Read Old Budget Speech : राजस्थान CM ने पुराना बजट भाषण पढ़ दिया, बाद में गलती पकड़ी गई!

इतनी बड़ी गलती होने पर CM नाराज हैं, मुख्य सचिव को तलब किया

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Read Old Budget Speech : राजस्थान CM ने पुराना बजट भाषण पढ़ दिया, बाद में गलती पकड़ी गई!

Jaipur : आज राजस्थान में जो हुआ, वो शायद किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने नहीं किया होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज बजट (2023-24) पेश करते हुए बड़ी भूल कर दी। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पुराना बजट भाषण ही पढ़ दिया। विधानसभा में मुख्यमंत्री को सौंपी गई बजट की प्रतियों में कुछ पुराने पन्ने भी शामिल थे। मुख्यमंत्री बजट भाषण पढ़ते चले गए, जिसके बाद विपक्ष के लोग ठहाके लगाने और हंगामा करने लगे। विपक्ष के हंगामे के बाद गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि सदन को स्थगित किया जाए। दोबारा बजट पेश करने की तारीख मुकर्रर की जाए।

इसके बाद सदन को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में इस गलत के लिए क्षमा मांगी, लेकिन विपक्ष के लोग नहीं माने। बीजेपी के विधायक बेल में आ गए और हंगामा करने लगे। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब बजट भाषण के दौरान सदन को स्थगित किया गया। बजट ब्रीफकेस में पुराने बजट की प्रतियां आने को लेकर अफसरों की लापरवाही मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इससे सरकारी की भारी किरकिरी हुई है। इस मामले में कई अफसरों पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

विधानसभा में बजट पेश करने के दौरान भारी हंगामा हुआ। महज 3 मिनट बाद ही विधानसभा में हंगामा होने लगा। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने आधे घंटे के लिए विधानसभा को स्थगित कर दिया गया। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब बजट भाषण के बीच में विधान सभा को स्थगित करना पड़ा हो।

मुख्य सचिव को तलब किया
बजट भाषण के दौरान इतनी बड़ी गलती होने पर गहलोत बेहद नाराज हैं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को तलब किया है। मुख्यमंत्री के बुलावे पर मुख्य सचिव उषा शर्मा विधानसभा पहुंची हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने उनसे बजट ब्रीफकेस में पुराने बजट की प्रतियों के बारे में जानकारी लेंगे।

स्पीकर ने स्पष्टीकरण दिया
सदन दोबारा शुरू होने पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि जो भी घटना हुई है वह दुर्भाग्यपूर्ण रही। लेकिन, सदन की कार्यवाही को चलने दिया जाए। सीपी जोशी ने बीजेपी विधायकों से अनुरोध किया सदन को शांतिपूर्ण तरीके से चलने दिया जाए। उन्होंने गुलाबाचंद कटारिया से विशेष रूप से अनुरोध किया कि इसे मानवीय भूल माना जाए और इसे सदन की कार्यवाही से अलग माना जाए। उन्होंने अनुरोध किया कि हमें ऐसा कोई इतिहास नहीं बनाना है जिसे याद कर हमें शर्म आए।