Rebuke on Anti-Defection Law : ‘एंटी डिफेक्शन लॉ’ पर तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार!

हाई कोर्ट के निर्देश 'तीन विधायकों के अयोग्यता मामलों पर उचित समय सीमा में निर्णय लें!

154

Rebuke on Anti-Defection Law : ‘एंटी डिफेक्शन लॉ’ पर तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार!

Hyderabad : बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष से पूछा कि बीआरएस से कांग्रेस में शामिल होने के लिए दल-बदल करने वाले विधायकों के अयोग्यता मामले में नोटिस जारी करने में उन्हें लगभग 10 महीने क्यों लग गए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के उस कथित बयान पर भी नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने विधानसभा में कहा था कि कोई उपचुनाव नहीं होगा।

जस्टिस गवई ने कहा कि अगर यह विधानसभा के पटल पर कहा गया है, तो आपके मुख्यमंत्री ने संविधान की दसवीं अनुसूची का मजाक बना रहे हैं। संविधान की दसवीं अनुसूची दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करती है।

 

बेंच के सामने क्या मुद्दा

बेंच तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के अयोग्यता की याचिकाओं पर निर्णय लेने में हुई कथित देरी को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक याचिका तेलंगाना हाई कोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती देती है, जो तीन विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी थी। जबकि दूसरी याचिका सात अन्य विधायकों के दल-बदल से जुड़ी हुई है।

हाई कोर्ट की बेंच ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को तीन विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर निर्णय लेना चाहिए। यह फैसला हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के 9 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों के बाद आया था।

 

जस्टिस ने सवाल पर सवाल दागे

जब बेंच ने पूछा कि अयोग्यता याचिकाओं पर नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लगा, तो विधानसभा अध्यक्ष का पक्ष रख रहे सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट में मामले की पेंडेंसी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने 16 जनवरी 2025 को अयोग्यता याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। इस पर बेंच ने सवाल किया कि अगर याचिकाकर्ताओं ने दो सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट में याचिका दायर की, तो आपको पहली नोटिस जारी करने में 10 महीने क्यों लगे? फिर जब यह मामला हमारे सामने विचाराधीन है, तब आपने नोटिस क्यों जारी किया? क्या अब हमें अवमानना का नोटिस जारी करना चाहिए? जस्टिस गवई ने सवाल उठाते हुए यह टिप्पणी की।

रोहतगी ने तारीखों का हवाला देते हुए कहा कि हाई कोर्ट की बेंच के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका 15 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी और अध्यक्ष ने 16 जनवरी को अयोग्यता याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी।