प्रासंगिक विशेष स्कूल भवनों की स्थिति और बच्चों की सुरक्षा: एक गंभीर चिंता

422

प्रासंगिक विशेष

स्कूल भवनों की स्थिति और बच्चों की सुरक्षा: एक गंभीर चिंता

शिक्षाविद विजयप्रकाश पारीक कोटा

प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर

दर्दनाक हादसा ओर राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी में समाज राष्ट्र और परिवार के 7 होनहारों का भविष्य काल के गाल में समा गया ओर रूदन आक्रोश के साथ फूट रहा है । यह एकमात्र घटना नहीं है जब स्कूली बच्चे लापरवाही , उदासीनता ओर चलता है कि ढर्रे के कारण मौत के मुंह में समागए हों या अंग भंग के कारण जीवन भर यातनाएं सहने को विवश होते हैं ।
आप देखिए जब हादसा हुआ अब राजस्थान क्या मध्यप्रदेश , गुजरात , उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में तेज़ स्वर उठ रहे हैं कि सभी क्षेत्रों में स्कूलों की जांच होकर तत्काल रिपेयर कराएं । मतलब दुर्घटनाओं के बाद ही तंत्र में जागृति आती है और अबोध निर्मल मन स्कूली बच्चे मृत होरहे ? यह नकारापन ही कहा जायेगा सरकारी और प्रशासन तंत्र का । जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी कम नहीं उनकी प्राथमिकता देश के भविष्य के केन्द्र स्कूलों में विशेष ध्यान देकर सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने की होना चाहिए ।

यह महत्वपूर्ण है कि स्कूल, बच्चों के भविष्य की नींव रखते हैं। यह वो स्थान है जहाँ बच्चे न केवल शिक्षा ग्रहण करते हैं बल्कि अपने सामाजिक और नैतिक मूल्यों का भी विकास करते हैं। लेकिन, जब स्कूल भवन ही जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो, तो यह बच्चों की सुरक्षा और उनके सीखने के माहौल पर सीधा खतरा बन जाता है। भारत के कई हिस्सों में आज भी ऐसे हजारों स्कूल भवन मौजूद हैं जिनकी हालत बेहद खराब है, दीवारों में दरारें हैं, छत टपकती है, और बिजली की वायरिंग असुरक्षित है। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है बल्कि इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

जीर्णोद्धार की आवश्यकता और व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण

स्कूल भवनों का जीर्णोद्धार (Renovation) और व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण (Strengthening of Management) आज की सबसे बड़ी जरूरत है। यह केवल सौंदर्यकरण का मामला नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

नियमित निरीक्षण और मरम्मत:

सभी स्कूल भवनों का नियमित रूप से सुरक्षा ऑडिट और निरीक्षण किया जाना चाहिए। इसमें भवन की संरचना, छत, दीवारें, फर्श, बिजली की फिटिंग, पानी की आपूर्ति और स्वच्छता सुविधाओं का गहन मूल्यांकन शामिल होना चाहिए। किसी भी प्रकार की कमी पाए जाने पर तत्काल मरम्मत का कार्य शुरू किया जाना चाहिए।

आधुनिक सुरक्षा मानक:

स्कूल भवनों के निर्माण और जीर्णोद्धार में आधुनिक सुरक्षा मानकों (Modern Safety Standards) का पालन किया जाना चाहिए। इसमें भूकंपरोधी संरचना, अग्नि सुरक्षा (Fire Safety) के उपकरण, आपातकालीन निकास मार्ग (Emergency Exits) और सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था शामिल है।

स्वच्छता और स्वास्थ्य:

शौचालय और पीने के पानी की उचित व्यवस्था के साथ-साथ साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह बच्चों के स्वास्थ्य और बीमारी से बचाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
बच्चों की सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण मार्गदर्शन बिंदु
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार, स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों, सभी का प्राथमिक कर्तव्य है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण मार्गदर्शन बिंदु पर ध्यान जरुरी हैं:

सुरक्षित स्कूल परिसर:

स्कूल परिसर की चारदीवारी ऊंची और सुरक्षित होनी चाहिए ताकि बाहरी लोग आसानी से प्रवेश न कर सकें।
प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा गार्ड तैनात होने चाहिए और आगंतुकों का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए।
स्कूल के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए।

आपातकालीन प्रबंधन:

आग, भूकंप या किसी अन्य आपदा की स्थिति से निपटने के लिए स्कूल में एक आपातकालीन योजना (Emergency Plan) होनी चाहिए।
बच्चों और कर्मचारियों को नियमित रूप से मॉक ड्रिल (Mock Drills) के माध्यम से आपातकालीन स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
प्राथमिक चिकित्सा किट (First Aid Kits) हर समय उपलब्ध होनी चाहिए और कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

बुलींग और उत्पीड़न की रोकथाम:

स्कूल में बुलींग (Bullying) और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न (Harassment) को रोकने के लिए सख्त नीतियां होनी चाहिए।
बच्चों को किसी भी समस्या के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
शिकायत निवारण प्रणाली (Grievance Redressal System) स्पष्ट और प्रभावी होनी चाहिए।

साइबर सुरक्षा:

बच्चों को इंटरनेट और सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
ऑनलाइन खतरों और साइबरबुलिंग से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

परिवहन सुरक्षा:

यदि स्कूल परिवहन सुविधा प्रदान करता है, तो वाहनों का नियमित रखरखाव किया जाना चाहिए और ड्राइवरों का सत्यापन होना चाहिए।
वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए और गति सीमा का पालन किया जाना चाहिए।
स्कूल को अधिक सुरक्षित कैसे बनाएं (How to Make School More Safe)
स्कूल को बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

सरकार की भूमिका:

सरकार को स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार और रखरखाव के लिए पर्याप्त धन आवंटित करना चाहिए। सुरक्षा मानकों को लागू करने और उनके अनुपालन की निगरानी के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा (Regulatory Framework) स्थापित करना चाहिए।

स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी:

स्कूल प्रबंधन को सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनानी चाहिए। उन्हें एक समर्पित सुरक्षा समिति (Safety Committee) का गठन करना चाहिए जिसमें शिक्षक, अभिभावक और छात्र शामिल हों। यह समिति सुरक्षा नीतियों को विकसित करने और लागू करने, जोखिमों की पहचान करने और आपातकालीन योजनाओं का अभ्यास करने के लिए जिम्मेदार होगी।

अभिभावकों की भागीदारी:

अभिभावकों को स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। वे स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, अपनी चिंताओं को साझा कर सकते हैं और सुरक्षा नीतियों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
जागरूकता कार्यक्रम: बच्चों, अभिभावकों और स्कूल कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए। इससे सभी को संभावित खतरों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी मिलेगी।’

बच्चों की सुरक्षा और कल्याण – सरकार, स्कूल प्रबंधन आदि का प्रधान कर्तव्य

यह समझना महत्वपूर्ण है कि बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सरकार (Government), स्कूल प्रबंधन (School Management) और समाज का प्रधान कर्तव्य (Prime Duty) है। इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता। एक सुरक्षित और सकारात्मक सीखने का माहौल ही बच्चों को अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने में मदद कर सकता है। जब हम अपने स्कूलों को सुरक्षित बनाते हैं, तो हम वास्तव में अपने बच्चों के भविष्य और देश के भविष्य में निवेश कर रहे होते हैं। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए।