Return Postponed : शुभांशु शुक्ला की वापसी अभी नहीं, 10 जुलाई को धरती पर आना मौसम की खराबी और तकनीकी दिक्कतों से टला!

उनके भी सुनीता विलियम्स की तरह अंतरिक्ष में फंसने की आशंका!

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Return Postponed : शुभांशु शुक्ला की वापसी अभी नहीं, 10 जुलाई को धरती पर आना मौसम की खराबी और तकनीकी दिक्कतों से टला!

New Delhi : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन गुजारने के बाद एक्सीओम-4 मिशन के क्रू को कुछ और दिन अंतरिक्ष में रहना पड़ेगा। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने साफ किया है कि मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, मिशन पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोश उज्नांस्की-विस्निएव्स्की और टिबोर कपु की धरती पर वापसी अब 14 जुलाई से पहले नहीं होगी।

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यह अंतरिक्ष क्रू 27 जून से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर वैज्ञानिक प्रयोग कर रहा है। तय योजना के मुताबिक 14 दिन बाद यानी 10 जुलाई को वापसी होनी थी। लेकिन, मौसम की खराबी और आईएसएस की तकनीकी दिक्कतों ने इस इंतजार को थोड़ा और लंबा कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अभी तक वापसी की तारीख पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया।

इन वजह से टाली जा रही वापसी

एक्सीओम-4 का चालक दल स्पेस-एक्स के ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ में सवार होकर धरती पर लौटेगा। यह कैप्सूल फ्लोरिडा के तट के पास अटलांटिक महासागर या मैक्सिको की खाड़ी में सॉफ्ट स्प्लैशडाउन करेगा। लेकिन, अगर इस इलाके में तेज हवाएं, बारिश या तूफान जैसी मौसमी दिक्कतें हों, तो स्प्लैशडाउन को टालना पड़ता है। ईएसए और नासा ने बताया कि मौसम की खराबी के चलते वापसी को 14 जुलाई तक टाला जा सकता है।

इसके अलावा, आईएसएस के रूसी ज़व्ज़ेदा मॉड्यूल में हाल ही में हवा के रिसाव (प्रेशर लीक) की समस्या सामने आई थी। नासा और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने इसकी मरम्मत की। लेकिन, मरम्मत के बाद भी हवा के रिसाव का एक नया संकेत मिला। इसकी जांच के लिए और वक्त चाहिए, जिसके चलते एक्सीओम-4 की वापसी में देरी हो रही है। आईएसएस एक बंद वातावरण है, इसलिए किसी भी नए क्रू को जोड़ने या मौजूदा क्रू को वापस लाने से पहले स्टेशन की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करनी जरूरी है।

क्या है रिएंट्री प्रोसेस 

ड्रैगन कैप्सूल की धरती पर वापसी यानी रिएंट्री एक जटिल प्रक्रिया है। सबसे पहले कैप्सूल को ISS से अनडॉक करना होता है। इसके बाद यह अंतरिक्ष से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है, जहां यह हजारों डिग्री तापमान का सामना करता है। कैप्सूल का हीट शील्ड इसे जलने से बचाता है।

फिर पैराशूट की मदद से यह समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इस पूरी प्रक्रिया में मौसम का बहुत बड़ा रोल है। अगर समुद्र में तेज लहरें या तूफान हो तो लैंडिंग जोखिम भरी हो सकती है। इसके लिए नासा को सटीक लॉन्च विंडो का इंतजार भी करना पड़ता है।

लॉन्च विंडो का मतलब है वह सटीक समय, जब आईएसएस और ड्रैगन कैप्सूल की कक्षा एक-दूसरे के साथ सही तालमेल में रहेगी। अगर मौसम या तकनीकी कारणों से यह समय चूक जाए, तो अगले लॉन्च विंडो का इंतजार करना पड़ता है। यह विंडो कुछ घंटों या कुछ दिनों बाद ही मिल सकती है, जिसके चलते वापसी में देरी हो सकती है।