Atal Express: अटल एक्सप्रेस वे का बदला एलाइनमेंट, बचेगी 390 हेक्टेयर वन भूमि

खर्च भी घटा,निर्माण होगा लेट

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Atal Express: अटल एक्सप्रेस वे का बदला एलाइनमेंट, बचेगी 390 हेक्टेयर वन भूमि

भोपाल: मध्यप्रदेश से निकलने वाले अटल एक्सप्रेस वे में हरे-भरे जंगलों को कटने से बचाने के लिए एलाइंनमेंट चेंज किया गया है। इससे काफी वन भूमि बचेगी। लेकिन एलाइनमेंट चेंज होंने के कारण अब यह काम देरी से पूरा हो पाएगा। इसके चलते इसकी समयसीमा तीन माह बढ़ जाएगी। अब इसके टैंडर दिसंबर तक होंगे। इस पूरी परियोजना में भू-अर्जन पर होंने वाले खर्च में 390 करोड़ का इजाफा भी हो गया है। लेकिन मध्यप्रदेश में पूरी परियोजना पर पहले 9 हजार 260 करोड़ रुपए खर्च होंने वाले थे अब केवल 8 हजार 884 करोड़ रुपए ही खर्च होंगे। कुल 376 करोड़ रुपए का खर्च बचेगा।

अटल एक्सप्रेस वे  मध्यप्रदेश में मुरैना, अम्बाह, भिंड होते हुए गुजर रहा है।  यह पूरा अटल एक्सप्रेस वे कोटा से शुरु हो रहा है और इटावा में जाकर खत्म होगा। मध्यप्रदेश में अटल एक्सप्रेस वे में काफी वन भूमि आ रही थी इसके कारण इसके काम में रुकावट आ रही थी। वन विभाग से मंजूरी मिलने में देरी हो रही थी। इसके चलते अब लोक निर्माण विभाग  ने मध्यप्रदेश में अटल एक्सप्रेस वे का एलाइंनमेंट चेंज कर दिया है। पहले मध्यप्रदेश में 313 किलोमीटर सड़के अटल एक्सप्रेस वे के तहत बनना थी।अब नवीन एलाइनमेंट में केवल 299 किलोमीटर लंबी सड़क ही बनेगी।  चौदह किलोमीटर की सड़क मार्ग में कटौती कर दी गई है।

390 हेक्टेयर वन भूमि बचेगी-
इस एलाइनमेंट के बदलाव के पहले अटल एक्सप्रेस वे के निर्माण में पहले 403  हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जा रहा था। अब केवल 13 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जाएगा। इससे 390 एकड़ वन भूमि और उस पर लगे हरे-भरे पेड़ कटने से बचेंगे।अभ्यारण्य के अंदर पहले तीन किलोमीटर लंबी रोड बन रही थी अब केवल 2.4 किलोमीटर लंबी सड़क बनेगी। ईएसजेड लंबाई पहले 242 किलोमीटर थी अब यह घटकर 7 किलोमीटर ही रह जाएगी।

एलाइनमेंट में बदलाव के बाद काफी अधिक वन भूमि इस सड़क निर्माण में उपयोग नहीं की जाएगी। मध्यप्रदेश में अटल एक्सप्रेस वे जो प्रस्तावित था उसमें तीन हजार 345 हेक्टेयर जमीन का उपयोग किया जा रहा था। अब जो एलाइनमेंट बदला है उसके बाद 2 हजार 303 हेक्टेयर जमीन का ही उपयोग अटल एक्सप्रेस वे में होगा। पहले अटल एक्सप्रेस वे में 1604 हेक्टेयर शासकीय भूमि  लग रही थी अब केवल 545 हेक्टेयर सरकारी जमीन इस सड़क के निर्माण में उपयोग की जाएगी।

खजाने पर बढ़ेगा 273 करोड़ का बोझ-
सरकारी जमीन, वन भूमि को कम करने के लिए सरकार को अब निजी भूमि ज्यादा मात्रा में अधिग्रहित करने की जरुरत पड़ेगी। एलाइनमेंट बदलाव के पहले 1 हजार 338 हेक्टेयर निजी भूमि अटल एक्सप्रेस वे के निर्माण में लग रही थी। अब एक हजार 745 हेक्टेयर निजी भूमि का उपयोग होगा। अब 407 हेक्टेयर निजी भूमि का ज्यादा उपयोग किया जाएगा। पहले निजी जमीन  अर्जित करने पर राज्य सरकार को केवल 350 करोड़ रुपए खर्च करने थे अब ज्यादा जमीन की जरुरत है इसलिए 273 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे। निजी भूमि अधिग्रहित करने अब कुल 623 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे।

रिकार्ड समय में ली पर्यावरणीय मंजूरी-
इस परियोजना को तेजी से पूरा करने के लिए एक माह के भीतर रिकार्ड समय में सभी पर्यावरणीय स्वीकृतियां लोक निर्माण विभाग ने प्राप्त कर ली है। बस एलाइनमेंट बदलने से अब टेंडर दिसंबर तक हो जाएंगे और पूरा काम तीन माह देरी से हो पाएगा।

संशोधित समयसीमा-
टीओआर अनुमोदन और एलएसी एक पूर्ण हो चुके है। एलएसी दो का काम एनएचएआईतीस अगस्त तक करेगा। खसरावार नवीन सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है। भूअर्जन अब दिसंबर 2022 तक होगा। इसमें निविदा जनवरी 2023 में जारी हो पाएगी।  90 प्रतिशत भूमि हस्तांतरण कलेक्टर दिसंबर 2022 तक पूरा कर देंगे।