Sadhna Murder Case of Maharashtra : बाप या जल्लाद…?: पेरेंटिंग की असफलता पर विचार मंथन: सही पेरेंटिंग के सूत्र

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महाराष्ट्र की साधना हत्याकांड पर आधारित एक विवेचनात्मक लेख-

Sadhna Murder Case of Maharashtra : बाप या जल्लाद…? : पेरेंटिंग की असफलता पर विचार मंथन: सही पेरेंटिंग के सूत्र

डॉ तेज प्रकाश पूर्णा नन्द व्यास
से. नि. प्राचार्य, शासकीय महाराजा भोज स्नातकोत्तर महाविधालय

प्रस्तावना

16 वर्षीय साधना, एक होनहार छात्रा, जो मेडिकल की तैयारी कर रही थी, अपने शिक्षक पिता के हाथों तब मारी गई जब उसने एक टेस्ट में अपेक्षाकृत कम अंक प्राप्त किए। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस असंवेदनशील पालन-पोषण (पेरेंटिंग) की विफलता है जहाँ शिक्षा, अनुशासन और अपेक्षाओं के नाम पर बच्चों की भावनाओं को कुचल दिया जाता है। उन्हें घातक मृत्यु के मुंह में पहुंचा दिया जाता है।

घटना का संक्षिप्त विवरण (स्रोत: Zee News रिपोर्ट)

1. स्थान: नेलकरंजी गाँव, सांगली ज़िला, महाराष्ट्र
2. पीड़िता: साधना पाटिल, 12वीं की छात्रा, NEET की तैयारी कर रही थी

3. घटना:

पिता ने कॉलेज टेस्ट में कम अंक आने पर साधना को मारा ओखली के मूसल से बेरहमी से पिटाई की।साधना माफी माँगती रही, “पापा, अगली बार मेहनत करूंगी…”बेहोशी के बाद अस्पताल में भर्ती, लेकिन 21 जून को मौत हो गई

4. पुलिस कार्रवाई:

मां प्रीति पाटिल की शिकायत पर पिता को गिरफ्तार किया गया।

पोस्टमार्टम में शरीर पर गंभीर चोटों की पुष्टि

घटना का विश्लेषण: 7 प्रसिद्ध पुस्तकों के आधार पर

1. Parenting with Love and Logic – Charles Fay & Foster Cline

मूल शिक्षा: प्यार और तर्क के साथ अनुशासन दें

विश्लेषण:

बच्चों से गलतियाँ होती हैं, तो प्यार और सम्मान से समझाइये।

कठोरता की जगह ‘प्राकृतिक परिणाम’ अपनाएं

साधना को आगे भी प्यार सम्मान के साथ मौका देना तर्कसंगत होता। कार्य क्षेत्र के अनेक विकल्प हैं जीवन में।

2. How to Talk So Kids Will Listen… – Adele Faber & Elaine Mazlish

मूल शिक्षा: संवाद ही सबसे प्रभावी अनुशासन है।

विश्लेषण:

जब बच्चा “पापा, एक मौका और…” कहे तो वह डर और टूटन से भरा होता है

ऐसे समय में संवाद, करुणा और सहानुभूति अनिवार्य है

डांटना नहीं, सुनना आवश्यक होता है।

जीवन में कार्य क्षेत्र के अनेक स्त्रोत हैं।

3. The Whole-Brain Child – Dr. Daniel J. Siegel & Tina Payne Bryson

मूल शिक्षा: बच्चों के मस्तिष्क का विकास उम्र के अनुसार समझें

विश्लेषण:

किशोर अवस्था में भावनात्मक समर्थन ज़रूरी है

मारपीट से मानसिक संतुलन बिगड़ता है

शिक्षा के दबाव में पेरेंट्स को बच्चों के मस्तिष्क विकास की समझ होनी चाहिए।

हिंसक अमानवीय प्रथा निंदनीय है।

4. Raising Cain – Dan Kindlon & Michael Thompson

मूल शिक्षा: बच्चों के भावनात्मक जीवन की रक्षा करें

विश्लेषण:

बेटियों और बेटों दोनों के लिए घरेलू सुरक्षा अनिवार्य है

शिक्षक पिता का आचरण न तो गुरु धर्म था, न ही पेरेंटिंग

भावनात्मक उपेक्षा अपराध से कम नहीं

प्यार सम्मान ही है सही विकल्प

5. Emotional Intelligence – Daniel Goleman

मूल शिक्षा: EQ (भावनात्मक बुद्धिमत्ता) IQ से अधिक महत्वपूर्ण है

विश्लेषण:

क्रोध में निर्णय लेना EQ की कमी दर्शाता है

पिता यदि शांत चित्त होते तो साधना आज जीवित होती

शिक्षा और पेरेंटिंग में भावनात्मक समझ अनिवार्य है

6. No-Drama Discipline – Daniel J. Siegel & Tina Payne Bryson

मूल शिक्षा: अनुशासन का अर्थ है समझ और सिखाना, न कि मारना

विश्लेषण:

एक असफल टेस्ट कभी जीवन का अंत नहीं होता

दंड के स्थान पर समाधान और मार्गदर्शन जरूरी

चिल्लाने या पीटने से नहीं, संयम से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है

* 7. Indian Parenting Through the Ages – Dr. Shefali Tsabary

मूल शिक्षा: भारतीय परंपरा में करुणा और सहिष्णुता की पेरेंटिंग

विश्लेषण:

भारत की मूल पद्धति “संस्कार” आधारित रही है, दंड आधारित नहीं

गुरु-पिता को बच्चों की आत्मा का पालक माना जाता है।

साधना की मौत इस मूल दृष्टिकोण से पूरी तरह विपरीत है

मनोवैज्ञानिक विश्लेषण:

शिक्षा की अंधी दौड़ ने पेरेंट्स को “परिणाम केन्द्रित” बना दिया है

बच्चों का डर: वे असफलता से नहीं, पेरेंट्स की प्रतिक्रिया से डरते हैं। असफल होने पर स्वयं आत्म हत्त्या तक कर बैठते हैं।

पेरेंट्स का असंतुलन: स्वयं के अधूरे सपनों को बच्चों पर थोप देना

गंभीर मानसिक परिणाम:

बचपन में हिंसा PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) तक ले जाती है

* बिंदुवार समाधान और सुझाव:

1. पेरेंट्स के लिए EQ प्रशिक्षण अनिवार्य करें

2. बच्चों के साथ नियमित खुला संवाद रखिये। उन्हें मित्रवत् प्यार से सम्मान

3. शिक्षकों को भी काउंसलिंग ट्रेनिंग दी जाए

4. पैरेंट्स को भी काउंसलिंग ट्रेनिंग दी जाए

4. हर स्कूल में चाइल्ड काउंसलिंग यूनिट बने

5. फेल होने को जीवन की विफलता मानने की सोच को 100% बदले

6. भारत में भी ‘Parenting Education’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए

7. पेरेंट्स को ‘सुनना’ सिखाया जाए, सिर्फ ‘सिखाना’ नहीं

निष्कर्ष:

साधना की मौत एक लड़की की नहीं, हमारे समाज की संवेदनहीनता की मौत है।
एक शिक्षक पिता का यह रूप बताता है कि पेरेंटिंग केवल डिग्री या पेशा नहीं है, यह संवेदना, सहानुभूति, और सुनने की कला है।
अब सवाल सिर्फ ये नहीं रह गया कि “बाप या जल्लाद?”
बल्कि ये होना चाहिए:
“क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था और समाज बच्चों की भावनाओं को समझने में पूरी तरह असफल हो रहा है?

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