इंदौर। इंदौर के जानकी नगर की रहने वाली 27 साल की कृति कोठारी ने त्याग और संयम की राह पर चलने का फैसला लिया है। कृति ने MBA किया है। पिता का बिजनेस और घर संभालने की जिम्मेदारी उठा रही कृति अब परिवार के अन्य सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा ग्रहण करेगी।
पालीताणा तीर्थ में आचार्य मणिप्रभसागर ने कृति को दीक्षा जीवन में प्रवेश करने की अनुमति भी दे दी है। इसके बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है, हालांकि दीक्षा लेने की तारीख अभी तय नहीं हुई है। वहीं, दीक्षा ग्रहण करने से पहले वह मंदिरों और गुरु देवों के दर्शन करने जाएगी, जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। कृति का कहना है कि संसार में कर्म का बंधन है। आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए संयम ही पहला कदम है।
इंदौर के IEMS से मार्केटिंग में MBA कर चुकी कृति CA की तैयारी कर रही थी। मगर, पिता महेंद्र कुमार कोठारी का 2012 में निधन हो गया। 18 साल की उम्र में पिता की सियांगज स्थित इलेक्ट्रिकल्स की दुकान संभालने लगीं। कम उम्र में घर की जिम्मेदारी के साथ ही पढ़ाई भी की। कृति ने बताया कि पिता के जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर आ गई। यही नहीं, बड़ी बहन श्रुति की शादी भी उन्होंने ही करवाई।
फिर ऊबने लगा संसार से मन
कृति ने बताया कि 2018 में जानकीनगर में चातुर्मास हुआ। यहां वह साध्वी विरलप्रभाजी व विपुलप्रभाजी के संपर्क में आई। वे रोजाना चातुर्मास में जाती थीं, जिसके बाद धीरे-धीरे उनके मन भी इस राह पर चलने के विचार आने लगे। काफी सोचने के बाद 2019 में उन्होंने इस राह पर चलने का निर्णय ले लिया, हालांकि कृति को उनके दोस्तों ने भी समझाया। उनके इस निर्णय को लेकर मां ने कहा था कि एक बार और विचार कर ले। थोड़े वक्त बाद वो भी मान गईं।