गणतंत्र दिवस-दूल्हे को घोड़ी की नहीं आजादी.?

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वरिष्ठ पत्रकार श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

भोपाल: देश ने आज 73 वाँ गणतंत्र दिवस बनाया है पर इसके एक ही दिन पहले ही भाजपा शासित मध्यप्रदेश और काँग्रेस शासित राजस्थान से शर्मसार करने वाली दो घटनाएँ सामने आईं हैं.

मध्यप्रदेश मे सागर के गाँव मे दलित दूल्हे ने घोड़ी पर सवार होकर निकलने की जुर्रत की तो दबंगों ने हमला बोल दिया और महिलाओं से मारपीट की.
राजस्थान के बूंदी मे दलित दूल्हे का घोड़ी पर निकलना पुलिस के सख्त पहरे मे ही मुमकिन हो पाया.
मीडिया मे ऐसी घटनाओं की खबरें अक्सर आती रहती हैं जो हमे बताती है की महात्मा गाँधी और आंबेडकर के मुल्क में सवर्णों का जातिप्रेम इक्कीसवीं सदी में भी किस प्रकार हिलोरें लेता रहता है.

डेढ़ साल पहले यूपी के आगरा में जब नट महिला का अंतिम संस्कार होने जा रहा था तब ठाकुरों ने इसे अपना श्मशान बता चार किमी दूर अंत्येष्टि करने पर विवश कर दिया.ऐसी घटनाएँ हमे सौ साल पुराने मुंशी प्रेमचंद के कथा संसार में ले जाती है जब पानी के लिए अलग-अलग कुएँ होते थे.ये यह भी बताती हैं की राजनैतिक नेतृत्व की दिलचस्पी शहरी लोगों के लिए आरक्षण जैसी सुविधाओं तक सीमित है और ग्रामीणों को दबंगों के रहमो-करम पर ही छोड़ दिया गया लगता है.