बालाघाट पर बवाल, सवाल और उबाल…
बालाघाट का नाम आते ही जेहन में सामान्यतः नक्सली वारदातों की आशंका मन में पैदा होती है। नक्सली संवेदनशीलता की वजह से ही बालाघाट में मतदान का समय तीन बजे तक ही रखा गया था। और मतदाताओं का मतदान के प्रति उत्साह भी गजब था। पर अब यही बालाघाट स्ट्रांग रूम में बैलट पेपर को विधानसभावार जमाने को लेकर विवादों में आ गया है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम उजागर होने के पांच दिन पहले बालाघाट जिले को लेकर बवाल मच गया है। मूल मुद्दा यह है कि जिन पोस्टल बैलेट को मतगणना से एक दिन पहले दो दिसंबर को जमाना था, उन्हें पांच दिन पहले छेड़कर बालाघाट जिला प्रशासन कटघरे में खड़ा हो गया है। और आश्चर्य की बात यह है कि कलेक्टर कह रहे हैं कि उन्हें स्ट्रांग रूम खोलने की कोई जानकारी नहीं है। हालांकि निर्वाचन आयोग ने मामले में कार्यवाही की है, पर कांग्रेस उससे संतुष्ट नहीं है।
खैर कांग्रेस पार्टी आक्रामक है। प्रदेश की भाजपा सरकार, निर्वाचन आयोग और बालाघाट जिला प्रशासन पर सवाल खड़े कर रही है। और बालाघाट में पेपर बैलट को विधानसभावार इकट्ठा करने को लेकर कांग्रेस का उबाल इस हद तक है कि कलेक्टर को निलंबित और हटाने के हठ पर वह आमादा है। वैसे भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ नौकरशाहों को चेतावनी देते रहते हैं कि गड़बड़ करने वाले बच नहीं पाएंगे। अफसरों ने निष्पक्ष होकर काम नहीं किया तो सरकार बनने पर सबक सीखने के लिए तैयार रहें। अब अगर कांग्रेस को मौका मिला तो बालाघाट कलेक्टर गिरीश मिश्रा का नाम हिट लिस्ट में पहले नंबर पर दर्ज हो गया है। 2018 में भी बहुत सारे नौकरशाह कांग्रेस की सरकार बनने पर सबक सीख चुके हैं। अब चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि चिन्हित नौकरशाह सुकून की सांस लेंगे या फिर अपना चैन खोने को मजबूर होंगे।
फिलहाल यह मामला प्रदेश की सीमा पार कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के बालाघाट मामले की शिकायत राष्ट्रीय चुनाव आयोग से की है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, और गुरदीप सिंह सप्पल ने चुनाव आयोग पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश के बालाघाट में पोस्टल बैलेट के साथ छेड़छाड़ हुई है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि “रक्षक ही भक्षक बन गए हैं”। उम्मीद जताई है कि चुनाव आयोग इन शिकायतों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उनके तीन मुख्य मुद्दों में पहला मुद्दा मोदी और अमित शाह द्वारा गंभीर और अमर्यादित बयानों के द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन का है। चुनाव आयोग से अपेक्षा की गई है कि कानून की जमीन सबके लिए बराबर होनी चाहिए। दूसरा मुद्दा तेलंगाना के चुनावों में बीआरएस द्वारा लगातार अलग-अलग तरीकों से आचार संहिता के उल्लंघन का है। और तीसरा मुद्दा मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में पोस्टल बैलेट के साथ छेड़छाड़ के बारे में है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाए हैं। तो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने मप्र निर्वाचन आयोग को फिर एक शिकायत सौंपते हुये कहा कि बीते 27 नवम्बर को गुरूनानक जयंती का अवकाश होने के बावजूद जिला निर्वाचन अधिकारी, कलेक्टर बालाघाट डॉ. गिरीश मिश्रा के निर्देश पर कर्मचारियों द्वारा बालाघाट में पोस्टल वोट से संबंधित स्ट्रांग रूम को खोलकर पोस्टल वोट्स के साथ छेड़छाड़ की गई। इस अनुचित कार्य को जागरूक कार्यकर्ताओं द्वारा वीडियो बनाकर वायरल किया गया। इसके आधार पर मामले की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी द्वारा निर्वाचन पदाधिकारी को उक्त घटना पर संज्ञान लेते बालाघाट कलेक्टर और उक्त कार्य में शामिल कर्मचारियों पर तत्काल कार्यवाही किये जाने की शिकायत की गई। आरोप लगाया कि गंभीर मामले पर बहुत ही हल्केपन से कार्यवाही की गई और मात्र नोडल अधिकारी को निलंबित किया गया। कलेक्टर जो कि सभी गतिविधियों के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होने के बावजूद उन्हें बचाने का कार्य किया जा रहा है। यहां तक कि कलेक्टर के विरूद्ध की गई शिकायत के बावजूद उन्हीं कलेक्टर महोदय को जांच देकर सिद्ध कर दिया कि पोस्टल वोट्स के साथ हुई छेडछाड को गंभीरता से नही लिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है किपारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा लोकतंत्र के बुनियादी उसूल हैं। बालाघाट में डाक मतपत्रों को जिस तरह से खोला गया, वह गंभीर कदाचरण है। उसके बाद सरकारी मशीनरी और जिम्मेदार अधिकारियों ने जिस तरह से इस कृत्य को सही साबित करने की कोशिश की, वह और भी अक्षम्य अपराध है। फिर वही बात कि मैं चुनाव प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारी और कर्मचारियों को याद दिलाना चाहता हूं कि इस समय वह निर्वाचन आयोग के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं, जो मध्य प्रदेश सरकार से अलग एक स्वायत्त संस्था है। वे इस समय किसी पार्टी या मंत्री के मातहत काम नहीं कर रहे हैं। इसलिए सभी अधिकारी कर्मचारियों से निवेदन है कि वह किसी भी असंवैधानिक या गैरकानूनी आदेश का पालन न करें और सिर्फ वही कार्य करें जो करना उनका प्रशासनिक दायित्व है। एक-एक अधिकारी और कर्मचारी की कार्यप्रणाली की रिपोर्ट जनता के पास है। मैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भी आग्रह करता हूं कि वह अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए कड़े से कड़े संघर्ष के लिए तैयार रहें। 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर जनता की मोहर लग जाएगी।
मोहर लगाने का काम तो मतदाताओं ने बखूबी कर दिया है। इसका खुलासा 3 दिसंबर को होना तय है। पर बालाघाट पोस्टल बैलेट मामले की चर्चा होती रहेगी। मामला मुख्य चुनाव आयुक्त का दरवाजा खटखटा चुका है। बालाघाट पर बवाल के बाद सवाल और उबाल का दौर जारी है…।