Samosas and Jalebi : एक साल में 21000 करोड़ समोसे और 34 करोड़ किलो जलेबी खा जाते हैं भारतीय! 

ये सेहत के प्रति लापरवाही, स्नैक्स की दुकानों पर फैट और चीनी के बोर्ड प्रदर्शित करने की सलाह!

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Samosas and Jalebi : एक साल में 21000 करोड़ समोसे और 34 करोड़ किलो जलेबी खा जाते हैं भारतीय! 

New Delhi : भारत में समोसे और जलेबी का बाजार इतना बड़ा है कि इसके खाने के आंकड़े अविश्वसनीय हैं। करोड़ों की संख्या के ये आंकड़े इस बात का भी संकेत हैं कि स्वाद के लिए भारतीय स्वास्थ्य के प्रति कितने लापरवाही हैं। फास्ट फूड और तले-भुने खाने के चलते तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या विकराल होती जा रही है। इससे जुड़ी एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय औसतन एक साल में 21000 करोड़ समोसे और वहीँ 34 करोड़ किलो जलेबी खा जाते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्यस्थलों पर फैट और चीनी के बोर्ड प्रदर्शित करने संबंधी परामर्श, स्वस्थ आहार आदतों को बढ़ावा देने की एक पहल है। यह सूचना बोर्ड विभिन्न खाद्य उत्पादों में मौजूद अतिरिक्त फैट और चीनी के बारे में व्यावहारिक संकेत के रूप में कार्य करते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसा, जलेबी और लड्डू जैसे खाद्य उत्पादों पर चेतावनी लेबल जारी करने का निर्देश दिया है। लेकिन, ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स भ्रामक, गलत और निराधार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्नैक्स की दुकानों और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्यवर्धक सूचनाएं दर्शाने की सलाह दी है।

इसमें विभिन्न कार्यस्थलों जैसे लॉबी, कैंटीन, कैफेटेरिया, मीटिंग रूम आदि में बोर्ड लगाने की सलाह दी गई, ताकि विभिन्न खाद्य पदार्थों में मौजूद अतिरिक्त फैट और चीनी के सेवन से होने वाले हानिकारक परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। ये बोर्ड देश में तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या से बचने का संदेश देते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस प्रकार के परामर्श में विक्रेताओं को बेचे जाने वाले खाद्य उत्पादों पर चेतावनी लेबल लगाने का निर्देश नहीं दिया गया, यह सिर्फ अफवाह है।

ये भारतीय स्नैक्स और समृद्ध स्ट्रीट फ़ूड संस्कृति को लक्षित नहीं करता है। यह सामान्य परामर्श लोगों को सभी खाद्य उत्पादों में मौजूद अतिरिक्त फैट और चीनी के बारे में जागरूक करने के लिए एक व्यवहारिक प्रेरणा है, जिसमें फलों, सब्जियों और कम वसा वाले विकल्पों जैसे पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना, सीढ़ियों का उपयोग, व्यायाम और पैदल चलने जैसी शारीरिक गतिविधियां शामिल हैं।

यह परामर्श राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के अंतर्गत मंत्रालय की प्रमुख पहलों में से एक है। क्योंकि, तेल और चीनी का अत्यधिक सेवन मोटापे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और जीवनशैली से जुड़े अन्य रोगों को बढ़ावा देता है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के केंद्रीय संस्थानों को ‘तेल और चीनी बोर्ड’ लगाने का आदेश दिया। इसका मतलब यह कि अब विक्रेताओं को यह बताना होगा कि वे जो स्नैक्स परोस रहे हैं, उसका स्वास्थ्य पर कितना खराब असर होता है। उसमें कितनी चीनी या तेल या कोई अन्य पदार्थ है।

यह कदम जंक फूड को सिगरेट जितना खतरनाक घोषित करने की शुरुआत है। जल्द ही लड्डू, वड़ा पाव और पकौड़े जैसे स्वादिष्ट स्नैक्स की दुकानों पर चेतावनी वाले बोर्ड लगे हों तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। अगर आपको पता है कि एक समोसे में कितना तेल है, तो आप दूसरा समोसा खाने से पहले दो बार सोचेंगे!

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सिगरेट जितना ही खतरनाक स्नैक्स

एक रिपोर्ट के अनुसार, एम्स नागपुर ने इस आदेश की पुष्टि की है। जल्द ही ऐसे चेतावनी बोर्ड कैंटीन और सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएँगे। कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के नागपुर चैप्टर के अध्यक्ष अमर आमले ने कहा कि खाने की चीज़ों पर लेबल लगाने को सिगरेट की चेतावनी जितना ही गंभीर बनाने की दिशा में यह पहला कदम है। चीनी और ट्रांस फैट भी तंबाकू जितने खतरनाक हैं। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं।

माना जा रहा है कि फास्ट फूड पर प्रतिबंध लगाने के बजाए, सरकार चेतावनी बोर्ड के ज़रिए लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह देगी। इसका मतलब है कि अब हर स्वादिष्ट नाश्ते की दुकान पर एक बोर्ड लगा होगा जिस पर लिखा होगा ‘खाएँ, लेकिन सावधानी से।’

बढ़ती मोटापे की समस्या

भारत में मोटापे की समस्या और बीमारी तेज़ी से फैल रही है। एक अनुमान के अनुसार, 2050 तक 44.9 करोड़ भारतीय मोटापे से ग्रस्त होंगे। इसके बाद, भारत इस मामले में केवल अमेरिका से पीछे रह जाएगा। वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में हर पाँचवाँ वयस्क मोटापे से जूझ रहा है। गलत खान-पान और कम शारीरिक गतिविधि के कारण बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है। ये आँकड़े आपको चिंता में डाल सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम खान-पान की आदतों पर नज़र रखने का एक प्रयास है। यह बोर्ड न केवल चेतावनी देगा, बल्कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का अवसर भी देगा।