Mumbai : सिनेमा में एक्टिंग का लोहा मनवा चुके आर माधवन ने निर्देशक के रूप में अपनी नई पारी शुरू की है। उनके डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ (Rocketry: The Nambi Effect) फिल्म रिलीज हो गई। ये एक ऐसे भारतीय वैज्ञानिक की बायोपिक है, जिसकी कहानी जद्दोजहद की प्रेरणा देती है। यह फिल्म रिलीज हो चुकी है और काफी पसंद भी की जा रही है।
इस फिल्म की कहानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) की बायोपिक है, जिन्हें देश से गद्दारी करने के झूठे आरोपों में फंसाया गया था। नंबी नारायणन की कहानी एक ऐसे निर्दोष देशभक्त की सच्ची कथा है, जिसे राजनीतिक साजिश में फंसाकर देश का गद्दार घोषित कर दिया जाता है।
माना जाता है कि नंबी नारायणन के खिलाफ साजिश नहीं हुई होती तो भारत 15 साल पहले ही स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बना चुका होता। उस दौर में भारत क्रायोजेनिक इंजन टेक्नोलॉजी पाना चाहता था। अमेरिका ने इसे देने से साफ इनकार कर दिया था। रूस से समझौता करने की कोशिश हुई, बातचीत अंतिम चरण में थी, लेकिन अमेरिका के दबाव में रूस मुकर गया।
उस समय नंबी नारायणन ने भारत सरकार को भरोसा दिलाया था कि वह अपनी टीम के साथ स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाकर दिखाएंगे। वे अपने मिशन को सही दिशा में लेकर चल रहे थे, तभी अमेरिका के इशारे पर उनके खिलाफ साजिश की गई। नंबी नारायणन ने अपने साथ हुई साजिश पर ‘रेडी टू फायर: हाउ इंडिया एंड आई सर्वाइव्ड द इसरो स्पाई केस’ (Ready To Fire: How India and I Survived the ISRO Spy Case) नाम से किताब भी लिखी है।
ऐसे रची गई साजिश
अक्टूबर 1994 में मालदीव की एक महिला मरियम राशिदा को तिरुवनंतपुरम से गिरफ्तार किया गया था। राशिदा को इसरो के स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन की ड्राइंग पाकिस्तान को बेचने के आरोप में पकड़ा गया था। फिर केरल पुलिस ने 1994 में तिरुवनंतपुरम में ISRO के साइंटिस्ट और क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर नंबी नारायणन समेत दो वैज्ञानिकों डी शशिकुमारन और डेप्युटी डायरेक्टर के चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया।
रूस की स्पेस एजेंसी के एक भारतीय प्रतिनिधि एसके शर्मा, लेबर कॉन्ट्रैक्टर और राशिदा की दोस्त फौजिया हसन को भी गिरफ्तार किया गया। इन सभी पर ISRO के स्वदेशी क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन से जुड़ी खुफिया जानकारी पाकिस्तान समेत दूसरे देशों को बेचने के आरोप लगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने तब क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर रहे नंबी नारायणन से पूछताछ शुरू की गई। उन्होंने सारे आरोपों का खंडन किया और इसे अपने खिलाफ साजिश कहा।
24 साल लड़ी सम्मान की लड़ाई
नंबी नारायणन 1996 में ही आरोपमुक्त हो गए! लेकिन, उन्होंने अपने सम्मान की लड़ाई जारी रखी और 24 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 को उनके खिलाफ सारे नेगेटिव रिकॉर्ड को हटाकर उनके सम्मान को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की तीन जजों की पीठ ने केरल सरकार को आदेश दिया कि नंबी नारायणन को उनकी सारी बकाया रकम, मुआवजा और दूसरे लाभ दिए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नंबी नारायणन को मुआवजे के साथ बकाया रकम और अन्य दूसरे लाभ केरल सरकार देगी। इसकी रिकवरी उन पुलिस अधिकारियों से की जाएगी जिन्होंने उन्हें जासूसी के झूठे मामले में फंसाया। साथ ही सभी सरकारी दस्तावेजों में नंबी नारायणन के खिलाफ दर्ज प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नंबी नारायणन को हुए नुकसान की भरपाई पैसे से नहीं की जा सकती, लेकिन नियमों के तहत उन्हें 75 लाख रुपए का भुगतान किया जाए।
बिना सबूतों के गद्दार घोषित किया गया
