Relief to Rahul Gandhi from Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘बात एक व्यक्ति के अधिकार की नहीं है, एक सांसद की है!’

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Relief to Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘बात एक व्यक्ति के अधिकार की नहीं है, एक सांसद की है!’

New Delhi : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में उन्हें दी गई दो साल की सजा पर रोक लगा दी। राहुल गांधी की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं। शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क रखे।
राहुल की याचिका जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनी। अदालत की ओर से दोनों पक्षों को 15-15 मिनट का समय दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बात एक व्यक्ति के अधिकार की नहीं है, एक सांसद की है। ट्रायल कोर्ट के जज ने अधिकतम सजा दी है, उन्हें इसकी वजह भी बतानी पड़ेगी। अपने फैसले में जज ने इस पर कुछ नहीं कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राहुल को 1 साल 11 महीने की सजा होती तो उन्हें बतौर सांसद अयोग्‍य नहीं करार दिया जाता। राहुल ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सजा पर निलंबन से गुजरात हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी है।
राहुल गांधी के वकील अभिषेक सिंघवी की ने दलील दी कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने इसे मोध में बदला। मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने टोका- मोदी नहीं, मोदी। इस पर सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिनका नाम लिया, किसी ने मुकदमा नहीं किया। दिलचस्प है कि 13 करोड़ के इस ‘छोटे’ समुदाय से मुकदमा केवल बीजेपी के पदाधिकारियों ने किया। बड़ी अजीब बात है!

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सिंघवी ने मानहानि कानून (IPC की धारा 499) का हवाला देकर कहा कि कोई भी आरोप किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है, जब तक कि यह किसी व्यक्ति के नैतिक या बौद्धिक चरित्र को कम नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह गैर संज्ञेय अपराध है। समाज के खिलाफ नहीं है, न हत्‍या, न रेप, न किडनैपिंग। 2 साल की अधिकतम सजा क्यों, इसमें नैतिक अधमता का अपराध कहां से आ गया!
सिंघवी ने कहा कि इस व्यक्ति (राहुल) को 8 साल के लिए चुप करा दिया जाएगा? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। हिंदी में हम शालीन भाषा कहते हैं मुझे नहीं लगता कि ऐसी मंशा रही होगी। जस्टिस नरसिम्‍हा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने आपराधिक प्रवृत्ति की बात कही। इसपर सिंघवी ने कहा कि ‘मैं (राहुल) अपराधी नहीं हूं।’
उन्होंने दलील दी कि राहुल गांधी की लोकसभा सीट (वायनाड) पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई। शायद उन्हें पता है कि हार के चांसेस बहुत कम है। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मामले को राजनीतिक मत बनाइए। आप और मिस्‍टर जेठमलानी, दोनों इसे राज्यसभा के लिए बचाएं। फिर सिंघवी ने टिप्पणी वापस ले ली। सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता का कहना है कि उसे न्यूज पेपर कटिंग का वॉट्सऐप मिला। वह यह नहीं बताता कि उसे यह किसने दिया। एविडेंस एक्ट के हिसाब से, असल घटना साबित नहीं हुई।

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