Sammed Shikhar Issue : केंद्र ने तीन साल पुराना आदेश वापस लिया, तीर्थ ही रहेगा सम्मेद शिखर!

देशभर में भारी विरोध के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने दो पेज की चिट्ठी जारी की!

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Sammed Shikhar Issue : केंद्र ने तीन साल पुराना आदेश वापस लिया, तीर्थ ही रहेगा सम्मेद शिखर!

New Delhi : झारखंड में ‘श्री सम्मेद शिखर’ तीर्थ स्थल ही रहेगा। केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया। जैन समुदाय का यह पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया। पर्यावरण मंत्रालय ने इसे लेकर दो पेज की चिट्ठी जारी की। इसमें लिखा है, ‘इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश भी दिया जाता है।’
सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से जैन समुदाय आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण भी त्याग दिया था। इस तरह केंद्र सरकार तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया। पर्यावरण मंत्रालय ने इसे लेकर दो पेज की चिट्ठी जारी कर दी।
सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से जैन समुदाय आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया था।

क्या था आखिर विवाद
सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं।
जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समुदाय के इस पवित्र धार्मिक स्थल को फरवरी 2019 में झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। इसके साथ ही देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी इस सूची में शामिल किया गया। उसी साल अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में ‘पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता’ है। अब सरकार के इसी फैसले का विरोध हो रहा था। गुरुवार को केंद्र सरकार ने तीन साल पुराने इसी आदेश को वापस ले लिया।
विरोध कर रहे जैन समुदाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी भड़के हुए हैं।

राष्ट्रपति से भी गुहार लगाई
इस मामले को लेकर जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में महारैली का भी आयोजन किया गया। इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। लोकसभा में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया। कहा, ‘झारखंड सरकार के फैसले का सीधा असर सम्मेद शिखर की पवित्रता पर पड़ा है। जैन लोग चाहते हैं कि इस आदेश को रद्द किया जाए।’

झारखंड सरकार का क्या कहना
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सम्मेद शिखरजी को लेकर नोटिफिकेशन भाजपा सरकार के वक्त जारी हुआ था। हम मामले को देख रहे हैं। वहीं, सोरेन की पार्टी झामुमो ने कहा कि केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। भाजपा अब लोगों को गुमराह कर रही है। वहीं, भाजपा का कहना है कि जब झारखंड में भाजपा की सरकार थी, तब सम्मेद शिखरजी को तीर्थस्थल घोषित किया गया था। इसके संरक्षण के लिए काम किया गया था। अब झामुमो सरकार इसे खंडित करने और जैन समुदाय के लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।

प्रशासन क्या कर रहा
गिरिडीह के डीसी ने कहा कि शिखरजी के पदाधिकारियों के साथ 22 दिसंबर को एक बैठक की गई थी। बैठक के दौरान इन लोगों ने आश्वासन कि इस जगह के पवित्रता को बरकरार रखा जाएगा। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हमने वहां पुलिस बल भी तैनात कर दिया है।