बंगले में अवैध निर्माण और चुनाव (illegal construction and election in bungalow)!

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बंगले में अवैध निर्माण और चुनाव (illegal construction and election in bungalow)!

मप्र राज्य निर्वाचन आयोग को अगले कुछ सप्ताह में पंचायतों और नगरीय संस्थाओं के चुनाव कराने हैं। लेकिन निष्पक्ष चुनाव को लेकर अभी से संशय की स्थिति बनने लगी है। दरअसल आयोग के एक आला अधिकारी का भोपाल के टाइगर मूवमेंट क्षेत्र में आलीशान बंगला है, जिसमें वे रहते हैं। जिस क्षेत्र में यह बंगला है वह लो-डेन्सिटी इलाका है। यहां प्लाॅट साइस से मात्र 6 प्रतिशत निर्माण की अनुमति है। लेकिन आयोग के प्रमुख अधिकारी ने अनुमति से आठ से दस गुना ज्यादा निर्माण कर लिया है। एनजीटी के निर्देश पर भोपाल कलेक्टर इसकी जांच कर रहे हैं। यानि चुनाव आयोग के प्रमुख अधिकारी की कमजोरी सरकार के हाथ में है। सरकार जब चाहे इस अधिकारी के बंगले पर बुल्डोजर चला सकती है। चर्चा है कि अधिकारी का पूरा प्रयास बंगला बचाने पर है। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

*डीजीपी सक्सेना का दुर्भाग्य!*

मप्र के नये पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना ईमानदार और सक्षम अधिकारी हैं। कानून व्यवस्था को लेकर सदैव चौकन्ने रहते हैं। मप्र का पुलिस प्रमुख बनने के बाद देर रात तक सक्रिय रहते हैं। लेकिन यह उनका दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उनके आने के बाद कानून व्यवस्था को लेकर बड़ी घटनायें घट रही हैं। खरगोन में मप्र का सबसे बड़ा दंगा हो गया। सिवनी में दो आदिवासी युवाओं की पीट पीटकर हत्या कर दी गई। गुना में शिकारियों ने तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। धार में अपराधी पुलिस वालों से हथियार छीनकर ले गये। झाबुआ में एक वाहन चालक को जिन्दा जला डाला। अचानक मप्र में यह घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं। यह कोई समझ नहीं पा रहा

*इस मंत्री ने एक लाख घरों में लड्डू भेजे थे*

मप्र के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कुछ महीने पहले दादा बनने की खुशी में अपने विधानसभा क्षेत्र के सभी एक लाख परिवारों में गुड के लड्डू भेजे थे। यह बात भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव को सोशल मीडिया के माध्यम से आखिर क्यों बतानी पड़ी? दरअसल इस सप्ताह गोपाल भार्गव के छोटे भाई के बेटे कुश का विवाह था। इसमें बहुत कम लोग बुलाये गये। जिन्हें न्यौता नहीं मिला वे मुंह फुलाये घूम रहे थे। अगले चुनाव में इसका नुकसान न हो जाए, इसलिए अभिषेक भार्गव ने फेसबुक पर सफाई दी है कि इस शादी के सीमित आमंत्रण पत्र चाचा जी ने खुद बांटे थे। अभिषेक ने अहसास कराया कि उनकी शादी में पूरे विधानसभा क्षेत्र के हर घर में निमंत्रण भेजा गया था। कुछ माह पहले उनके यहां जुड़वा बच्चों के जन्म की खुशी में हमने रहली विधानसभा क्षेत्र के हर घर में गुड के लड्डू पहुंचाए थे।

*विधानसभा के सत्यनारायण*

मप्र विधानसभा के बर्खास्त अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा ने स्पीकर गिरीश गौतम को पत्र लिखकर अपनी सेवाएं बहाल करने की गुहार लगाई है। मुखबिर का कहना है कि इस संबंध में सत्यनारायण और स्पीकर की मुलाकातें भी हुई हैं। सत्यनारायण को बहाल करने के संबंध में स्पीकर ने प्रमुख सचिव से सलाह भी मांगी है। चर्चा है कि प्रमुख सचिव इस बहाली के लिए कतई तैयार नहीं हैं। दरअसल सत्यनारायण शर्मा को तत्कालीन स्पीकर श्रीनिवास तिवारी के समय नियम विरुद्ध तरीके से रखा गया था। उनकी अधिकांश मार्कसीटें, डिग्रियां फर्जी पाई गई थीं। मजेदार बात यह है कि आज के स्पीकर गिरीश गौतम की शिकायत पर ही तत्कालीन स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा ने सत्यनारायण के खिलाफ जांच कर उन्हें बर्खास्त किया था। विधानसभा सचिवालय ने उनके खिलाफ एफआईआर भी कराई थी। अब यदि गिरीश गौतम उन्हें बहाल करते हैं तो वे स्वयं मजाक का पात्र बनेंगे।

*सीएस और डीजीपी लिखेंगे अपने बेटे बेटी की एसीआर!*

यह मप्र के इतिहास में शायद पहली बार हुआ है कि मुख्यसचिव और पुलिस महानिदेशक दोनों के बेटे बेटी मप्र में ही आईएएस, आईपीएस के रूप में पदस्थ हैं। खास बात यह है कि दोनों अपने अपने पिता को रिपोर्ट करते हैं और दोनों की एसीआर (वार्षिक गोपनीय चरित्रावली) भी इनके पिता ही लिखेंगे। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के बेटे अमनबीर सिंह बैस आईएएस हैं। उन्हें मप्र केडर मिला। वे इस समय बैतूल में कलेक्टर हैं। पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना की बेटी सोनाक्षी सक्सेना का चयन आईपीएस में हुआ है। उन्हें मप्र केडर मिला है। उनकी पदस्थापना इंदौर में है।

*मप्र का सेमीफाइनल अगले महीने*

मप्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनाव का सेमीफाइनल अगले महीने होने जा रहा है। सच यह है कि दोनों पार्टियां फिलहाल नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोनों को बे-मन से तैयारी में जुटना पड़ा है। राजनीति पंडितों का कहना है कि नगरीय निकायों और पंचायत चुनाव परिणाम तय कर देंगे कि मप्र में अगले साल होने वाले फाइनल यानि विधानसभा चुनावों में किसका पलड़ा भारी रहेगा। यह भी चर्चा है कि यह सेमीफाइनल मप्र के दोनों दलों के दिग्गज नेताओं शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ का भविष्य भी तय कर देंगे

*और अंत में…*

मप्र के पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव ने बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की संविधान की पुस्तक हाथ में लेकर लगाई गईं मूर्तियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अम्बेडकर का नाम लिये बिना श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि संविधान सभा की 13 समितियां थीं। वे (अम्बेडकर) केवल एक समिति के अध्यक्ष थे। जबकि राजेन्द्र बाबू और नेहरू जी तीन तीन समितियों के अध्यक्ष थे। पूरे भारत में संविधान की पुस्तक हाथ में लेकर सिर्फ इनकी (अम्बेडकर) मूर्तियां लगाकर यह बताने की कोशिश की गई जाती है जैसे वे ही संविधान निर्माता हों। यह किस तरह की अबौद्धिकता में हमें पाला गया है। यदि बात उनके (अम्बेडकर) सम्मान की थी तो राजेन्द्र बाबू के सम्मान का क्या? उनकी मूर्तियां पूरे देश में क्यों नहीं लगाई गईं?