RBI: रेपो रेट में 0.50% की कटौती, नीतिगत रुख ‘न्यूट्रल’, भोपाल और मध्यप्रदेश में रियल एस्टेट को राहत

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RBI: रेपो रेट में 0.50% की कटौती, नीतिगत रुख ‘न्यूट्रल’, भोपाल और मध्यप्रदेश में रियल एस्टेट को राहत

क्रेडाई के प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रभाव- पढ़िए – मनोज मीक, अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल की विशेष टिप्पणी

भोपाल: भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आज वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही बैठक में बड़ा निर्णय लेते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की है। इसके साथ ही वर्तमान रेपो दर घटकर 5.5% हो गई है, जो इससे पहले 6% थी।

क्रेडाई सचिवालय भोपाल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के के अनुसार बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से ‘न्यूट्रल’ में परिवर्तित करते हुए यह संकेत दिया है कि आगे दरों में सीमित बदलाव की संभावना रहेगी। यह कदम वैश्विक व्यापार अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव के बीच घरेलू आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के उद्देश्य से लिया गया है।

शहरी विकास पर प्रभाव:

भोपाल और मध्यप्रदेश में रियल एस्टेट को राहत
• बैंकों द्वारा होम लोन की ब्याज दरें घटाई जा सकती हैं, जिससे आवास क्षेत्र में खरीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
• क्रेडाई के डेवलपर्स की मांग को मजबूती मिलेगी, खासकर मिड-सेगमेंट और अफोर्डेबल हाउसिंग में।
• भोपाल जैसे टियर-2 शहरों में रुके हुई प्रोजेक्ट्स को वित्तीय गति मिल सकती है।

व्यापार और निवेश वातावरण में सुधार

• ब्याज दरों में गिरावट से उद्योगों और एमएसएमई सेक्टर को कार्यशील पूंजी सस्ती दरों पर मिलेगी।
• राजधानी क्षेत्र में चल रही स्मार्ट इंडस्ट्री, लॉजिस्टिक्स पार्क और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर की कमाल का भोपाल रिपोर्ट में प्रस्तावित योजनाओं के लिए यह निर्णय सकारात्मक वातावरण तैयार करेगा।

कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए संकेत

• ब्याज दरों में गिरावट से कृषि ऋण आसान हो सकते हैं, विशेषकर जब मानसून सामान्य रहने की उम्मीद हो।

विशेष टिप्पणी – मनोज मीक, अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल:

“रेपो दर में कटौती रियल एस्टेट और क्रेडिट आधारित निवेश गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में सहायक होगी।
मध्यप्रदेश के लिए यह निर्णय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां अब भी अफोर्डेबल हाउसिंग की मजबूत मांग है।
हमारे कमाल का भोपाल रिपोर्ट के प्रस्तावों को मजबूती मिलेगी, भोपाल जैसे राजधानी शहरों में यह कदम विकास और रोजगार को गति देने वाला साबित होगा।”

आरबीआई का यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने की नीति प्राथमिकता में है, परंतु अब आगे बदलावों की गुंजाइश सीमित होगी।

भोपाल जैसे उभरते शहरी केंद्र, जहाँ परियोजनाएं, निवेश और बुनियादी ढांचा निर्माण गति पकड़ रहे हैं वहाँ यह नीति बदलाव एक वित्तीय उत्प्रेरक की तरह कार्य करेगा।