बुदनी विधानसभा में अब तक 25 ग्राम पंचायत समरस ग्राम पंचायत बनीं। बुदनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 25 ग्राम पंचायतों में निर्विरोध सरपंच एवं पंचों का निर्वाचन हुआ है एवं वे समरस पंचायतों के रूप में सामने आई हैं। बुदनी विकासखंड के मढ़ावन, चिकली, जैत, बनेटा, खैरी सिलगेना, कुसुमखेड़ा, पीलीकरार, ऊँचाखेड़ा, तालपुरा तथा नसरूल्लागंज विकासखंड के ससली, बडनगर, आंबाजदीद, मोगराखेड़ा, कोसमी, लावापानी, इटावाकलाँ, पीपलानी, चौरसाखेड़ी, हाथीघाट, खात्याखेड़ी, सीलकंठ, छापरी, गिल्लोर, तिलाड़िया, रिछाड़ीया क़दीम सम्मिलित हैं। इनमें से चार ग्राम पंचायत में पूर्ण रूपेन महिला पंचों और महिला सरपंच का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है जिसमें मढ़ावन, ससली, मोगराखेड़ा एवं लावापानी सम्मिलित हैं। दो अन्य पंचायतों में भी निर्विरोध महिला सरपंच चुनी गयी हैं जिनमें ऊँचाखेड़ा एवं तालपुरा सम्मिलित हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी जैसा दृश्य मध्यप्रदेश की सभी विधानसभाओं में देखा जा सकता है। यह कमाल है 26 मई 2022 के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उस आदेश का, जिसमें ग्राम पंचायत पुरस्कार योजना का जिक्र था। योजना के तहत निर्विरोध निर्वाचन को प्रोत्साहन देने की कवायद की गई थी, जिसकी सफलता की खुशबू से प्रदेश की सभी विधानसभाओं की कई पंचायतें महक रही हैं।
निर्विरोध निर्वाचन पर पंचायतों को पुरस्कार स्वरूप पांच से पंद्रह लाख रुपए की राशि प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। यह पुरस्कार पांच अलग-अलग श्रेणियों में बांटे गए हैं। पहली यह कि पंचायत में सरपंच का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है तो पंचायत को पांच लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी। दूसरी श्रेणी यह कि यदि पंचायत में सरपंच का निर्विरोध निर्वाचन लगातार दूसरी बार हो रहा है, तो पुरस्कार राशि दो लाख ज्यादा यानि सात लाख रुपए मिलेगी। तीसरी श्रेणी यह कि यदि सरपंच और सभी पंच का निर्वाचन निर्विरोध हुआ है, तब भी ग्राम पंचायत सात लाख रुपए की पुरस्कार राशि की हकदार है।
चौथी श्रेणी यह कि यदि किसी पंचायत में सरपंच और पंच सभी महिला निर्वाचित हुई हैं तो 12 लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी और पांचवी श्रेणी यह कि यदि महिला सरपंच और महिला पंचों का निर्वाचन निर्विरोध हुआ है, तो सर्वाधिक 15 लाख रुपए की राशि से पंचायत को नवाजा जाएगा। चौथी और पांचवीं श्रेणी और सर्वाधिक राशि के यह पुरस्कार महिला नेतृत्व को गांव-गांव तक विकसित करने का सशक्त माध्यम साबित हुए हैं। हर विधानसभा में जहां पंचायतों का नेतृत्व निर्विरोध चुनी गई महिला शक्ति के हाथ होगा, वहां की तस्वीर अब पूरी तरह से बदलने वाली है। इसके लिए इन पुरस्कारों का आभार जताया जा सकता है।
सरकार की इस योजना को पूरे प्रदेश में बेशुमार प्यार मिला है। सबसे ज्यादा खुशी की बात है कि कई पंचायतों में महिलाओं के फैसलों से विकास को गति मिलेगी। यह पंचायतें एक मायने में “पिंक पंचायतें” मानी जा सकती हैं। जहां महिला नेतृत्व विकसित होगा और महिला सोच और संवेदनशीलता से भरे फैसलों का असर देखने को मिलेगा। चूंकि महिलाएं निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं, तो सरपंच और पंच पतियों की दखलंदाजी नहीं होगी।
गांवों की यह तस्वीर 21 वीं सदी के भारत के परिपक्व लोकतंत्र की कहानी बयां करेगी। महिला सशक्तिकरण का यह नायाब चेहरा यदि बुराईयों को जड़-मूल से नष्ट करने का मन बना लेगा, तो फिर गांवों से शराब की दुकानों का पलायन तय है। ऐसे में शराबबंदी और नशामुक्ति के उमा भारती के अभियान में यह पिंक पंचायतें सक्रिय भूमिका निभा सकतीं हैं। तो आसपास की पंचायतों में नशामुक्ति जागरूकता अभियान की वाहक भी बन सकती हैं। तो दूसरी तरफ यह “पिंक पंचायतें” विकास की बड़ी लकीर खींचकर भी लोकतंत्र की आत्मा को नए सिरे से परिभाषित करेंगीं, यह उम्मीद की जा सकती है।
इसकी ठोस वजह है पंचायत का वह भाव, जिसके तहत महिला सरपंच और पंचों का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। जिसमें चयन में सर्वसहमति है और पंचायत गुटबाजी से परे हो गई है। तो निर्वाचित होने के लिए किसी भी राशि का अपव्यय नहीं हुआ है। और निर्विरोध निर्वाचन में मिल रही राशि पाकर इसे गांव के विकास में उपयोग करने का पवित्र भाव भी है। तो यह अपेक्षा साकार होने का समय है कि यह “पिंक पंचायतें” भ्रष्टाचार मुक्त होंगीं और विकास की नई सोच पर अमल कर इतिहास रचेंगीं।