Rights in Ancestral Property : परिवार की पैतृक संपत्ति में अवैध संतान का भी अधिकार!
New Delhi : अवैध शादी से पैदा हुई संतान को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अवैध और शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा। कोर्ट ने नई व्यवस्था देते हुए कहा कि ऐसे बच्चों को भी वैध कानूनी वारिसों के साथ हिस्सा दिया जाएगा। हालांकि, ऐसे बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य संपत्ति के हकदार नहीं होंगे।
इस तरह अब हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 16(3) का दायरा बढ़ाया जाएगा। 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का निपटारा किया। यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर लागू होगा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 3 जजों की पीठ रेवना सिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2011) मामले में दो-जजों की पीठ के फैसले के खिलाफ एक मामले पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया था कि शून्य (अमान्य) विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति, चाहे वह स्वअर्जित हो या पैतृक, उसमें उत्तराधिकार के हकदार हैं।
इस मामले में मुद्दा हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 16 की व्याख्या से संबंधित है, जो अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैधता प्रदान करता है। हालांकि, धारा 16(3) में यह भी कहा गया है कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं और अन्य सहदायिक शेयरों पर उनका कोई अधिकार नहीं होगा। इस संदर्भ में प्राथमिक मुद्दा यह था कि हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू अविभाजित परिवार में संपत्ति को माता-पिता की कब माना जा सकता है।
इसका जवाब देते हुए पीठ ने बताया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक हिंदू मिताक्षरा संपत्ति में सहदायिकों के हित को उस संपत्ति के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है, जो उनकी मौत के वक्त संपत्ति का विभाजन होने पर उन्हें आवंटित किया गया होता। अदालत ने माना कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे ऐसी संपत्ति के हकदार हैं, जो उनके माता-पिता की मृत्यु पर काल्पनिक विभाजन पर हस्तांतरित होगी।