रॉबर्ट वाड्रा बेनामी संपत्ति से आयकर बचाने पर घिरे

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श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

राज्यपाल,सीबीआई,चुनाव आयोग प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आईटी विभाग और सीएजी आदि पर केंद्र के इशारे पर विरोधियों को सताने के आरोप लगना कोई नयी बात नहीं है.

काँग्रेस के दौर मे भाजपा शोर मचाया करती थी और भाजपा राज मे काँग्रेस इसका रोना रो रही है.

सवाल है कि आपका रिकार्ड साफ सुथरा क्यों नहीं है जो एजेंसियों को घेरने का मौका मिल जाता है. गांधी परिवार के दामाद वाड्रा कई सालों से आयकर आदि के राडार पर हैं.

वाड्रा के हरियाणा में औने पौने दाम सरकारी जमीन हासिल कर डीएलऍफ़ को मोटी रकम पर बेचने का मामला केजरीवाल उठा चुके हैं.

अब आयकर विभाग राजस्थान मे 106 करोड़ की बेनामी भूमि से 11 साल मे हुई आय का खुलासा ना करने पर वाड्रा को कठघरे मे खड़ा कर रहा है.

बेनामी संपत्ति की इस गड़बड़ी पर छपी बड़ी खबर के मुताबिक विभाग की वाड्रा की सात कंपनियों की आय पर भी नजर है।

जाहिर है वाड्रा ने इस मामले की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए राजनैतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया है. प्रियंका गाँधी द्वारा यस बैंक के बदनाम को-फाउंडर राणा कपूर को राजीव गांधी की एमएफ हुसैन द्वारा बनाई पेंटिंग दो करोड़ में बेचने का सौदा भी सामने आ चुका है।

ईडी का कहना है कि राणा कपूर ने यस बैंक के प्रमुख के तौर पर डीएलऍफ़ को फायदा पहुंचाया जिसके बदले परिवार को लाभ मिला.ईडी ने कपूर के खिलाफ मार्च 20 में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया था.

पिछले साल उनकी पत्नी और दो बेटियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

सीबीआई ने कहा कि डीएलऍफ़ की सहायता के एवज मे इन तीनों के नियंत्रण वाली कंपनी को छह सौ करोड़ की कथित रिश्वत लोन के तौर पर मिली.

राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से मदद मिलने पर भी कुछ महीने पहले खूब हल्ला हुआ था.

दरअसल राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद फाउंडेशन की स्थापना हुई थी. नरसिंहराव के प्रधानमंत्री बनने पर फाउंडेशन पर केंद्र और अन्यों का मेहरबान होना अनहोनी नहीं थी.

मगर सत्ता के अंतिम दौर में नरसिंहराव के सोनिया गाँधी से रिश्ते बिगड़ने लगे थे. उस दौरान इंडियाटुडे ने राजीव गाँधी फाउंडेशन पर कवर स्टोरी की थी.

सोनिया गाँधी को असहज बनाने वाली इस रिपोर्ट में फाउंडेशन को सरकारों और अन्यों से मिले डोनेशन का ब्यौरा दिया था.