Indore : इंदौर नगर निगम अब शहर के प्रति अपनी एक और जिम्मेदारी निभाने का रहा है। भिखारियों को रास्ते से लाकर उनका पुनर्वास किया जाएगा। उन्हें इलाज की जरूरत होगी, तो उस काम में गति लाई जाएगी। अभी भी ये काम चल रहा है, पर इसमें और सक्रियता लाने की तैयारी है।
नगर निगम आयुक्त डॉ प्रतिभा पाल ने समीक्षा बैठक के दौरान भिक्षुकों की ताजा स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने अपर आयुक्त को निर्देश दिए कि हर सप्ताह भिखारियों की जानकारी और उनके डाटा से अवगत कराया जाए। झोन का निर्धारण करके झोन क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले भिखारियों वाले स्थानों को चिन्हित कर उन्हें रेस्क्यू करने की कार्यवाही की जाए।
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए जन जागरूकता लाई जाए और अभियान चलाकर प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके लिए धार्मिक गुरुओं, वरिष्ठ नागरिकों, जनप्रतिनिधियों आदि से भी भिक्षा नहीं देने के संबंध में अपील कराई जाए तथा अपील को सोशल मीडिया पर प्रसारित करें। इसी के साथ मीडिया, सोशल मीडिया, रेडियो आदि के माध्यम से भी भिक्षा नहीं देने के संबंध में जन जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।
निशुल्क प्रशिक्षण का इंतजाम
भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र पर भिक्षुकों को रोजगार मिल सके और वह भिक्षावृत्ति नहीं करें इसके लिए निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद रोजगार शुरू करने के लिए उनका लोन भी करवाया जा रहा है। अभी तक 3 लोगों का लोन स्वीकृत हो चुका है। भिक्षुकों के पुनर्वास अन्तर्गत इनका रोजगार शुरु कराए जाने पर उसे स्व-उत्थान का नाम दिया जाएगा।
मानसिक चिकित्सालय में इलाज
समीक्षा बैठक के दौरान संस्था ‘प्रवेश’ की रुपाली जैन ने बताया कि परदेशीपुरा स्थित सामाजिक न्याय विभाग परिसर में पुनर्वास एवं कौशल विकास केन्द्र में 54 भिक्षुक पुनर्वासी रह रहे है, जिसमें से 6 महिलाएं एवं 48 पुरुष है। पूर्व में विभिन्न स्थानों से 59 विक्षिप्त भिक्षुकों को रेस्क्यू कर के बाणगंगा मानसिक चिकित्सालय इलाज के लिए भेजा गया था। 38 लोग ठीक होकर उनके परिवारों को शपथ पत्र देकर परिजनों को सौंपा गया। 21 भिखारियों का मानसिक चिकित्सालय में इलाज किया जा रहा है। 18 भिक्षुकों को पूर्व में रेस्क्यू किया गया था।