RSS Raised Demand : संघ का संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा का आह्वान!

होसबाले ने कहा कि ये बीआर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे!

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RSS Raised Demand : संघ का संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा का आह्वान!

New Delhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करते हुए गुरुवार को कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था। ये कभी भी बीआर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे। आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई, लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबाले ने कहा कि इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए। होसबोले ने कहा कि प्रस्तावना शाश्वत है। क्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाश्वत हैं! संघ के पदाधिकारी ने दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करने का सुझाव ऐसे समय दिया, जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौर की ज्यादतियों के लिए निशाना साधा और पार्टी से माफी की मांग की।

25 जून 1975 को घोषित आपातकाल के दिनों को याद करते हुए होसबाले ने कहा कि उस दौरान हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया और उन पर अत्याचार किया गया। वहीं न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया। संघ के नेता ने कहा कि आपातकाल के दिनों में बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ऐसी चीजें कीं, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने अभी तक माफी नहीं मांगी है, वे माफी मांगें। कांग्रेस पर हमला करते हुए होसबाले ने कहा कि आपके पूर्वजों ने ऐसा किया, आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।