Regional Industrial Conclave: उज्जैन के बुरे दिन, अब होने लगे गायब!

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Regional Industrial Conclave: उज्जैन के बुरे दिन, अब होने लगे गायब!

निरुक्त भार्गव की विशेष रिपोर्ट

उज्जैन में पहली बार मार्च 1 व 2, 2024 को आयोजित ‘क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन’ (रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव) ने उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में दशकों से व्याप्त सूखे की स्थिति को उबारने के संकेत दिए हैं. राज्य शासन के औद्योगिक विकास और निवेश विभाग के अलावा मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के अमले और स्थानीय प्रशासन की इस महायोजना में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इस ऐतिहासिक कॉन्क्लेव में अगर एक दर्जन विदेशी निवेशक और देश-भर से एक हजार से भी अधिक उद्योगपति और व्यवसायी उज्जैन आने को आतुर हैं, तो इसकी मुख्य वजह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिन्गम का यहां स्थापित होना और मजबूत इरादों वाले मुख्यमंत्री मोहन यादव की निर्णायक भूमिका है.

इंदौर और देवास रोड के बीच स्थित शासकीय उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस में आयोजित इस रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की तैयारियां अंतिम चरणों में हैं. उद्घाटन और समापन सत्र के लिए एक वृहद डोम बनाया गया है. 1 मार्च को दोपहर 12 बजे के करीब जब कॉन्क्लेव उद्घाटित होगा तो इससे ठीक पहले मुंबई का बैंड म्यूजिकल प्रस्तुति देगा. दो दिनों तक अलग-अलग डोम में थीमेटिक सेशन चलेंगे और बायर्स-सेलर्स मीटिंग होंगी. पहले ही दिन 150 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए जमीन आवंटन के पत्र संबंधित इन्वेस्टर को सौंपे जाएंगे. कोई 57 नई औद्योगिक इकाइयों का भूमि-पूजन और लोकार्पण भी संपन्न होगा. ये सभी प्रोजेक्ट्स उज्जैन सहित पूरे सूबे से सम्बंधित हैं और इन्हें धरातल पर लाने के प्रयास पिछले कई दिनों से किए जा रहे थे.

आयोजकों को उम्मीद है कि दो दिनी कॉन्क्लेव लगभग 1.12 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश प्रस्तावों की राह प्रशस्त करेगा. कुल प्रस्तावित निवेश राशि से उज्जैन में प्राय: 25 फीसदी निवेश का अनुमान लगाया गया है. औद्योगिक विकास निगम के क्षेत्रीय कार्यपालिक संचालक राजेश राठौर ने बताया कि अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, जर्मनी, कनाडा, साउथ कोरिया, इसराइल, फिजी, गैबन, सिंगापुर, जाम्बिया सहित एक दर्जन देशों से उच्च प्रतिनिधि आ रहे हैं. इन सबकी रुचि रिन्यूएबल एनर्जी, ट्रेड, पॉवर, फ़ूड प्रोसेसिंग आदि क्षेत्रों में निवेश करने की है. कोई 1000 भारतीय उद्योगपति और निवेशक भी भागीदारी कर रहे हैं.

इनके अलावा 3000 बायर्स और सेलर्स ने भी कॉन्क्लेव में सम्मिलित होने के लिए अपना-अपना पंजीयन कराया है. मध्य प्रदेश के अलावा प्रमुखत: गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु के नामी कंपनियों और उद्योग-व्यवसायों के प्रतिनिधि उज्जैन पहुंच रहे हैं.

ये सब प्रतिनिधि जब उज्जैन से विदा ले रहे होंगे तो उससे पहले की रात जंतर मंतर यानी जीवाजी वेधशाला में उनके लिए शानदार डिनर आयोजित होगा. वेन्यू के चयन का उद्देश्य उन्हें उज्जैन की ज्योतिष और खगोलीय विरासत से रूबरू करवाना है.

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उज्जैन जहां 1970 और 1980 के दशक तक चारों तरफ कल-कारखानों की गूंज सुनाई देती थी और हजारों घरों के चौके-चूल्हे गुलज़ार हुआ करते थे, वहां के बाशिंदों ने बीते 30-40 सालों में भीषण आर्थिक हालात और दयनीय समाज जीवन देखा है. जानकारों के अनुसार इतने बुरे दिन आने के पीछे शायद यहां के दुर्बल एको-सिस्टम की भूमिका रही है.

बहरहाल, जैसे घूरे के दिन फिरते हैं, संकेत मिल रहे हैं कि अब उज्जैन का औद्योगिक, व्यावसायिक और आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदलाव की दिशा में अग्रसर हो रहा है. निश्चित रूप से श्री महाकाल महालोक की स्थापना ने नए दौर का सूत्रपात किया है. उज्जैन को मजबूत और दूरंदेशी सोच वाले मोहन यादव के रूप में मुख्य मंत्री मिलने के बाद तो ऐसा आभास होने लगा है कि यह कालजयी नगरी एक ऊंची और बड़ी छलांग लगाने को तत्पर है.