daughter Creates History : रतलाम की बेटी ने साइकलिंग में रचा इतिहास!

देशभर से आए खिलाड़ियों को पछाड़कर हासिल किया स्वर्ण पदक!

पहाड़ों और सड़कों पर फर्राटे से साइकल चलाने वाली बेटी का गांव ने किया सम्मान!

Ratlam : जिले के छोटे से गांव में रहने वाली बेटी ने कीर्तिमान रचकर पूरे देश के सामने नाम रोशन किया है। अम्बोदिया की हेमलता धाकड़ ने साइकलिंग में देशभर से आए खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। कीर्तिमान के साथ उन्होंने अब तक का बेस्ट टाइम देते हुए रिकार्ड भी कायम किया है। उनकी इस उपलब्धि के बाद घर लौटने पर गुरुवार को गांव वालों ने उनका भव्य स्वागत भी किया।

हेमलता ने बताया कि हाल ही में हुई अंतर विश्वविद्यालय साइकलिंग प्रतियोगिता का आयोजन बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय ने करवाया था। इसमें देश भर के विश्व विद्यालयों से आए खिलाड़ियों के लिए अखिल भारतीय साइकिलिंग (रोड) पुरुष एवं महिला चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता में हेमलता धाकड़ ने 30 किलोमीटर महिला टीम टाइम ट्रायल में 47 मिनट 59 सेकंड 52 माइक्रोसेकंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता। गांव लौटने पर किसान नेता डीपी धाकड़ समेत गांव के लोगों ने हेमलता के साथ ही उनके कोच किशन कुमार पुरोहित और परिवार का भी सम्मान किया।

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टीवी पर देखा, अकेले ही निकल पड़ी सीखने!

हेमलता ने बताया कि उनके पिता गोपाल धाकड़ मजदूरी का काम करते हैं। 2016 में दूरदर्शन पर ओलम्पिक खेलों का प्रसारण हो रहा था। इसी दौरान उन्हंोने पहली बार साइकिंलग रेस प्रतियोगिता को देखा और मन बना लिया कि वे भी इसमें भाग लेकर एक दिन ओलम्पिक में भारत के लिए मेडल लेकर आएंगी। उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई ग्राम अम्बोदिया के शासकीय स्कूल और 12वीं तक की पढ़ाई ग्राम बिलपांक शासकीय स्कूल से की। हेमलता ने बताया कि खेल विभाग से मदद चाही, लेकिन उन्हें कोई मदद या जानकारी नहीं मिली। पंरतु परिवार और फिर बिलपांक स्कूल में महिला शिक्षकों ने उन्हें प्रेरित किया। इस पर यूट्यूब पर साइकलिंग रेस की तैयारियों के वीडियो देखते-देखते हेमलता ने गांव से ही अकेले साइकलिंग की प्रैक्टिस शुरु कर दी इसके बाद पिता ने साथ दिया और खास साइकिल भी खरीदकर दी।

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कई बार कर चुकी है राष्ट्रीय खेलों में मुकाबला!

हेमलता ने बताया कि रतलाम के बाद उन्होंने इंदौर जाकर तैयारी की, लेकिन शासकीय स्तर पर कोई मदद नहीं मिली। कोच किशन कुमार पुरोहित और राजस्थान के बीकानेर में पढ़ाई के दौरान महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में कोचिंग और प्रैक्टिस के अवसर मिले। कई बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मप्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। माउंटेन साइकलिंग स्पर्धाओं में भी भाग ले चुकी हैं और अरुणाचल प्रदेश के तवांग और उत्तराखंड में खेलों इंडिया नेशनल गेम्स में भी पदक हासिल कर चुकी हैं। उनका सपना ओलम्पिक में खेलकर मेडल लाने का है।