मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह अहम मुद्दों पर मंत्रियों या अफसरों से सलाह लेने के बजाय स्वयं निर्णय लेना शुरू कर दिया है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा इसका उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने इस घोषणा के लिये रविवार का दिन चुना, जब गृहमंत्री अपने गृह जिले के दौरे पर थे। मुख्य सचिव भोपाल शहर के बाहरी क्षेत्र में बने अपने फार्म हाउस पर थे और पुलिस महानिदेशक लखनऊ में प्रधानमंत्री के साथ डीजीपी कान्फ्रेंस में थे। इस घोषणा से मप्र की आईएएस लाॅबी में उबाल बताया जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान को पता था कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली के संबंध में यदि आईएएस से सलाह की तो वे इसे कभी लागू नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का खासा असर अगले महिने होने वाली आईएएस अफसर मीट पर पड़ने की संभावना है। यह भी अटकलें हैं कि मुख्य सचिव इस मीट से दूरी बना सकते हैं।
मलैया की नई पारी !
मप्र के पूर्व मंत्री पर भाजपा के दिग्गज नेता जयंत मलैया को लेकर खबर आ रही है कि वे पिछले लंबे समय से आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। खास बात यह है कि उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया ने इन खबरों का खंडन नहीं किया है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का दावा है कि मलैया शीघ्र भाजपा छोड़ आप में शामिल होंगे। पिछले दमोह विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद भाजपा ने जयंत मलैया को जिम्मेदार मानते हुए उन्हें निलंबन का नोटिस जारी किया था और उनके बेटे को पार्टी से निकाल दिया था। जानकारों का कहना है कि यदि यह खबर सही है तो भाजपा में अकेले मलैया नहीं जाएंगें, कई भाजपा नेता पाला बदल सकते हैं। भाजपा में मलैया के समकक्ष कई नेता पार्टी की रीति नीति से नाखुश हैं। इनमें अजय विश्नोई और विजेन्द्र सिंह सिसौदिया सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर चुके हैं। वैसे इन अटकलों के बाद प्रदेश भाजपा नेतृत्व सतर्क जरूर हो गया है।
कृषि मंत्री का बड़बोलापन
मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल का बड़बोलापन उनके लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे समय में जबकि तीन कृषि कानूनों वापसी को लेकर देशभर के भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। मप्र में मुख्यमंत्री सहित किसी भी नेता ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। ऐसे में कमल पटेल ने एक बयान देकर देशभर में आक्रोशित किसान नेताओं को मुद्दा थमा दिया है। कमल पटेल ने बयान दे दिया है कि कुछ दिन बाद किसानों को भरोसे में लेकर यह तीनों कृषि कानून फिर से लाए जाएंगे। कमल पटेल के बयान से किसान संगठनों की यह आशंका सही दिखाई दे रही है कि यूपी चुनाव के बाद फिर से कृषि कानून नए सिरे से लाए जा सकते हैं। खबर है कि भाजपा नेतृत्व ने कमल पटेल के बयान को गंभीरता से लिया है और नेतृत्व कमल पटेल से नाराज बतया जा रहा है।
दल बदल का इनाम दो
जोबट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की टिकट पर जीतकर आईं सुलोचना रावत अब दल बदल का इनाम मंत्री बनकर लेना चाहती हैं। उपचुनाव से पहले सुलोचना रावत ने अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इस दल बदल के तत्काल बाद सुलोचना रावत के बेटे विशाल रावत का ऑडियो जारी हुआ था कि वे इस शर्त पर भाजपा में जा रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। अब खबर आ रही है कि सुलोचना रावत और उनका परिवार भाजपा नेतृत्व से दल बदल का इनाम शीघ्र देने यानि तत्काल मंत्री बनाने की मांग कर रहा है। यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सुलोचना रावत की नजर प्रदेश के महिला बाल विकास मंत्रालय पर है। कांग्रेस से भाजपा में आईं इमरती देवी इस विभाग की मंत्री थीं। उपचुनाव हारने के बाद यह विभाग उनके हाथ से फिसल गया था।
हिंसक होती राजनीति
मप्र का राजनीतिक माहौल काफी शांत और समन्वय का रहा है। यहां भाजपा और कांग्रेस के नेता बयानबाजी तो करते हैं लेकिन आपसी सद्भाव भी रखते हैं। पिछले कुछ दिनों से भाजपा विधायकों के बयान जहरीली और हिंसक होते जा रहे हैं। विंध्य के समरिया से विधायक केपी त्रिपाठी ने तो यहां तक कह दिया कि वे एक ऐसी योजना बना रहे हैं कि कांग्रेसियों का लीवर, हार्ट और किडनी सब फैल हो जाएगा। केपी त्रिपाठी का वीडियो जमकर वायरल हो ही रहा था कि इसी बीच भोपाल हुजूर से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा का एक वीडियो मीडिया की सुर्खियों में आ गया। जिसमें रामेश्वर शर्मा अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को निर्देश दे रहे हैं कि गांव में यदि कोई कांग्रेसी आए तो उसके घुटने तोड़ दो। भाजपा विधायकों के इस तरह के बयानों से मध्यप्रदेश का माहौल अचानक बिगड़ने लगा है।
रिश्तेदार बन गए मुसीबत
मप्र के कद्दावर मंत्री अपने पसंदीदा पीए के कारण मुसीबत में आ सकते हैं। 2020 में सत्ता के फेरबदल में भूमिका निभाने वाले कद्दावर मंत्री के पीए ने अपने रिश्तेदार की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए जिलों के अधिकारियों पर जमकर दबाव बनाया, कुछ जिलों में मंत्री के पीए की दाल नहीं गली लेकिन 15 से ज्यादा जिलों में अधिकारी दबाव में आ गए और नियम कायदों को ताक में रखकर पीए के रिश्तेदार को फायदा पहुंचाना शुरू कर दिया। विभाग के व्हीसल ब्लोयर भी कहां पीछे हटने वाले थे। वे भी मंत्री के पीए और उसके रिशतेदार का कच्चा चिट्ठा लेकर विभाग सहित कई एजेंसियों में शिकायत कर आए। हैरानी है कि जांच सबसे पहले विभाग ने शुरू कर दी है। सभी जिलों से दस्तावेज मंगवाए हैं। इस पूरे मामले में मंत्री की खामोशी से यह भी चर्चा होने लगी है कि पीए का रिश्तेदार बताकर जिस व्यक्ति की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया, कहीं वो मंत्री का ही तो रिश्तेदार नहीं है, क्योंकि पीए अपने रिश्तेदार के लिए दड़ेगाम जिलों में फोन ठोंकना शुरू कर दे यह बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही है।
और अंत में…
यह अजीब संयोग है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके भांजे अनूप मिश्रा और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा के उत्तराधिकारी सुरेन्द्र पटवा और इनकी पत्नियों के खिलाफ मप्र में आर्थिक लेनदेन को लेकर धोखाधड़ी की धाराओं के तहत इंदौर जिले में एफआईआर दर्ज हुईं हैं। अनूप मिश्रा प्रदेश में मंत्री और सांसद रहे हैं। मिश्रा एवं उनकी पत्नी पर एक करोड़ की हेराफेरी को लेकर इंदौर में एफआईआर दर्ज हुई है। सुरेन्द्र पटवा भी प्रदेश में मंत्री रहे हैं और फिलहाल भोजपुर से भाजपा विधायक हैं। सुरेन्द्र पटवा ने बैंक से लगभग 35 करोड़ का ऋण लिया था। जिसे न चुका पाने के कारण उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।