दिल्ली ब्यूरो
पश्चिम बंगाल के अफसर पिछले कुछ महीनों से बिना मतलब के परेशान चल रहे हैं। इसके पीछे का कारण भी राजनीतिक है – मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच लंबे समय से चला आ रहा शीत युद्ध जो अब एक राजनीतिक शक्ल ले चुका है।
आरोप है कि राज्य के कोई भी वरिष्ठ अधिकारी न तो राजभवन के किसी को पत्र का जवाब देते हैं और ना ही बुलावे पर राज दरबार में जाते हैं। अब चूँकि बड़े साहब लोग राज्यपाल को कुछ नहीं समझते इसलिए जिले के अधिकारी भी राजभवन को घास नहीं डालते।
इन अधिकारियों का दूसरा तनाव ऊपर से आने वाले निर्देश हैं। बताया जाता है कि बैठकों और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री भी जिले के अधिकारियों को राजभवन की न सुनने को कहती रहती। मुख्यमंत्री अपने स्तर पर भी पता लगाती रहती है राजभवन से आए फोन का जवाब किस अधिकारी ने दिया?।
हाल ही में एक बैठक में मुख्यमंत्री ने पूर्वी मिदनापुर के पुलिस अधीक्षक से पूछा कि राजभवन के फोन के कारण क्या वह सरकारी कार्य करने मे अपने को असमर्थ पा रहे हैं? एक बैठक में, जिसमें अधिकारियों के अलावा अन्य लोग भी शामिल थे, मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकार एक अधिकारी को अपमानित करना, कई अधिकारियों को नागवार गुजरा।
बताया जाता है राज्य के बड़ी संख्या में अधिकारी संवैधानिक प्रमुख की लगातार की उपेक्षा को सही नहीं मानते। लेकिन वे अपने को मजबूर पाते हैं।