सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. कुसुम लुनिया द्वारा लिखित शोध ग्रन्थ “सर्वोत्तम जीवनशैली“ का सूरत में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में लोकार्पण
नीति गोपेन्द्र भट्ट की रिपोर्ट
सूरत। सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. कुसुम लुनिया द्वारा लिखित शौध ग्रन्थ “सर्वोत्तम जीवनशैली“ का सूरत में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में लोकार्पण हुआ। शौध ग्रन्थ “सर्वोत्तम जीवनशैली “का प्रकाशन जैन विश्व भारती आदर्श साहित्य संघ विभाग द्वारा किया गया है।
इस अवसर पर आचार्य श्रीमहाश्रमण ने “सर्वोत्तम जीवनशैली“ ग्रन्थ के लिए डॉ कुसुम लुनिया को बधाई दी और आशीर्वचन में कहा कि मनुष्य की जीवनशैली अच्छी रहे, उसमें त्याग संयम, तप स्वाध्याय ये तत्व सन्निहित हों। आदमी का रहन-सहन, खान-पान, चिन्तन-मनन, सोना, जागना और उठना आदि सब क्रियाओं में संयम एवं विवेक हो। आध्यात्मिकता -धार्मिकता जीवनशैली के साथ जुड़ी हुई हो तो जीवनशैली भी सर्वोत्तम बन सकती है।
अपने उदबोधन में उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम बहुत ऊंचा शब्द है परन्तु यह असम्भव भी नहीं लगता। महाश्रमण जी ने कहा कि “सर्वोत्तम जीवनशैली” पुस्तक पाठक को सत्प्रेरणा और सन्मार्ग दर्शन देने वाला ग्रन्थ सिद्ध हो और यह ग्रन्थ सफलता को प्राप्त हो। मेरा आशीर्वाद इसके साथ है।
उन्होंने कहा कि लेखिका की प्रतिभा का उपयोग लेखन, भाषण, चिन्तन एवं सलाह देने में भी हो सकता है, कर्मजा शक्ति का, पुरूषार्थ शक्ति का उपयोग होता रहे। खूब अच्छा काम चलता रहे। अणुव्रत का भी काम चलता रहे।
अणुव्रत आचार्य श्रीमहाश्रमण के पावन सानिध्य में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह का कुशल संचालन मुनिश्री दिनेश कुमार और मुनिश्री कीर्ति कुमार द्वारा किया गया। आध्यात्मिक पर्यवेक्षण में जयन्ति लाल सुराना, डॉ धनपत लुनिया, संजय सुराना, संजय भंसाली अवधेश भाई आदि को लोकार्पण हेतु आंमत्रित किया गया।
इस शुभ प्रसंग पर वतन -विशाल लुनिया एवं अंजु सुराणा की भी विशेष उपस्थिति रही।
इस अवसर पर विदुषी लेखिका डॉ कुसुम लूनिया ने कृतज्ञ भावों से हृदय के उदगार व्यक्त किये। जैन तेरापंथ धर्म के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्रीमहाश्रमण से भरपूर आशीर्वाद पाकर जैन विश्व भारती एवं लुनिया तथा बोथरा परिवार कृतज्ञ हुआ।