Ret IAS Handed Over Everything to ‘Ram’ : MP के रिटायर्ड IAS ने सारी संपत्ति रामलला को अर्पित की! 

रामलला की मूर्ति के सामने 5 करोड़ से बनी स्वर्ण जड़ित रामचरितमानस स्थापित कराएंगे!

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Ret IAS Handed Over Everything to ‘Ram’ : MP के रिटायर्ड IAS ने सारी संपत्ति रामलला को अर्पित की! 

New Delhi : केंद्र सरकार में गृह सचिव रहे मध्य प्रदेश कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस लक्ष्मीनारायणन ने अपनी जीवनभर की कमाई भगवान राम को अर्पित कर दी। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वे मूर्ति के सामने 5 करोड़ से तैयार 151 किलो की स्वर्ण जड़ित रामचरितमानस स्थापित करवाएंगे। उन्हें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अनुमति दी है।

महाकाव्य का 10,902 पदों वाला हर पन्ना तांबे का होगा, जिसे 24 कैरेट सोने में डुबोया जाएगा, फिर स्वर्ण जड़ित अक्षर लिखे जाएंगे। इसमें 140 किलो तांबा और 5 से 7 किलो सोना लगेगा। इसके अलावा सजावट के लिए रामचरित मानस पर अन्य धातुओं का भी इस्तेमाल होगा। तांबे पर लिखी और सोने की परत वाली इस पुस्तक के लिए नारायणन ने अपनी सारी संपत्ति बेचने और बैंक खातों को खाली करने का फैसला किया। इस रामचरित मानस को रामलला के चरणों के पास रखा जाएगा। पिछले दिनों ये रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पत्नी के साथ अयोध्या गए थे। वहां उन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से इस बारे में बातचीत करके अपनी मंशा बताई। उन्हें इस रामचरित मानस बनाने की अनुमति भी मिल गई।

 

सेंगोल बनाने वाली कंपनी ही रामचरित मानस बनाएगी

जिस तरह की रामचरित मानस की रिटायर्ड केंद्रीय गृह सचिव एस लक्ष्मीनारायणन ने परिकल्पना की, उसे ‘वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स’ तैयार कर रहा है। इसी ज्वैलरी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) बनाया है। कंपनी ने स्वर्ण जड़ित रामचरित मानस का डिजाइन तैयार करने का काम शुरू कर दिया, जिसके निर्माण में तीन महीने का समय लगेगा।

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मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे

वे 1970 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे। कई कंपनियों के चेयरमैन की भूमिका में भी रहे हैं। उनका पैतृक निवास चेन्नई शहर में है। उनका जन्म दिल्ली में हुआ और अभी भी वे दिल्ली में ही रह रहे हैं। उनकी पत्नी सरस्वती गृहिणी है। उनकी एक ही बेटी प्रियदर्शिनी है जो अमेरिका में है। उनके पिता सुब्रमण्यम केंद्र सरकार में सचिव रहे और मां लक्ष्मी भी गृहिणी थी।

 

मनौती के कारण यह नाम रखा गया

एस लक्ष्मीनारायणन ने बताया कि उनके घर के सभी सदस्यों की ईश्वर में अगाध आस्था है। संयोग से पत्नी भी सरस्वती सरीखी मिलीं। उनकी मां लक्ष्मी की एक मनौती की वजह से ही उनका नाम लक्ष्मीनारायणन रखा गया। जब उनकी मां गर्भवती थी, तब उन्होंने दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना की थी कि यदि बेटा हुआ तो उसका लक्ष्मीनारायण नाम रखेंगी। उनकी मन्नत पूरी हुई तो मेरा नाम लक्ष्मीनारायणन रख दिया गया।

 

ईश्वर का दिया उन्हें ही वापस

एस लक्ष्मी नारायणन का अपनी इस इच्छा के बारे में कहना है कि ईश्वर ने मुझे जीवन भर बहुत कुछ दिया। कई बड़े पदों पर रहा। ईश्वर की कृपा से मेरा पूरा जीवन अच्छा चला। रिटायर होने के बाद भी अच्छा पैसा मिल रहा है। मैं दाल-रोटी खाने वाला इंसान हूं, मेरी तो पेंशन ही खर्च नहीं होती। जो कर रहा हूँ, वो ईश्वर का दिया हुआ ही उन्हें वापस कर रहा हूं। दान के नाम पर धन की लूट-खसोट से बेहतर है कि प्रभु के चरणों में उनकी पुस्तक अर्पित कर दूं।