यह मामला अखबारों की सुर्खियों में रहा। बिना पड़ताल के पुलिस की मनगढंत थ्योरी पर भरोसा करते हुए मीडिया ने नंबी नारायणन को देश का गद्दार बता दिया। उनकी गिरफ्तारी के समय नंबी नारायणन रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी के करीब पहुंच चुके थे। उन पर लगे आरोपों और उनकी गिरफ्तारी ने देश के रॉकेट और क्रायोजेनिक इंजन प्रोग्राम को कई साल पीछे धकेल दिया था। दिसंबर 1994 में मामले की जांच CBI को सौंप दी। CBI ने अपनी जांच में इंटेलिजेंस ब्यूरो और केरल पुलिस के आरोप सही नहीं पाए।
CBI ने अपनी जांच में निर्दोष पाया
अप्रैल 1996 में CBI ने चीफ जूडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में फाइल एक रिपोर्ट में बताया कि पूरा मामला फर्जी है और लगाए गए आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है। CBI जांच में यह बात सामने आई कि भारत के स्पेस प्रोग्राम को डैमेज करने की नीयत से नंबी नारायणन को झूठे केस में फंसाया गया था। जांच में इस बात के संकेत मिले कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के इशारे पर केरल की तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार ने नंबी नारायणन को साजिश का शिकार बनाया। यह सारी कवायद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को ध्वस्त करने की नीयत से की गई थी। यह वह दौर था जब भारत अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए अमेरिका समेत अन्य देशों पर निर्भर था। करोड़ों-अरबों किराए पर स्पेस टेक्नोलॉजी इन देशों से आयात किया करता था।
स्पेस टेक्नोलॉजी में भारत के आत्मनिर्भर होने से अमेरिका को कारोबारी नुकसान होने का डर था। SIT के अधिकारी सीबी मैथ्यूज ने नंबी के खिलाफ जांच की थी, उसे केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने बाद में राज्य का DGP बना दिया। CBI जांच में सीबी मैथ्यूज के अलावा तब के SP केके जोशुआ और एस विजयन के भी इस साजिश में शामिल होने की बात सामने आई। माना जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने इसके लिए केरल की तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार में शामिल बड़े नेताओं और अफसरों को मोटी रकम मुहैया कराई थी. असल में देश से गद्दारी नंबी नारायणन नहीं, ये लोग कर रहे थे।
मई 1996 में कोर्ट ने CBI की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और इस केस में गिरफ्तार सभी आरोपियों को रिहा कर दिया। मई 1998 के बाद केरल की तत्कालीन CPM सरकार ने मामले की फिर से जांच का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार द्वारा इस मामले की फिर से जांच के आदेश को खारिज कर दिया। 1999 में नंबी नारायणन ने मुआवजे के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की। 2001 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केरल सरकार को उन्हें क्षतिपूर्ति का आदेश दिया, लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी।
अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में नंबी नारायणन की याचिका पर उन पुलिस अधिकारियों पर सुनवाई शुरू हुई जिन्होंने वैज्ञानिक को गलत तरीके से केस में फंसाया था। नारायणन ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें कहा गया था कि पूर्व DGP और पुलिस के दो सेवानिवृत्त अधीक्षकों केके जोशुआ और एस विजयन के खिलाफ किसी भी कार्रवाई की जरूरत नहीं है।
नंबी नारायण को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा
देश के इस महान वैज्ञानिक के साथ हुई साजिश के खिलाफ भाजपा को छोड़ किसी भी राजनीतिक दल ने कभी आवाज नहीं उठाई। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी इस मामले में बहुत पहले से नंबी नारायणन के समर्थन में खुलकर बोलती रही। उन्होंने 2013 में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस साजिश के तमाम पहलुओं को उजागर किया था। 2019 में भाजपा सरकार में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। नंबी नारायणन ने कहा था कि पद्म भूषण सम्मान से नवाजे जाने की मुझे बहुत खुशी है। मुझे सभी ने स्वीकार लिया।