ब्राम्हणों को गुरु और मार्गदर्शक मानने से इंकार करना सीधा ब्रम्हा का अपमान- IAS नियाज खान

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ब्राम्हणों को गुरु और मार्गदर्शक मानने से इंकार करना सीधा ब्रम्हा का अपमान- IAS नियाज खान

भोपाल. हमेशा अपने बयानों को लेकर चर्चित रहने वाले IAS अधिकारी नियाज खान एक बार फिर ब्राम्हणों पर बयान देकर सुर्खियों में आ गए है। उन्होंने कहा है कि हम ब्राम्हणों को गुरु और मार्गदर्शक मानने से इंकार करते है तो यह सीधा भगवान ब्रम्हा का अपमान है।

सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में उन्होंने यह बयान दिया है। उन्होंने इसमें लिखा है कि ऋगवेद में स्पष्ट है कि ब्राम्हण धार्मिक कार्य और मार्गदर्शन के लिए बनाए गए थे। जो यह कार्य कई हजार सालों से कर रहे थे। यदि मन में ब्राम्हणों के खिलाफ नफरत रखते है तो यह भी पाप है। सोशल मीडिया पर वाइरल उनकी इस पोस्ट पर आमजन, बुद्धिजीवी जमकर कमेंट कर रहे है। एक सोशल मीडिया कमेट्स में अनुज ने कहा है कि ब्राम्हणों में आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर , मास्टर नेता, अभिनेता और एलीट क्लास के लोग भी है लेकिन ब्राम्हण समाज की आवाज कोई नहीं उठाता है आखिर क्यों।

कृष्णा दिवोते ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि भगवत गीता के अनुसार चार वर्ण भगवान ने सृष्टि के प्रारंभ से बनाए है, भले ही हम विभिन्न पंथ, जाति में विभाजित है लेकिन वर्ण व्यवस्था शाश्वत है। ब्राम्हण को भगवान ने ज्ञान प्राप्त करने की विशेष योग्यता दी ताकि वो जन मानस की अज्ञानता दूर करे और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो।

नियाज खान के बयान पर विप्र की तरफ से कहा गया है कि गुरु कोई ना बनाए तो हमे समस्या नहीं है सबकी अपनी इच्छा लेकिन गालियां देना , जातिगत पहचान के कारण टारगेट करना, भिखारी, लुटेरा, हमारे पैसों पर पल रहा है जैसे अपशब्दों का प्रयोग करना, झूठे आरोप लगाना, पाखंडी बोलकर तमिल ब्राम्हणों का पेरियारवादी हिंदुओं द्वारा नरसंहार इससे समस्या है।

ब्रजेश कुमार ने इस पर कहा कि वेदों में यह भी लिखा है कि ब्राम्हण जाति से नहीं कर्म से होता है। स्वामी आनंद स्वरुप ने इस पर लिखा कि भक्क और ससुरा से अंबेडकर का इतिहास नहीं बदल देंगे खान सर। जिस व्यक्ति ने भारत की स्वतंत्रता को ट्रेजडी बताया जो कभी चुनाव नहीं जीत पाया और जिसने स्वतंत्रता संग्राम में एक भी योगदान नहीं दिया उसे आज महापुरुष की तरह स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है।