Relief to Businessmen: नगर निगम की लाइसेंस फीस पर हाई कोर्ट से स्टे मिलने से व्यापारियों को राहत

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Relief to Businessmen: नगर निगम की लाइसेंस फीस पर हाई कोर्ट से स्टे मिलने से व्यापारियों को राहत

भोपाल। भोपाल में नगर निगम द्वारा वसूले जा रहे कमर्शियल टैक्स (वाणिज्यिक लाइसेंस शुल्क) पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) की रोक से अब उनको हल्की राहत मिल गयी है। गौर तलब है कि टैक्स वसूली के विरोध में भोपाल चेंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (बीसीसीआई) हाईकोर्ट पहुंचा था। इस संबंध में अध्यक्ष तेज कुलपाल सिंह पाली ने बताया कि अब 6 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। इस बात की पूरी उम्मीद है कि इसको खत्म कर जाए।

 *मंत्री, सांसद-मेयर के सामने उठा चुके मांग* 

बीसीसीआई ट्रेड (कमर्शियल) और प्रोफेशनल टैक्स को खत्म करने की मांग नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, भोपाल सांसद आलोक शर्मा और महापौर मालती राय के सामने उठा चुका है।

इस संबंध में संगठन के अध्यक्ष पाली ने कहा कि भोपाल को छोड़कर एमपी में यह टैक्स कहीं भी नहीं लिया जा रहा है। इससे व्यापारियों पर बेवजह का दबाव पड़ रहा है। इसको खत्म किया जाना चाहिए।

*क्या है टैक्स का खेल* 

राजधानी में नगर निगम सीमा में पहले जो भी व्यापार होता था, उसके बदले कुल 254 कैटेगरी का टैक्स लिया जाता था। जगह के हिसाब से अलग-अलग टैक्स होता था, जो सालाना वसूला जाता था। इसे आसान करने के लिए 4, 5 और 6 रुपए प्रति स्क्वायर प्रतिवर्ष के हिसाब से टैक्स लेना शुरू किया गया। यानी, यदि टैक्स 6 रुपए स्क्वायर फीट है और आॅफिस-दुकान 1 हजार स्क्वायर फीट है, तो 6 हजार रुपए टैक्स चुकाना होता है, जबकि पहले यह सिर्फ 450 रुपए ही लगता था। मुख्य रोड और गली में अलग-अलग कर लिया जाने लगा। इसका विरोध कर रहे हैं। इसी तरह से किराए पर चढ़ी बिल्डिंग से वसूला जाना है। इसे प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ दिया गया है। जिससे बिल्डिंग मालिक पर पूरा लोड आ गया, जबकि जो किराए पर रह रहा है, उससे ही वसूला जाना चाहिए।