
Relief to Constables : 45 बर्खास्त परिवहन आरक्षकों को राहत, हाई कोर्ट के बहाली के आदेश!
Bhopal : हाई कोर्ट ने एक फैसले में परिवहन विभाग के बर्खास्त 45 आरक्षकों को फिर से बहाल करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह फैसला नौकरी से निकाले गए 45 परिवहन आरक्षकों द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए सुनाया. इससे याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत मिली। सरकार द्वारा 25 सितंबर 2024 के बर्खास्तगी आदेश से नौकरी से निकाले गए 45 परिवहन आरक्षकों द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आरक्षकों को बहाल करने का आदेश दिया।
कोर्ट का फैसला बर्खास्त आरक्षकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। गौरतलब है हाई कोर्ट के इस फैसले से बर्खास्त 45 आरक्षकों को बड़ी राहत मिली। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसमें भर्ती प्रक्रिया के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया था। साथ ही हिमाद्री राजे के केस की तीन याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया।
मामला साल 2012-13 की भर्ती से जुड़ा
मामला 2012-13 में हुई परिवहन आरक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। इस भर्ती प्रक्रिया में कुल 45 लोगों को महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति दी गई थी। इसके खिलाफ याची हिमाद्री राजे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमे तर्क दिया गया था कि जो पद महिला वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन पर पुरुषों की भर्ती कैसे की जा सकती है! याचिकाकर्ता हिमाद्री राजे की इसी याचिका पर 2014 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया था, जिसमें 45 परिवहन आरक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दी गई, लेकिन राहत नहीं मिली थी। हालांकि, इस दौरान सभी 45 आरक्षक काम करते रहे।
आरक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश था
साल 2014 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 45 परिवहन आरक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया था, लेकिन सभी आरक्षक काम करते रहे। लेकिन, कोर्ट के आदेश की अवमानना के डर से 25 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त ने सभी 45 आरक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ पीड़ित आरक्षकों द्वारा डिवीजन बैच में अपील की गई।
हाई कोर्ट में तर्क दिया गया कि जो पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे, उन पर नियुक्ति परिवहन विभाग द्वारा की गई। क्योंकि, पद भर नहीं सके थे, जिन्हें नियुक्ति मिली, उन सभी के नाम पहले से वेटिंग लिस्ट में थे। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति के बाद वेटिंग लिस्ट के शेष नामों को भी स्वीकृति मिल गई, क्योंकि पूर्व में जिन्हें परिवहन आरक्षक के पद के लिए चयनित किया गया था। उनमें से कुछ ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया तो कई ज्वाइन नहीं किया। ऐसा कर रिक्त पदों को भरा गया। हालांकि, ये सभी लोग वेटिंग लिस्ट में याचिकाकर्ताओं से पीछे थे।
सभी परिवहन आरक्षकों की बहाली का आदेश
तर्क दिया गया कि ज्यादा अंक लाने के बाद भी याचिकाकर्ताओं को हटा दिया गया। जबकि, कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को परिवहन आरक्षक के पद पर यथावत रखा गया। क्योंकि, याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति महिला आरक्षकों के लिए आरक्षित पद पर की गई थी। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सभी 45 परिवहन आरक्षकों की नौकरी पर बहाली करने का आदेश दिया। साथ ही बहाल आरक्षकों की वरिष्ठता भी पहले की ही रखने का आदेश भी दिया।





