RSS Representative Assembly : दत्तात्रेय होसबोले फिर RSS के सरकार्यवाह, 2027 तक कार्यकाल!
Nagpur : आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में रविवार को सर्वसम्मति से ऐलान किया गया कि दत्तात्रेय होसबोले फिर अगले तीन साल के लिए सरकार्यवाह होंगे। वे 2021 से पहले से सह-सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे। इससे पहले भैयाजी जोशी सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे। आज प्रतिनिधि सभा का आखिरी दिन था। स्वप्निल कुलकर्णी मध्य क्षेत्र के नए क्षेत्र प्रचारक बनाए गए है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मध्य क्षेत्र व मालवा प्रांत को लेकर कई फैसले लिए गए। स्वप्निल कुलकर्णी मध्य क्षेत्र के नए क्षेत्र प्रचारक बने है। जबकि, राजमोहन मालवा प्रांत के नए प्रांत प्रचारक होंगे। मालवा प्रांत के वर्तमान प्रचारक बलीराम को अखिल भारतीय सामाजिक सद्भाव प्रमुख बनाया गया। इंदौर में विभाग प्रचारक रहे विमल गुप्ता अब मध्य भारत प्रांत के नए प्रांत प्रचारक बने है।
इसके अलावा वर्तमान में मालवा प्रांत के प्रांत प्रचार प्रमुख विनय दीक्षित अब प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक बनाए गए है। अब तक मध्य क्षेत्र के प्रचारक की जिम्मेदारी संभाल रहे दीपक विस्पुते को अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाया गया। दीपक विस्पुते के कार्यकाल में मध्य क्षेत्र में संघ का जमीनी नेटवर्क मजबूत हुआ। इस दौर में शाखाएं भी बढ़ी है।
आरएसएस में हर 3 साल में चुनाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में हर 3 साल में चुनाव प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। फिर ये लोग अपनी टीम की घोषणा करते हैं, जो अगले 3 साल तक काम करती है। बीच में भी कुछ पदों पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होती है। संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला विभाग है।
कौन हैं नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले
दत्तात्रेय होसबोले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। एक दिसंबर, 1955 में जन्मे होसबोले 13 साल की उम्र में 1968 में आरएसएस से जुड़ गए थे। वर्ष 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े। होसबोले ने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से स्नातकोत्तर किया। दत्तात्रेय होसबोले एबीवीपी कर्नाटक के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। इसके बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे।
करीब दो दशकों तक एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। इसके बाद करीब 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाए गए। वे वर्ष 2009 से सह सर कार्यवाह थे। दत्तात्रेय होसबोले को मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तामिल, मराठी, हिंदी व संस्कृत सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान है।
आरएसएस के सरकार्यवाह का चुनाव
आरएसएस में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के दूसरे प्रमुख पद के लिए जब चुनाव होता है, तो कोई तामझाम नहीं रहता है और न ही कोई दिखावा होता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
समाज में संघ का प्रभाव बढ़ा
दत्तात्रेय होसबोले कहते हैं कि समाज में संघ का प्रभाव बढ़ रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अक्षत वितरण दौरान जिस तरह से देश भर में लोगों ने हमारा स्वागत किया, वह देश के माहौल को दिखाता है। राम मंदिर भारत की सभ्यता और उसकी संस्कृति का प्रतीक है। श्रीराम देश की सभ्यतागत पहचान हैं, यह बात बार-बार सिद्ध हुआ है और 22 जनवरी को एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है। आरएसएस या इसकी विचारधारा वाले लोगों ने लगभग 20 करोड़ घरों से संपर्क किया है। यह भारत के इतिहास में एक रिकॉर्ड है कि ऐसा सिर्फ 15 दिनों में हुआ है।