Return of Agricultural Law : कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान से विवाद बढ़ा

राहुल गांधी ने ट्वीट किया 'देश के कृषि मंत्री ने मोदी की माफ़ी का अपमान किया'

734
Return of Agricultural Law : कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान से विवाद बढ़ा https://mediawala.in/return-of-agricultural-law-controversy-escalated-due-to-the-statement-of-agriculture-minister/

Nagpur : कृषि कानून की वापसी संबंधी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) के बयान से विवाद शुरू हो गया। शनिवार को नागपुर में कृषि उद्योग प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा, उससे अनुमान लगाया गया कि समय आने पर केंद्र सरकार फिर कुछ फेरबदल करके तीनों कृषि क़ानून वापस ला सकती है, जिसे लेकर किसानों को आपत्ति थी।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था ‘हम कृषि क़ानून लेकर आए थे। लेकिन, कुछ लोगों को यह रास नहीं आया। लेकिन, वो 70 सालों की आज़ादी के बाद एक बड़ा सुधार था। देश नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था, लेकिन सरकार निराश नहीं है। हम एक क़दम पीछे हटे हैं, आगे फिर बढ़ेंगे। क्योंकि, हिन्दुस्तान का किसान इस मुल्क की रीढ़ की हड्डी है। जब हमारी रीढ़ मज़बूत होगी तो निश्चित रूप से देश मज़बूत होगा!’

जब नरेंद्र तोमर कार्यक्रम में ये बात कह रहे थे तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की ज़रूरत है। तोमर ने कहा कि निजी निवेश अन्य क्षेत्रों में आया, जिससे रोज़गार पैदा हुआ और इससे GDP में इन उद्योगों का योगदान बढ़ा। कृषि क्षेत्र इतना बड़ा है लेकिन उसे इस तरह का अवसर नहीं मिला!

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी निवेश की ज़रूरत है ताकि गाँवों में गोदाम और कोल्ड स्टोरज बनाए जा सकें। कृषि मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा ‘देश के कृषि मंत्री ने मोदी की माफ़ी का अपमान किया, ये बेहद निंदनीय है। अगर फिर से कृषि विरोधी क़दम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा। पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हराएंगे!’

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस नरेंद्र तोमर के बयान को किसानों के ख़िलाफ़ साज़िश क़रार दिया। सुरजेवाला ने कहा ‘खेत-खलिहान के ख़िलाफ़ मोदी सरकार की साज़िश आख़िरकार उजागर हो ही गई। ये बात साफ़ है कि मोदी सरकार पाँच राज्यों में चुनाव के बाद तीनों काले कृषि क़ानून लाने की साज़िश कर रही है। अहंकारी सरकार और निरंकुश प्रधानमंत्री की झूठ-फूट और लूट की राजनीति को, किसान विरोधी चेहरे को पूंजीपतियों के दबाव में दोबारा काले क़ानून वापस लाने की साज़िश को हम पूरी तरह से फेल कर देंगे!’

सूरजेवाला ने कहा कि पाँच राज्यों में BJP का सूपड़ा साफ़ होने पर ही चोर दरवाज़े से तीन खेती विरोधी क़ानून दोबारा लाने का रास्ता बंद होगा। मोदी सरकार की हार में ही किसान की जीत है। काले क़ानून वापस लाने के मोदी जी के इशारे पर की जा रही साज़िश का जवाब खुद प्रधानमंत्री दें। इससे पहले राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा और BJP सांसद साक्षी महाराज ने 21 नवंबर को कहा था कि कृषि क़ानून बाद में वापस लाया जाएगा और अब इसकी पुष्टि ख़ुद कृषि मंत्री ने ही कर दी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को सब को चौंकाते हुए तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। 29 नवंबर को संसद में ध्वनिमत से वापसी का बिल भी पास कर दिया गया। इसके पहले कृषि मंत्री और मोदी कैबिनेट के अन्य मंत्री आंदोलनकारी किसानों को मनाने की कोशिश कर रहे थे।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी ट्वीट करके कहा कि ‘कृषि मंत्री के बयान की उपेक्षा नहीं की जा सकती। एक तरफ़ मोदी माफ़ी मांगते हैं, लेकिन दूसरी तरफ़ उनका छुपा एजेंडा बाहर आ जाता है। चुनाव के दौरान आंदोलन ख़त्म करवाने के लिए इन्होंने एक क़दम पीछे खींचा, लेकिन चुनाव के बाद अपने दोस्तों के लिए और अन्नदाता पर हमले के लिए कई क़दम आगे जाएंगे।

जब इस पर विवाद बढ़ा को नरेंद्र सिंह ने तोमर ने स्पष्टीकरण भी दिया। तोमर ने सफ़ाई देते हुए कहा ‘मैंने ये कहा कि भारत सरकार ने अच्छे क़ानून बनाए थे। लेकिन, अपरिहार्य कारणों से वापस लिया लेकिन भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए काम करती रहेगी। उनसे एक समाचार एजेंसी ने पूछा कि आपने कहा कि एक कदम पीछे हटे हैं। लेकिन, फिर आगे बढ़ेंगे, क्या नया बिल आएगा? इसके जवाब में तोमर ने कहा ‘नहीं, नहीं ये नहीं कहा! ये बिल्कुल ग़लत प्रचार है। 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले तीनों क़ानूनों के वापस लेने की घोषणा की थी।

प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे! हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, ख़ासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गाँव ग़रीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये क़ानून लेकर आई थी।