Red Diary in Rajasthan Poll: लाल डायरी बनी चुनावी मुद्दा और गहलोत बनाम 7 सवाल

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Red Diary in Rajasthan Poll

Red Diary in Rajasthan Poll: लाल डायरी बनी चुनावी मुद्दा और गहलोत बनाम 7 सवाल

नेशनल हेड गोपेन्द्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राजस्थान की अपनी दूसरी चुनावी रैली में कथित लाल डायरी को एक बार फिर से एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास करते हुए कांग्रेस पर जबर्दस्त हमला किया है और मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने एक-एक वोट का उपयोग दोषियों को फाँसी की सजा देने के रूप में करें। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कथित डायरी का नामकरण किए जाने और कांग्रेस के खिलाफ़ चुनाव की रणनीति बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में साजिश रचना बताया है।

हाल ही इस डायरी के चुनावी काल में चार और पेज उजागर किए जाने के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है और कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही हैं। भाजपा का प्रयास है कि इस मामले का पूरा राजनीतिक फायदा उठाया जाए जबकि कांग्रेस इसे भाजपा की सोची समझी राजनीतिक साजिश का एक हिस्सा बता रही है। गहलोत मंत्री परिषद के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने सबसे पहले इस डायरी के तीन पृष्ठ उजागर कर दावा किया था कि वे और भी बड़े खुलासा करेगे। काफी दिनों तक शांत रहने के बाद विधानसभा चुनाव के मध्य एक बार फिर से चार पेज सार्वजनिक कर राजस्थान की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है।

आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ की इस कथित दैनिक डायरी में इस बार मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र और राजस्थान क्रिकेट ऐसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष वैभव गहलौत का नाम भी उजागर कर कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस ढंग से अपने राजस्थान दौरे के पहले दिन से ही लाल डायरी को लेकर हमलावर है,उसे देख लग ही रहा था कि कालान्तर में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस सारे मामले को भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा राजेंद्र गुढ़ा के साथ मिली भगत कर चुनावी साजिश बता रहे है। उनका मानना है कि राजस्थान में भाजपा विपक्ष को भूमिका सही ढंग से निभा नही पाई तथा राजस्थान सरकार की उपलब्धियां से उन्हें चुनाव में हार की चिन्ता सताने लगी है, इस कारण उनके द्वारा यह साजिश रची गई है।

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राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा हर हालत में राजस्थान विधान सभा चुनाव जीतना चाहती है इसलिए इस बार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सुनियोजित तरीके से चुनावी व्यूह रचना बना कर चुनाव लड रही है और भ्रष्टाचार के मामले में आक्रामक रुख अख़्तियार कर रही है। बताते है कि सचिन पायलट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए उन्हे दर किनार कर प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा नही बनाना भी इसका एक बड़ा कारण बताया जा रहा है।

साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अंदर ही अंदर कांग्रेस के किसी बड़े नेता के माध्यम से पार्टी की अंदरूनी लड़ाई का चुनाव में फायदा उठाने की रणनीति बनाई है और जयपुर शहर, मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी तथा पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस को घेरने के लिए विशेष व्यूह रचना की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक ऐसे चक्रव्यूह की रचना की है जिसमें कमजोर इलाक़ों में जन सभाएँ और हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण करने के लिए रोड शो कराने के साथ ही पार्टी के अन्य क्षत्रपों जैसे यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ आदि को भी राजस्थान में सक्रिय कर कांग्रेस को पटखनी देने की योजना बनाई है ।
इधर चुनावी राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का जो दौर चल रहा है उसमें बड़े नेताओं की सभाओं के बीच पार्टियां एक-दूसरे से सवाल भी कर रही है।

अब मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने जनता को सात गारन्टी देने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सात सवाल किए हैं। जनता को गारन्टी देने वाले सीएम ने पीएम नरेन्द्र मोदी से सात सवाल किये हैं।सीएम ने पूछा है कि पीएम इस बात को प्रदेश के लोगों के सामने रखें कि 25 लाख का बीमा देशभर में कब लागू करेंगे? ओपीएस को देशभर में कब लागू करेंगे? 500 रु में गैस सिलेंडर कब देंगे? सामाजिक सुरक्षा कानून कब लागू करेंगे? शहरी रोजगार गारंटी कानून कब लागू करेंगे? पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा कब देंगे? अग्निवीर योजना को खत्म कर सेना में पहले की तरह नियमित भर्ती कब शुरू करेंगे? और यह सवाल भी किया कि राजस्थान के बकाया 76 हज़ार करोड़ रुपए केन्द्र सरकार कब जारी करेगी?

कांग्रेस ने भाजपा की हर रणनीति को ध्वस्त करने के लिए सोनिया गाँधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी आदि नेताओं के प्रदेश में सघन दौरें तथा रोड शो आदि कराने पर ज़ोर दे रही है। हालाँकि दोनों पार्टियों के सामने अपने ही बागी प्रत्याक्षी और अन्य पार्टियों तथा निर्दलियों का सिरदर्द भी एक भारी चुनौती है।

देखना है कि राजस्थान विधान सभा चुनाव में आने वाले दिनों में और क्या नई-नई घटनायें और बातें चुनावी वैतरणी को पार करने के लिए इन दलों का माध्यम बनेगी?