Samosa Ban : यहां समोसा प्रतिबंधित, खाया तो सजा मिलेगी!
New Delhi : हमारे देश में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाले स्नैक्स में एक ‘समोसा’ भी है। ये स्ट्रीट फ़ूड हुआ करता था, पर अब बड़ी होटलों में भी फरमाइश करने पर समोसा परोसा जाता है। मूलतः तो समोसा आलू के मसाले से बनता है, पर इसे मांसाहारी भी बनाया जाता है। लेकिन, सोमालिया में समोसे पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वहां इसे बनाने और खाने पर रोक लगा दी गई और इसका उल्लंघन करने वाले को सजा का भी प्रावधान है।
स्नैक्स के तौर पर पसंद की जाने वाली इस खास डिश को देश के कोने-कोने में स्ट्रीट फूड के तौर पर पसंद किया जाता है। सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर तो समोसा 10 से 15 रुपए में मिल जाता है। लेकिन, वही समोसा महंगी दुकानों पर रंग-ढंग बदलकर महंगा मिलता है। लेकिन, यही समोसा अब एक देश में पाबंदी का शिकार हो गया।
भारत से लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल समेत कई और देशों में समोसे पसंद किए जाते हैं। भारतीयों को चाय के साथ अगर कोई स्नैक सबसे ज्यादा पसंद है, तो वो समोसा ही है। मेहमानों को परोसना हो या फिर छोटी-मोटी भूख का इंतजाम करना हो, करारे समोसे हर जगह काम आते हैं। लेकिन, दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां समोसे पर पूरी तरह से पाबंदी है, इसे खाने या फिर बनाने पर लोगों को सज़ा तक दे दी जाती है।
समोसे का तिकोना होना समस्या
भारतीय समोसे को जहां यूरोपियन देशों तक में पसंद किया जा रहा है, वहीं अफ्रीकी देश सोमालिया में समोसा खाने पर पाबंदी लगी है। इस देश में समोसा बनाने, खरीदने और खाने पर लोगों को सजा भी दी जाती है। इसकी वजह है समोसा का तिकोना आकार। सोमालिया का एक चरमपंथी समूह मानता है कि समोसे का तिकोना रूप क्रिश्चियन कम्युनिटी के एक चिह्न से मिलता-जुलता है। यही वजह है कि सोमालिया में समोसे पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सोमालिया में समोसा बनाने, खरीदने और खाने पर भी सजा का प्रावधान है। यह भी कहा गया कि समोसे में सड़े-गले मीट को भरने की वजह से इस पर पाबंदी लगाई गई।
कहां से कहां पहुंचा समोसा?
जानकारी के मुताबिक 10वीं सदी के आसपास मध्य एशिया से आए अरबी सौदागर समोसे की रेसिपी को अपने साथ लेकर आए थे। इसका जिक्र 10वीं शताब्दी में लिखी किताबों में हुआ है। ईरानी इतिहासकार अबोलफाजी बेहाकी ने ‘तारीख ए बेहाकी’ में इसका जिक्र किया है। समोसे का जन्म मिस्र में माना जाता है। वहां से ये लीबिया पहुंचा, फिर मध्य पूर्व। ईरान में ये 16वीं सदी तक बहुत लोकप्रिय था, लेकिन फिर सिमटता चला गया। अमीर खुसरो के मुताबिक 13वीं सदी में ये मुगल दरबार की पसंदीदा डिश थी। हालांकि हमारे आलू वाले समोसे 16वीं सदी में बने, जब पुर्तगाली आलू लेकर भारत आए थे।