

Operation Sindoor Title : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से फ़िल्म बनाने का आवेदन ‘रिलाइंस’ ने वापस लिया!
Mumbai : इन दिनों भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर फ़िल्म बनाने की होड़जोड़ लगी है। चार कंपनियों ने इस टाइटल को रजिस्टर्ड कराने के लिए आवेदन किया है। जिनमे से रिलाइंस इंडस्ट्री ने अपना आवेदक वापस ले लिया। अभी भी तीन लोग रजिस्ट्रेशन की दौड़ में शामिल हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस ऑपरेशन को भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया।
अब ऑपरेशन सिंदूर के ट्रेडमार्क के लिए रिलायंस इंडस्ट्री सहित 4 लोगों ने अप्लाई किया था। लेकिन, अब रिलायंस की ओर से स्पष्टीकरण आया कि वो अपना आवेदन वापस ले रही है। क्योंकि, इसके लिए रिलायंस के जूनियर कर्मचारी ने गलती से अप्लाई कर दिया था। रिलायंस ने कहा कि हमारा ऑपरेशन सिंदूर को ट्रेडमार्क करने का कोई इरादा नहीं है, यह एक ऐसा शब्द है जो अब भारतीय वीरता के प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बन चुका है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक यूनिट जियो स्टूडियोज ने अपना ट्रेडमार्क आवेदन वापस ले लिया है, जिसे अनजाने में एक जूनियर व्यक्ति द्वारा बिना अनुमति के दायर किया गया था।
कहां से आया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों ने धर्म पूछकर भारतीय लोगों की हत्या की थी। इसके बाद 7 मई की सुबह भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करके 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। भारत सरकार ने इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया था। ये नाम उन महिलाओं को समर्पित है, जिनके पतियों की पहलगाम में 22 अप्रैल को धर्म पूछने के बाद आतंकियों ने हत्या कर दी थी। भारत की ये जवाबी कार्रवाई पहलगाम हमले के 15 दिन बाद की गई। पहलगाम हमले में आतंकियों ने 26 लोगों को मार दिया था। ट्रेडमार्क आवेदन के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका इस्तेमाल मिलिट्री ऑपरेशन से जुड़ी फिल्म, डॉक्यूमेंट्री या कल्चरल इवेंट के लिए किया जा सकता है।
इन लोगों ने किया आवेदन
मुकेश अंबानी की रिलायंस इडस्ट्रीज यू टर्न के बाद अब तीन लोगों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ट्रेडमार्क के लिए रह गए। इसमें मुकेश चेतराम अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबेर (रिटायर्ड) और आलोक कोठारी हैं।
भारतीय ट्रेडमार्क रजिस्ट्री अब आवेदनों की समीक्षा करेगी। इस प्रोसेस में महीनों लग सकते हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही ट्रेडमार्क के लिए कई आवेदन होने पर रजिस्ट्री सबसे पहले दाखिल किए गए आवेदन या सबसे पुष्ट दावे को प्राथमिकता देगी।