पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के अनुदान में 5 साल में 4 हजार 632 करोड़ की कटौती

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पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के अनुदान में 5 साल में 4 हजार 632 करोड़ की कटौती

भोपाल
प्रदेश पर बढ़ते कर्ज से बचने राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय स्थानीय निकायों को दिए जाने वाले अनुदानों में कटौती कर दी है। पिछले पांच वर्षो के दौरान इन संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदान में 4 हजार 632 करोड़ 96 लाख रुपए की कटौती की गई है।

तीसरे राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय स्थानीय निकायों को करों के संग्रह के लिए किये गए खर्च के दस प्रतिशत की कटौती राज्य सरकार ने कर दी है। राज्य सरकार द्वारा स्वीकार्य राज्य सरकार के विभाजनीय कोष की राशि में चार प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं और एक प्रतिशत नगरीय स्थानीय निकायों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए था लेकिन वर्ष 2018 से 23 के दौरान रााज्य वित्त आयोग अनुदान का हस्तांतरण जो पंचायती राज संस्थाओं औश्र स्थानीय निकायों को किया गया उसमें पांच वर्षो में पंचायती राज संस्थाओं में 4 हजार 300 करोड़ 87 लाख रुपए और नगरीय स्थानीय निकायों में 1 हजार 776 करोड़ 81 लाख रुपए कम कर दिए गए।

महानियंत्रक लेखा परीक्षक की ताजा रिपोर्ट में इन आकंड़ों का खुलासा किया गया है।पंचायती राज संस्थाओं को इन पांच वर्षो के दौरान 8 हजार 115 करोड़ 54 लाख रुपए का अनुदान दिया जाना चाहिए था लेकिन वास्तव में 3 हजार 814 करोड़ 67 लाख रुपए ही दिए गए। इसमें 4 हजार 300 करोड़ 67 लाख रुपए की कटौती की गई। वहीं स्थानीय नगरीय निकायों को 2 हजार 108 करोड़ 90 लाख रुपए दिए जाने थे लेकिन वास्तव में 1 हजार 776 करोड़ 81 लाख रुपए दिए गए और इसमें 332 करोड़ 9 लाख रुपए की कटौती कर दी गई। वर्ष 2021-22 में पंचायती राज संस्थाओं के अनुदान में सबसे अधिक कटौती की गई। इस वर्ष 1 हजार 660 करोड़ 8 लाख रुपए दिए जाने चाहिए थे लेकिन केवल 295 करोड़ 67 लाख रुपए दिए गए इसमें 1 हजार 364 करोड़ 41 लाख रुपए कम दिए गए है। लगातार अनुदान में कटौती का असर पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों की कर वसूली पर भी पड़ा है। इसमें गिरावट देखी गई है।