Indore : नगर निगम की नई परिषद बनने के बाद से पार्षदों और अधिकारियों के बीच चल रही खींचतान गुरुवार को खुलकर सामने आ गई। मुख्यमंत्री की विकास यात्रा पर बात करने के लिए हुई इस बैठक में पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा। वे बोले कि अफसर फोन नहीं उठाते, हमारी बात नहीं सुनते, हम जनता के बीच किस मुंह से जाएं। कैसे विकास यात्रा निकालेंगे।
पार्षदों का गुस्सा देखकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव को कहना पड़ा कि अब अधिकारियों को बख्शेंगे नहीं। मुख्यमंत्री तक मामला लेकर जाएंगे। उधर, हैरानी की बात यह है कि बैठक में निगम आयुक्त उपस्थित नहीं थीं। बैठक सिटी बस ऑफिस में महापौर ने बुलाई थी। जनकार्य विभाग अपर आयुक्त अभय राज गांवकर ने बताया कि विभागवार क्या-क्या किया है।
इस बैठक में किसी ने पानी नहीं आने की शिकायत की तो किसी ने लाइट नहीं होने की। किसी ने स्टाफ की कमी तो किसी ने कहा कि दरोगा दिखता ही नहीं। कुछ पार्षदों ने कहा कि स्थिति ऐसी है कि अधिकारी पार्षदों को पहचानते तक नहीं। हम जाते हैं तो कहते हैं कि आप कौन? करीब पौन घंटे तक सभी ने अपनी पीड़ा बताई। सिटी इंजीनियर, उद्यान विभाग के अधिकारी, सभी कार्यपालन यंत्रियों के कामकाज को लेकर सारे पार्षद मुखर हो गए और हटाने की मांग करने लगे।
महापौर ने कहा अब मुख्यमंत्री को बताएंगे
महापौर ने अधिकारियों से कहा कि यह सब लिख रहे न, सबसे साइन करवाओ। इसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। वे बोले कि ढाई साल आपको जो करना था, आपने कर लिया है। अब चुने हुए जनप्रतिनिधि, पार्षद, एमआईसी के हिसाब से काम होगा। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो खुद तय कर लीजिए कि नतीजे क्या होंगे। हम 5 साल के लिए हैं। हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। आपको यह मैसेज जिसको पहुंचाना हो, पहुंचा दीजिए।
पार्षदों ने अपनी पीड़ा सुनाई
पार्षद कंचन गिदवानी ने कहा कि मेरे वार्ड 66 में कोई काम नहीं हुआ। अधिकारी को बोलते हैं तो कोई काम नहीं करते। पैचवर्क तक नहीं हुआ। इसलिए मैं अपनी विकास यात्रा नहीं निकाल पाऊंगी। बरखा मालू बोली कि मेरे क्षेत्र का जेडओ छह महीने से छुट्टी पर है। विकास कार्य का किसको कहें! मुद्रा शास्त्री का कहना मेरे वार्ड में लाइट नहीं हैं। पांच-छह महीने से विकास कार्य नहीं हो रहा है। सब काम रुके हैं। अधिकारी सुनते नहीं हैं।
निगम अधिकारियों को नसीहत
महापौर ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनी तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निगम आयुक्त और अपर आयुक्तों को भी लगे हाथ नसीहत दी। लगातार काम न होने की शिकायत मिलने के बाद महापौर बैठक में अचानक झल्ला उठे। उन्होंने लगे हाथ अधिकारियों को नसीहत दी। निगम अधिकारियों से कहा कि अब उनकी मनमर्जी नहीं चलने दी जाएगी। अब जनप्रतिनिधियों के काम करना होंगे। अधिकारी अब लालफीताशाही से बाहर निकल आएं, अन्यथा उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।